दरअसल, जीएसटी लागू होने और उसके बाद विभागीय जांच का काम धीमा होने से राज्य में कई बोगस फर्मों का उदय हो गया। इनमें से कई फर्म्स कारोबार नहीं कर रही थी और ना ही रिटर्न फाइल कर रही थी। लेकिन इनवायस जारी कर रही थीं। विभाग ने जब इनका डाटा खंगाला और मैदानी अमले से गुप्त जांच करवाई तो पता चला कि ये फर्म दुकानों से नहीं बल्कि घरों से संचालित हो रही हैं। बाकायदा बिल भी जारी हो रहे थे। ऐसी बोगस कंपनियों से दूसरे राज्य से मिलने वाला कम्पनशेसन मध्यप्रदेश को नहीं मिल रहा था यानी रेवेन्यू का सीधी-सीधा नुकसान हो रहा था।
इसे भी पढ़ें: देश में सबसे ज्यादा टाइगर वाला प्रदेश बना MP, पीएम मोदी ने जारी की रिपोर्ट विभाग के कमिश्नर डीपी आहूजा के संज्ञान में आने के बाद ऐसी बोगस फर्मो की जांच शुरू की गई है। प्रारंभिक रूप से प्रदेश में करीब 1 हजार बोगस फर्म सामने आई है। सभी के घरों पर अलग-अलग टीमें जांच कर रही हैं। भोपाल में 19 फर्मों की जांच की जा रही है। भोपाल के एंटी इवेजन ब्यूरो के कार्यक्षेत्र के अंतर्गत भोपाल, रायसेन, बैतूल, हरदा, होशंगाबाद, विदिशा, सीहोर जिले के अंतर्गत आने वाले शहरों में विभाग की टीम मध्यप्रदेश माल एवं सेवा कर की धारा 67-1 के तहत जांच में जुटी हुई है। जांच में विभाग के इंस्पेटक्टर एवं कराधान सहायक लगे हुये हैं।
इसे भी पढ़ें: ‘मौत’ के मुंह से निकलीं 183 लड़कियां, पानी में ऐसे डूबा है पूरा हॉस्टल, मरने के लिए छोड़ गायब रहीं इंचार्ज वाणिज्यिक कर विभाग के एंटी इवेजन ब्यूरो के संयुक्त आयुक्त एस.के. श्रीवास्तव का इस मामले में कहना है कि बोगस कंपनी बनाकर बिल जारी करने वालों के खिलाफ सोमवार से प्रदेशव्यापी जांच शुरू हुई है। जांच में दोषी पाये जाने पर पंजीयन निरस्त कर उनसे पंजीयन तारीख से जारी हुए बिलों के आधार पर टैक्स वसूला जाएगा।