विश्वविद्यालयों में सीटें फुल, 95 फीसदी छात्र 25 से कम उम्र के- इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 95 फीसदी छात्र-छात्राएं 25 से कम उम्र के हैं, जबकि दो साल पहले तक कक्षाओं में 35 से 45 साल के स्टूडेंट्स की संख्या अधिक होती थी। विशेषज्ञों के अनुसार इस बदलाव के दो प्रमुख कारण हैं। पहला कोरोना महामारी झेलने के बाद लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ी है और दूसरा कारण है योग में कॅरियर की अपार संभावनाएं।
योग में कॅरियर की लगातार बढ़ रहीं संभावनाएं- जानकारी के अनुसार बरकतउल्ला विवि से योग में डिग्री हासिल करने वाले छात्रों में से कोई भी फ्री नहीं है। सबके पास रोजगार है। कोई योग की शिक्षा दे रहा है। तो कोई मरीजों को योग थैरेपी। कई छात्र स्कूल, कॉलेजों में योग शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं। कुछ ने अपना खुद का योगा सेंटर खोल लिया है।
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय, इंदौर 350 छात्र
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, भोपाल 227 छात्र
रानी दुर्गावती विवि, जबलपुर 129 छात्र
विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन 128 छात्र
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सरकार ने नई शिक्षा नीति के तहत अब ग्रेजुएशन में भी एक स्वेच्छिक विषय के रूप में योगा को चुनने की सहूलियत दी है, ऐसे में बड़ी संख्या में छात्र इसे चुन रहे हैं।
बीयू ने शुरू किया नया कोर्स ‘स्ट्रेस मैनेजमेंट थ्रू योगा’
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय योग विभाग अध्यक्ष साधना दौनेरिया के अनुसार कोरोना के बाद योग के प्रति खासकर युवाओं में काफी लगाव देखने को मिल रहा है। हमारे यहां योग के सभी कोर्स की सीटें फुल हैं। पहले बैच में अधिक उम्र के छात्र भी होते थे, लेकिन अब युवा ज्यादा हैं। इसे युवा इसलिए ज्यादा पसंद कर रहे हैं क्योंकि इसमें सेहत के साथ रोजगार की प्रबल संभावनाएं हैं। युवाओं के बढ़ते रुझान को देखते हुए विवि द्वारा ‘स्ट्रेस मैनेजमेंट थ्रू योगा’ कोर्स शुरू किया जा रहा है।
विश्वविद्यालयों में योग विषय में ये कोर्स हो रहे हैं संचालित
बीए- बीएससी
एम-एमएससी
पीजी डिप्लोमा
सर्टिफिकेट कोर्स
पीएचडी
इनके अलावा विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा योग थैरेपी सहित अन्य कोर्स भी चलाए जा रहे हैं.