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कांग्रेस में आकर बोले गुड्डू, भाजपा में दोयम दर्जे का व्यवहार, सिलावट ने कहा मेरे लिए कोई चुनौती नहीं

locationभोपालPublished: Jun 01, 2020 12:06:10 am

Submitted by:

anil chaudhary

– नेताओं को नहीं रहा सोशल डिस्टेंसिंग का खयाल

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भोपाल. प्रदेश में होने वाले 24 विधानसभा उपचुनावों को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। जिस दलबदल के चलते कमलनाथ सरकार का तख्ता पलट हुआ था, उस दलबदल का सिलसिला एक बार फिर तेज हो गया है। पूर्व सांसद प्रेमचंद्र गुड्डू और उनके पुत्र अजीत बोरासी रविवार को फिर से कांग्रेस में आ गए।
प्रदेश में पिछले डेढ़ दशक से दलबदल की परंपरा कुछ ज्यादा ही प्रचलन में आ गई है। पार्टी को अपना डीएनए और माता बताने वाले नेता टिकट के चक्कर में खूब इधर से उधर हुए हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले बेटे की टिकट के लिए कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा में शामिल हुए गुड्डू ने घर वापसी कर ली है।
गुड्डू के सदस्यता कार्यक्रम में पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, पीसी शर्मा, जीतू पटवारी और एनपी प्रजापति समेत संगठन पदाधिकारी मौजूद रहे। कांग्रेस में शामिल होने के बाद गुड्डू, अजीत बोरासी और महेश बोरासी ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के निवास पर उनके मुलाकात की।
– ज्योतिरादित्य सिंधिया पर निशाना साधा
गुड्डू ने कहा कि उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रताडऩा से तंग आकर पार्टी छोड़ी थी। भाजपा में जाने के बाद मुझे अहसास हुआ कि भाजपा में दोयम दर्जे का व्यवहार होता है। कांगे्रस से भाजपा में जाने वाले किसी भी व्यक्ति को वहां सम्मान नहीं मिलता है। भाजपा में मैंने हमेशा घुटन महसूस की, अब मैंने अपनी मातृ संस्था कांगे्रस में वापसी की है।

– बन सकते हैं उम्मीदवार
गुड्डू को सांवेर सीट से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। वे मंत्री तुलसीराम सिलावट को टक्कर दे सकते हैं। वे भाजपा में गए थे तो भाजपा ने अजीत बोरासी को घट्टिया से उम्मीदवार बनाया था लेकिन बोरासी कांग्रेस से हार गए थे।
– तुलसी बोले, मुझे फर्क नहीं पड़ता
जलसंसाधन मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि उनके लिए गुड्डू कोई चुनौती नहीं हैं। गुड्डू के कांग्रेस में शामिल होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। गुड्डू ने अपने बेटे की टिकट के लिए कांग्रेस छोड़ी थी और अब फिर से टिकट के लिए वापस कांग्रेस में पहुंच गए। तुलसी ने कहा कि जनता उनके साथ है और सबकी असलियत जानती है।
– सोशल डिस्टेंसिंग भूले नेता
प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में सदस्यता कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें गुड्डू को सदस्यता दिलाई गई, लेकिन यहां नेता सोशल डिस्टेंसिंग भूल गए। मंच पर डेढ़ दर्जन नेता एक साथ बैठे हुए थे। कुछ के चेहरे पर मास्क भी नहीं था।
– इन नेताओं ने भी किया दलबदल
सिंधिया ने भी हाल ही में कांग्रेस को छोड़कर कमलनाथ सरकार गिरा दी। सिंधिया भाजपा में शामिल हुए और राज्यसभा से उम्मीदवार भी बने। सिंधिया के साथ कांग्रेस के 22 विधायक अपनी विधायकी छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। ये सभी विधायक भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। इनमें से दो मंत्री बन गए।
चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी अचानक कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए और उनके भाई मुकेश चौधरी को मेहगांव से भाजपा ने टिकट दिया। 2018 में चौधरी राकेश सिंह को भी टिकट दिया गया, लेकिन वे हार गए। लोकसभा चुनाव के समय वे वापस कांग्रेस में आए और अब मेहगांव से टिकट के दावेदार हैं।
संजय पाठक ने कहा था कि उनके खून में कांग्रेस का डीएनए है, लेकिन उसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा की तरफ से विधायक बने और फिर मंत्री भी बनाए गए। अभी भी भाजपा विधायक हैं।
नारायण त्रिपाठी ने भी कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थामा। भाजपा से विधायक भी बने। प्रदेश में जब कमलनाथ सरकार बनी तो उन्होंने खुलकर उनका समर्थन किया। सरकार गिर गई तो त्रिपाठी फिर भाजपा के पाले में चले गए। त्रिपाठी कांग्रेस से पहले सपा के नेता भी रह चुके हैं।
उदय प्रताप सिंह ने भी कांग्रेस को छोड़ा और भाजपा के झंडे तले चले गए। भाजपा ने उनको होशंगाबाद से लोकसभा का टिकट दिया और वे सांसद चुने गए। अभी भी वे भाजपा की तरफ से सांसद हैं।
पूर्व मंत्री सरताज सिंह का विधानसभा में टिकट कटा तो वे कांग्रेस में शामिल हो गए और होशंगाबाद से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन हार गए।
पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया ने भी लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़ कांग्रेस की राह पकड़ ली, लेकिन उनको टिकट नहीं मिला।
भाजपा की पूर्व विधायक प्रमिला सिंह को विधानसभा का टिकट नहीं मिला तो वे शहडोल से लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवार बन गईं।
हिमाद्री सिंह ने कांग्रेस छोड़ भाजपा की शरण ले ली और लोकसभा का टिकट पाकर सांसद भी बन गईं।

– राजनीति को अशुद्ध कर रहे :भार्गव
पूर्व नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने भी दलबदल पर तंज कसा है। भार्गव ने कहा कि नेताओं के लिए पार्टियां बदलना अब कपड़े बदलना जैसा हो गया है। ऐसे लोग राजनीति को अशुद्ध कर रहे हैं। यही कारण है कि लोगों के मन में राजनीति के प्रति नफरत का भाव पैदा हो रहा है। प्रेमचंद गुड्डू के भाजपा के खिलाफ दिए गए बयानों को हास्यास्पद बताया।

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