मालूम हो कि गुरुवार सुबह श्यामपुर के पास ट्रैक्टर ट्राली पटलने से डेढ दर्जन लोग घायल हो गए थे। प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें हमीदिया रैफर किया गया। एक साथ इतने घायल आए तो अस्पताल में हड़कंप की स्थिति बन गई। इमरजेंसी में मरीजों को रखने के लिए बेड नहीं मिल रहे थे। सांसद प्रतिनिधियों का आरोप है कि डेढ़ दर्जन घायलों में से आधों को ही बेड मिल सका, बाकी के घायल स्ट्रेचर पर ही पड़े रहे।
निजी अस्पताल चले गए घायल बेड ना मिलने और इलाज ना मिलने से नाराज कुछ घायल निजी अस्पताल चले गए। उनका कहना है कि हमीदिया अस्पताल में ना कोई डॉक्टर देख रहा है ना ही स्टाफ। खून बह रहा है इसके बावजूद किसी ने उनकी सुध नहीं ली।
सीटी स्कैन तक नहीं हो सका जानकारी के मुताबिक कुछ घायलों की स्थिति गंभीर थी, उन्हें सीटी स्कैन कराने ले गए, लेकिन उनका सीटी स्कैन नहीं हो सका। बताया गया कि चोट वाली जगह पर इन घायलों का खून जम जाने के कारण सीटी स्कैन नहीं हो सका।
वेंटीलेटर की कमी से होते हैं परेशान हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल में 1100 बिस्तर हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक रेफ रल अस्पताल होने के नाते करीब यहां आने वाले 10 फ ीसदी मरीज गंभीर होते हैं। उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है, लेकिन दोनों अस्पतालों में कुल मिलाकर अभी सिर्फ 60 वेंटिलेटर हैें। हर विभाग में एक-दो वेंटिलेर खराब होते रहते हैं। इस तरह से आधे से ज्यादा वेंटिलेटर्स की कमी रहती है।
30 वार्मर में 55 नवजात
एसएनसीयू में 30 वार्मर हैं जहां हमेशा 40 से 50 नवजात तक भर्ती रहते हैं। यानी एक वार्मर पर दो-दो बच्चे हैं। ऐसे में इन बच्चों को एक-दूसरे से संक्रमण का खतरा बना रहता है। जेपी अस्पताल के एसएनसीयू में भी 30 वार्मर हैं। 30 से ज्यादा बच्चे होने पर उन्हें हमीदिया रेफर कर दिया जाता है।
एसएनसीयू में 30 वार्मर हैं जहां हमेशा 40 से 50 नवजात तक भर्ती रहते हैं। यानी एक वार्मर पर दो-दो बच्चे हैं। ऐसे में इन बच्चों को एक-दूसरे से संक्रमण का खतरा बना रहता है। जेपी अस्पताल के एसएनसीयू में भी 30 वार्मर हैं। 30 से ज्यादा बच्चे होने पर उन्हें हमीदिया रेफर कर दिया जाता है।
कई जांच भी बंद पड़ी
हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल के मरीजों की अहम जांचें भी नहीं हो पा रही हैं। हमीदिया स्थित सेंट्रल पैथोलॉजी लैब (सीपीएल) में कई जांचों की खत्म होने की वजह से यह समस्या है। कुछ जांचें तीन महीने से तो कुछ करीब एक महीने से बंद हैं। ऐसे में मरीजों को निजी लैब से जांच कराना पड़ रही है। इस पर 200 रुपए से लेकर 2000 रुपए तक खर्च करना पड़ रहा है।
हमीदिया और सुल्तानिया अस्पताल के मरीजों की अहम जांचें भी नहीं हो पा रही हैं। हमीदिया स्थित सेंट्रल पैथोलॉजी लैब (सीपीएल) में कई जांचों की खत्म होने की वजह से यह समस्या है। कुछ जांचें तीन महीने से तो कुछ करीब एक महीने से बंद हैं। ऐसे में मरीजों को निजी लैब से जांच कराना पड़ रही है। इस पर 200 रुपए से लेकर 2000 रुपए तक खर्च करना पड़ रहा है।
घायलों को देखने सांसद आई थीं, उन्होंने कुछ सुझाव दिए हैं। जो कमियां उन्होंने बताई उन्हें दूर किया जाएगा। किसी भी घायल को दिक्कत नहीं हुई, सभी को बेहतर उपचार मिला। – डॉ. एके श्रीवास्तव, अधीक्षक, भोपाल
सांसद प्रज्ञा ने सीएम पर साधा निशाना-कहा अंगुली कटाने से कोई शहीद नहीं हो जाता सांसद प्रज्ञा ठाकुर एक बार फिर अपने बयान को लेकर चर्चा में है। प्रज्ञा ने इस बार मुख्यमंत्री कमलनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि अंगुली कटाने से कोई शहीद नहीं हो जाता। दरअसल प्रज्ञा एक हादसे में घायलों को देखने हमीदिया अस्पताल पहुंची थी।
यहां अव्यवस्था देखकर वो नाराज हो गईं। सवाल जवाब के दौरान मीडिया ने जब तर्क दिया कि खुद सीएम कमलनाथ यहां आकर अपनी अंगुली का ऑपरेशन करवाते हैं ऐसे में यहां अव्यवस्था का आधार क्या है। जवाब में प्रज्ञा ने कहा कि अंगुली कटा लेने से कोई शहीद नहीं हो जाता।
राजनीति करने के लिए किया गया काम सिर्फ दिखावा होता है इसका जनता से कोई वास्ता नहीं होता। प्रज्ञा ने कहा कि उन्होंने जो देखा वो सीएमओ से कह दिया और सीएमओ ने उनकी बात को मानकर अव्यवस्था की बात स्वीकार की है। दो रोज पहले भी सांसद प्रज्ञा अपने बयान को लेकर चर्चा में थीं।
उन्होंने मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया की किताब के अंश का हवाला देकर कहा था कि मुंबई हमलों में हिंदुत्व को बदनाम करने की पटकथा पाकिस्तान में लिखी गई थी। इसी पटकथा को कांग्रेस की यूपीए सरकार ने आगे बढ़ाया इसलिए अब देश फैसला करें कि कांग्रेस राष्ट्र विरोधी है अथवा नहीं।