scriptहमीदिया अस्पताल में कैंसर की सिकाई बंद | Hamidia hospital closed treatment | Patrika News

हमीदिया अस्पताल में कैंसर की सिकाई बंद

locationभोपालPublished: May 21, 2019 08:59:03 am

Submitted by:

Amit Mishra

एम्स में मिलेगा विकल्प, यहां जुलाई में शुरू होगा लीनियर एक्सीलेटर और ब्रेकीथैरेपी से इलाज…

हमीदिया अस्पताल में कैंसर की सिकाई बंद

हमीदिया अस्पताल में कैंसर की सिकाई बंद

भोपाल। हमीदिया अस्पताल में कैंसर सिकाई में इस्तेमाल होने वाली ब्रेकीथैरेपी मशीन सोमवार से बंद हो गई। इसमें लगने वाली दवा न होने के कारण मशीन दो महीने बंद रहेगी। यहां की कोबाल्ट मशीन भी बंद होने वाली है। ऐसे में कैंसर के मरीजों को अब एम्स से ही उम्मीद है। एम्स में जुलाई से लीनियर एक्सीलरेटर और ब्रेकीथैरेपी शुरू होगी। निजी अस्पतालों में सिकाई का खर्च 20 हजार से डेढ़ लाख रुपए तक है। एम्स के अफसरों ने बताया कि लीनियर एक्सीलरेटर की खरीदी हो गई है। कैंसर यूनिट के लिए अस्पताल में बंकर भी तैयार है, मशीन को इंस्टॉल किया जा रहा है।

 

हमीदिया की मशीन ठंडे बस्ते में गई….
हमीदिया अस्पताल में लीनियर एक्सीलेटर का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में है। चार साल पहले केन्द्र सरकार ने हमीदिया अस्पताल को 24 करोड़ रुपए दिए थे। इसमें लीनियर एक्सीलरेटर लगाने का भी प्रस्ताव था। करीब छह करोड़ रुपए इस मशीन की लागत है।


विभाग ने खरीदी के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन मशीन नहीं खरीदी गई। यहां पर रेडियोथैरेपी विभाग में 4 सीट पर पोस्ट ग्रेज्युएशन कोर्स चल रहा है। इन सीटों की एमसीआई से मान्यता के लिए भी लीनियर एक्सीलरेटर जरूरी है।


लीनियर एक्सीलरेटर से नुकसान कम…
जीएमसी में रेडियोथैरेपी विभाग के डॉ. ओपी सिंह बताते हैं कि लीनियर एक्सीलरेटर में कैंसर के अलावा दूसरी कोशिकाओं को नुकसान कम होता है। कोबाल्ट व अन्य से बिना कैंसर वाली सेल प्रभावित होती हैं। प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।


लीनियर एक्सीलरेटर मशीन खरीदी जा चुकी है। मशीन लगाने के लिए बंकर भी तैयार है। जुलाई तक मरीजों को इसकी सुविधा मिलने लगेगी।
डॉ. मनीषा श्रीवास्तव, अधीक्षक, एम्स अस्पताल

20 दिन से नहीं है कार्डियोलॉजिस्ट, हार्ट अटैक के इलाज के दौरान मौत

उधर भोपाल मेमोरियल अस्पताल में 20 दिन से हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं है। इसका असर भी अब दिखाई देने लगा है। सोमवार को हार्ट अटैक से पीडि़त महिला मरीज की इलाज के दौरान मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि अगर डॉक्टर होते तो मौत नहीं होती।
मालूम हो कि यहां के एकमात्र कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. विवेक त्रिपाठी ने एक महीने के नोटिस के बाद एक मई को संस्थान छोड़ दिया था।


वहीं अस्पताल प्रबंधन ने दावा किया था कि डॉ. त्रिपाठी के जाने से पहले नए कंसलटेंट की भर्ती कर लेंगे। हालांकि अब तक किसी कंसलेंट ने अस्पताल में आमद नहीं दी है। जानकारी के मुताबिक मोती मस्जिद क्षेत्र में रहने वाली मुमताज बी (60) को हार्ट अटैक के चलते सोमवार सुबह बीएमएचआरसी लाया गया।

कार्डियोलॉजी विभाग में डॉक्टर ना होने के चलते मुमताज को मेडिसिन विभाग में भर्ती किया गया। यहां करीब 6.30 बजे मुमताज का निधन हो गया। मुमताज के दामाद ने बताया कि यहां डॉक्टर नहीं है।


बंद हैं कई विभाग
अस्पताल में एक दर्जन विभाग लंबे समय से बंद हैं। मार्च में डायरेक्टर डॉ. प्रभा देशीकन ने मॉनिटरिंग कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस वीके अग्रवाल के साथ हुई बैठक में दावा किया था कि &0 अप्रैल तक 16 विभागों में डॉक्टर्स की ज्वाइनिंग हो जाएगी। हालांकि अब तक एक भी डॉक्टर की भर्ती नहीं हो सकी है। मॉनिटरिंग कमेटी के सदस्य पूर्णेंदु शुक्ला ने बताया कि डॉक्टरों की भर्ती कब तक होगी, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से जानकारी मांगी गई है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो