पंडित सुनील शर्मा के अनुसार ध्यान रखिए कि यह गुप्त नवरात्र है। इसका पूजा विधान गुप्त रूप से ही किया जाता है। इस दौरान यदि आप किसी शत्रु या अपने समस्त शत्रुओं पर विजय चाहते हैं, तो आपको एक मंत्र का गुप्त नवरात्रि के हर 9 दिन एक निश्चित समय पर जाप करना होगा।
यानि यदि आप चाहते हैं कि आपके समस्त ज्ञात और अज्ञात शत्रुओं का नाश हो तो केवल यही अवसर है जब आप इस तरह का विधान कर सकते हैं।
यानि यदि आप चाहते हैं कि आपके समस्त ज्ञात और अज्ञात शत्रुओं का नाश हो तो केवल यही अवसर है जब आप इस तरह का विधान कर सकते हैं।
इसके लिए सुयोग्य पंडित को बुलवाकर दुर्गा सप्तशती का पाठ कराना चाहिए, परंतु यदि आप फिलहाल ऐसा कर पाने में सक्षम नहीं हैं तो इसके लिए संकल्प लें कि जब भी सक्षम होंगे, दुर्गा सप्तशती का विधिविधान अनुसार पाठ करवाएंगे और गुप्त नवरात्र के सम्पूर्ण 9 दिन सिर्फ 1 मंत्र का जप करें, शास्त्रों में उल्लेख है कि ऐसा करने से भी आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।
इस मंत्र को एक श्लोकी दुर्गासप्तशती कहते हैं। यह मंत्र इस प्रकार है-
या अंबा मधुकैटभ प्रमथिनी, या माहिषोन्मूलिनी,
या धूम्रेक्षण चन्ड मुंड मथिनी,या रक्तबीजाशिनी,
शक्तिः शुंभ निशुंभ दैत्य दलिनी,या सिद्धलक्ष्मी: परा,
सादुर्गा नवकोटि विश्व सहिता, माम् पातु विश्वेश्वरी।।
या अंबा मधुकैटभ प्रमथिनी, या माहिषोन्मूलिनी,
या धूम्रेक्षण चन्ड मुंड मथिनी,या रक्तबीजाशिनी,
शक्तिः शुंभ निशुंभ दैत्य दलिनी,या सिद्धलक्ष्मी: परा,
सादुर्गा नवकोटि विश्व सहिता, माम् पातु विश्वेश्वरी।।
इस विधि से करें एक श्लोकी दुर्गा सप्तशती मंत्र का जाप…
1. गुप्त नवरात्र में रोज सुबह जल्दी नहाकर, साफ कपड़े पहनकर देवी दुर्गा के चित्र या मूर्ति की पूजा करें।
2. माता दुर्गा के सामने आसन लगाकर रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जाप करें। रोज कम से कम 1 माला (108 बार) जाप अवश्य करें।
3. आसन कुश का हो तो अच्छा रहता है। एक ही समय, आसन व माला हो तो यह मंत्र जल्दी ही सिद्ध हो जाता है।
1. गुप्त नवरात्र में रोज सुबह जल्दी नहाकर, साफ कपड़े पहनकर देवी दुर्गा के चित्र या मूर्ति की पूजा करें।
2. माता दुर्गा के सामने आसन लगाकर रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जाप करें। रोज कम से कम 1 माला (108 बार) जाप अवश्य करें।
3. आसन कुश का हो तो अच्छा रहता है। एक ही समय, आसन व माला हो तो यह मंत्र जल्दी ही सिद्ध हो जाता है।
मां दुर्गा पर ये भोग,करेगा आपकी मनोकामना…
गुप्त नवरात्र की पूजा तंत्र साधना के लिए की जाती है जो कि बहुत ज्यादा कठिन मानी जाती है इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। नवरात्रि के इन 9 दिनों में मां को अलग-अलग भोग लगाकर प्रसन्न करने की कोशिश की जाती है।
गुप्त नवरात्र की पूजा तंत्र साधना के लिए की जाती है जो कि बहुत ज्यादा कठिन मानी जाती है इसलिए इसे गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। नवरात्रि के इन 9 दिनों में मां को अलग-अलग भोग लगाकर प्रसन्न करने की कोशिश की जाती है।
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार ऐसे में मां दुर्गा को हर दिन के अनुसार भोग लगाकर इसे गरीबों को दान करना चाहिए, ऐसा करने से माना जाता है कि हर मनोकामना पूर्ण होती है…
1- प्रथम नवरात्रि :
प्रथम नवरात्रि में मां दुर्गा को घी का भोग लगाया जाता है। घी का भोग लगाने से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलने के साथ उसका शरीर निरोग रहता है।
प्रथम नवरात्रि में मां दुर्गा को घी का भोग लगाया जाता है। घी का भोग लगाने से व्यक्ति को रोगों से मुक्ति मिलने के साथ उसका शरीर निरोग रहता है।
2- द्वितीय नवरात्रि :
द्वितीय नवरात्रि में मां दुर्गा को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाया जाता है। दूसरे दिन इन चीजों का दान करने से लंबी आयु का वरदान पाया जा सकता है।
द्वितीय नवरात्रि में मां दुर्गा को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाया जाता है। दूसरे दिन इन चीजों का दान करने से लंबी आयु का वरदान पाया जा सकता है।
3- तृतीय नवरात्रि :
तृतीय नवरात्रि में माता दुर्गा को दूध या इससे बनी चीजों का भोग लगाएं अौर इसका दान भी करें। ऐसा करने से मां खुश होती हैं और सभी दुखों का नाश करती हैं।
तृतीय नवरात्रि में माता दुर्गा को दूध या इससे बनी चीजों का भोग लगाएं अौर इसका दान भी करें। ऐसा करने से मां खुश होती हैं और सभी दुखों का नाश करती हैं।
4- चतुर्थ नवरात्रि :
समस्याअों से मुक्ति पाने के लिए चतुर्थ नवरात्रि में मां दुर्गा को मालपुआ का भोग लगाएं। इसके बाद प्रसाद को किसी ब्राह्मण को दाने के बाद खुद भी ग्रहण करें। ऐसा करने से व्यक्ति की बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय क्षमता भी अच्छी होती है।
समस्याअों से मुक्ति पाने के लिए चतुर्थ नवरात्रि में मां दुर्गा को मालपुआ का भोग लगाएं। इसके बाद प्रसाद को किसी ब्राह्मण को दाने के बाद खुद भी ग्रहण करें। ऐसा करने से व्यक्ति की बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय क्षमता भी अच्छी होती है।
5- पंचम नवरात्रि :
परिवार में सुख-शांति बनी रहे इसके लिए लोग पंचम नवरात्रि में माता दुर्गा को केले का भोग लगाते हैं। ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है। 6- छठी नवरात्रि :
छठी नवरात्रि में मां दुर्गा को शहद का भोग लगाया जाता है। इससे धन प्राप्ति के योग बनते हैं अौर इसके प्रभाव से साधक सुंदर रूप प्राप्त करता है।
परिवार में सुख-शांति बनी रहे इसके लिए लोग पंचम नवरात्रि में माता दुर्गा को केले का भोग लगाते हैं। ऐसा करने से मनुष्य की बुद्धि का विकास होता है। 6- छठी नवरात्रि :
छठी नवरात्रि में मां दुर्गा को शहद का भोग लगाया जाता है। इससे धन प्राप्ति के योग बनते हैं अौर इसके प्रभाव से साधक सुंदर रूप प्राप्त करता है।
7- सप्तम नवरात्रि :
अपनी हर मनोकामना को पूरा करने के लिए सप्तम नवरात्रि के दिन मां दुर्गा को गुड़ का भोग लगाना चाहिए। 8- अष्टम नवरात्रि :
अष्टमी के दिन माता दुर्गा को नारियल का भोग लगाएं। इससे घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। नारियल को सिर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। माना जाता है कि ऐसा करने से आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।
अपनी हर मनोकामना को पूरा करने के लिए सप्तम नवरात्रि के दिन मां दुर्गा को गुड़ का भोग लगाना चाहिए। 8- अष्टम नवरात्रि :
अष्टमी के दिन माता दुर्गा को नारियल का भोग लगाएं। इससे घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। नारियल को सिर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। माना जाता है कि ऐसा करने से आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।
9- नवमी :
वैभव अौर यश की प्राप्ति के लिए नवमी के दिन मां दुर्गा को विभिन्न प्रकार के अनाजों का भोग लगाएं।
वैभव अौर यश की प्राप्ति के लिए नवमी के दिन मां दुर्गा को विभिन्न प्रकार के अनाजों का भोग लगाएं।