प्रदेश से इस साल 4640 लोग हजयात्रा पर जाएंगे। इनमें से भोपाल, रायसेन और सीहोर से जाने वालों की संख्या करीब एक हजार है। मदीना की रूबात में तो इन सभी को जगह मिलेगी लेकिन मक्का की रूबात में करीब 230 लोगों को ठहरने के लिए ही जगह है। इनका चयन कुरऑ के जरिए किया जाएगा।
दोनों शहरों की रूबात में जिन हजयात्रियों को जगह मिलेगी उन्हें बाकी हजयात्रियों के मुकाबले करीब 80 रुपए की बचत होगी। मदीना में जगह पाने वालों को करीब 35 हजार रुपए कम देने होंगे। पिछले साल भोपाल से हजयात्रा पर जाने वाले एक व्यक्ति के लिए 2 लाख 53 हजार रुपए खर्च आया। वहीं मुम्बई से जाने वालों को 2 लाख 24 हजार रुपए देने पड़े थे।
क्या हैं रूबात भोपाल रियासत से हजयात्रा पर जाने वालों के लिए भोपाल नवाब ने मक्का और मदीना में दो इमारतें बनवाई थी। यहां उन लोगों को ठहरने के इंतजाम किए जाते थे जो भोपाल रियासत से यात्रा पर जाते थे। इन्हें रूबात कहा जाता है। ये व्यवस्था अब भी कायम है। शाही औकाफ इनकी देखरेख और इंतजाम करता है।