भोपाल में आजादी के अमृत महोत्सव में बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा 4 और 5 मार्च को होने वाली राष्ट्रीय कार्यशाला में ऐसे ही अछूते या नए क्षेत्रों के लिए गाइडलाइन तय की जाएगी। उन्हें नियमों के दायरे में लाया जाएगा। राजधानी के जल एवं भूमि प्रबंधन संस्थान (वाल्मी) में होने वाली राष्ट्रीय कार्यशाला के बारे में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया कि राज्यपाल मंगुभाई पटेल उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि होंगे। केन्द्रीय महिला-बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. मुजपार महेन्द्र भाई और सचिव केन्द्रीय महिला-बाल विकास श्री इन्देवर पाण्डेय भी उपस्थित रहेंगे। अंतिम दिन समापन अवसर पर कार्यशाला को केन्द्रीय महिला-बाल विकास मंत्री स्मृति जुबिन ईरानी वर्चुअली संबोधित करेंगी।
नशे की लत और उसके नुकसान को रोकने जैसे तमाम विषयों की समीक्षा
दो दिवसीय कार्यशाला में 26 राज्य एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के बाल आयोगों के अध्यक्ष, सदस्य और सदस्य सचिव शामिल होंगे। कार्यशाला में बच्चों में नशे की लत और उसके नुकसान को रोकने के लिए नार्कोटिक कंट्रोल ब्यूरो एवं राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की कार्य-योजना की समीक्षा राज्य बाल आयोगों के समक्ष की जाएगी। इसके अतिरिक्त देश के सात हजार से अधिक बाल गृहों की डिजिटली मॉनीटरिंग की जा सके, इस उद्देश्य से राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा मॉनीटरिंग एप फॉर सीमलैस इन्सपेक्शन (एमएएसआई) तैयार किया गया है। इसका सीडब्ल्यूसी के माध्यम से प्रसार को लेकर भी सत्र होगा।
स्कूलों के बच्चों की पढ़ाई को लेकर भी होगा सत्र
शिक्षा का अधिकार कानून के क्रियान्वयन में पंचायत राज संस्थानों की भूमिका पर हैंड-बुक के प्रकाशन के लिए विमर्श, शाला त्यागी बच्चों को मेनस्ट्रीम में लाने के लिए नेशनल चाइल्ड लेबर प्रोजेक्ट एवं स्पेशल ट्रेनिंग सेंटर्स, जो शिक्षा के अधिकार कानून की धारा-4 के अंतर्गत आते हैं, पर आयोग द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट पर चर्चा, बाल मजदूरी समस्या, विमुक्त एवं घुमक्कड़ जनजाति के बच्चों की शिक्षा, किशोर न्याय अधिनियम के तहत जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में धारा-51 में फिट फैसिलिटी डिक्लरेशन पर विचार-विमर्श होगा।
अस्पतालों में नवजात शिशुओं के इलाज को लेकर होगी समीक्षाा
कार्यशाला में पॉक्सो एक्ट के तहत पीडि़त को मुआवजा देने पर राज्य आयोगों से चर्चा, बाल यौन शोषण के विरुद्ध जागरूकता पर भी विचार-विमर्श होगा। बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा देशभर की नियोनेटल इन्टेन्सिव केयर यूनिट, पीडियाट्रिक यूनिट, बच्चों के इलाज पर उपयोग होने वाले उपकरणों, उनकी एएमसी, डॉक्टरों और नर्सों की संख्या आदि की रिपोर्ट तैयार की गई है, उस पर भी समीक्षा की जाएगी। देशभर के दिव्यांग बच्चों की स्क्रीनिंग, जो राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के माध्यम से होती है, उनको मिलने वाले उपकरणों, पेंशन आदि को ट्रेक किए जाने के लिए एमआईएस तैयार किया गया है, उस पर भी राज्य आयोगों के समक्ष चर्चा की जाएगी।