शाम पांच बजे मर्चुरी बंद हो जाती है। ऐसे में शाम को आने वाले शव अक्सर लावारिस हालत में पड़े रहते हैं। मेडिको लीगल डिपार्टमेंट का तर्क है कि गांधी मेडिकल कॉलेज को प्रबंधन को फ्र ीजर खरीदकर देना चाहिए। जिससे शव को सुरक्षित रखा जा सके।
मर्चुरी में शहर और आसपास से हर रोज 15 से 17 शव पोस्टमार्टम के लिए आते हैं। मर्चुरी में दो फ्रीजर हैं, जिनमें आठ शव रखे जा सकते हैं। दोनों मेडिको लीगल डिपार्टमेंट (गृह विभाग) के हैं। इन फ्रीजर में ऐसे शवों को रखा जाता है जिनका पोस्टमार्टम हो चुका हो। अगर इसके बाद भी जगह बचती है तो उन शवों को रखा जाता है, जिनका पोस्टमार्टम होना हो।
राजधानी के जिला अस्पताल, गैस राहत व अन्य अस्पतालों में मर्चुरी नहीं है। किसी भी अस्पताल में पोस्ट मार्टम की व्यवस्था नहीं होने से हमीदिया के मर्चुरी में शवों की संख्या ज्यादा हो जाती है। इस वजह से रखने में दिक्कत होती है।
दिसंबर 2016 पहले मर्चुरी में जगह नहीं होने पर एक महिला के शव को बाहर ही छोड़ दिया। यहां चूहे ने शव की आंख कुतर ली थी। इस घटना के बाद मुख्यमंत्री ने जांच करते हुए अस्पताल अधीक्षक और कॉलेज डीन को निलंबित कर दिया।
– अगस्त 2018 पोस्टमार्टम क लिए आए एक महिला के शव को मर्चुरी में रखा गया था। यहां चूहे ने उनके पैर के अंगूठे को कुतर लिया था। इसको लेकर खासा विवाद हुआ था।
– सिंतबर 2017 शाम के समय पोस्टमार्टम के लिए आने के बाद शव बाहर ही पटक दिया गया। सुबह परिजनों ने जब शव को बाहर पड़ा देखा तो जमकर विवाद हुआ। पुलिस के बीच बचाव के बाद बमुश्किल बचाव किया गया।
02 फ्र ीजर मर्चुरी में
08 शवों को रखने की है व्यवस्था
15 से 17 शव आते हैं हर रोज
2000 मरीज आते हैं अस्पताल में
5 से 7 मरीजों का रोज होती है मौत गृह विभाग की ओर से दो फ्र ीजर दिए गए हैं। पांच बजे के बाद हमीदिया में जो मौते होती हैं, उनकी बॉडी रखने के लिए कॉलेज प्रबंधन को व्यवस्था करनी चाहिए। नई मर्चुरी के लिए शासन को पत्र लिखा है।
डॉ. अशोक शर्मा, डायरेक्टर मेडिको लीगल इंस्टीट्यूट