गौरतलब है कि रमाकांत गुंदेचा का शुक्रवार को हार्ट अटैक से निधन हो गया था। उसके बाद पत्नी रेणु और पुत्र अनंत ने उनके नेत्रदान का फैसला लिया। गांधी मेडिकल कॉलेज में नेत्र रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. कविता कुमार ने बताया कि गुंदेजा परिवार ने स्वप्रेरणा से नेत्रदान किया है। विभाग के विशेषज्ञों ने शुक्रवार को उनकी आंखों से दो कॉर्निया प्राप्त की। उन्हें प्रिजर्वेटिव में संरक्षित किया गया। इससे दो लोगों की दुनिया रोशन हो सकती है। एक कॉर्निया का ट्रांसप्लांट सोमवार को कर दिया गया है। कॉर्निया को चार दिन तक संरक्षित रखा जा सकता है। डॉ. कुमार के अनुसार यदि कोई मरीज नहीं मिला तो दूसरी कॉर्निया को मेडिकल रिसर्च के लिए उपयोग किया जाएगा। इससे नेत्र रोग विभाग में अध्ययनरत छात्र नेत्र संबंधी बारीकियां सीखेंगे।
उत्तराधिकार में दी थी पहली प्रस्तुति
उन्होंने उज्जैन के माधव संगीत महाविद्यालय में शिक्षा ली। 1982 में भोपाल में ध्रुपद संस्थान की शुरुआत हुई तो नौकरी छोड़ यहां दाखिला लिया। जिया मोहिउद्दीन डागर और जिया फरीदुद्दीन डागर के मार्गदर्शन में चार सालों तक शिक्षा ली। उत्तराधिकार कार्यक्रम में पहली प्रस्तुति दी। वे अशोक वाजपेयी को भी पिता जैसा मानते थे। उन्हीं के कहने पर दस सालों तक भारत भवन से भी जुड़े रहे।
उन्होंने उज्जैन के माधव संगीत महाविद्यालय में शिक्षा ली। 1982 में भोपाल में ध्रुपद संस्थान की शुरुआत हुई तो नौकरी छोड़ यहां दाखिला लिया। जिया मोहिउद्दीन डागर और जिया फरीदुद्दीन डागर के मार्गदर्शन में चार सालों तक शिक्षा ली। उत्तराधिकार कार्यक्रम में पहली प्रस्तुति दी। वे अशोक वाजपेयी को भी पिता जैसा मानते थे। उन्हीं के कहने पर दस सालों तक भारत भवन से भी जुड़े रहे।