एम्स की टीम ने दो घंटे की जांच
सूचना पर एम्स भोपाल की टेक्निकल टीम ने भी हमीदिया अस्पताल के ऑक्सीजन प्लांट की जांच की। यहां ऑक्सीजन फ्लो ठीक होने पर टीम ने चारों मंजिल पर एक – एक बेड पर लगे फ्लो मीटर की जांच। करीब दो घंटे चली जांच के बाद टीम ने ऑक्सीजन फ्लों में कोई गड़बड़ी ना होने कीबात कही । हांलांकि फिलहाल उन्होंने रिपोर्ट अस्पताल प्रबंधन को नहीं दी है।
अस्पताल का तर्क, 27 मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर
कोविड वार्ड में चार मंजिलों पर 109 कोरोना मरीजों को भर्ती किया गया है। इनमें से 14 मरीज आईसीयू में और 13 मरीज वेंटीलेटर सपोर्ट पर हैं। इन सभी मरीजों को ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि अगर ऑक्सीजन सप्लाई में दिक्कत आती तो सभी मरीजों को परेशानी होती।
सीपीआर और शॉक से बचाई एक मरीज की जान
मरीजों की मौत के बाद डॉक्टरों ने सभी मरीजों की जांच की। इनमें से दो का ऑक्सीजन सेचुरेशन बहुत कम हो गया था। डॉक्टरों की टीम ने तत्काल दोनों मरीजों को सीपीआर और शॉक दिए। इससे एक मरीज की जान बच गई लेकिन 59 साल के ओमप्रकाश की जान नहीं बचाई जा सकी। जानकारी के मुताबिक ओमप्रकाश डीप निमोनिया से पीडि़त थे। बुधवार रात भी उनकी तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ गई थी उस दौरान भी उन्हें सीपीआर के माध्यम से बचाया गया था।
अंबुबैग और ऑक्सीजन सिलेंडर है विकल्प
अस्पताल के डॉ.़ राकेश मालवीय ने बताया कि अगर किन्ही कारणों से मरीजों को ऑक्सीजन सप्लाई बंद हो जाए तो दिक्कत नहीं होती। मरीजों को अंबुबैग से हाथों से ऑक्सीजन दी जाती है। वहीं सभी अस्पताल में जंबो मशीन और ऑक्सीजन सिलेंडर होते हैं जिन्हे जरूरत पडऩे पर ही उपयोग में लाया जाता है।
वर्जन
दो मरीजों की हालत गंभीर थी। इनमें एक मरीज को डीप निमोनिया की शिकायत थी और वो तीन दिन से वेंटीलेटर पर था। गुरुवार सुबह उसकी हालत बहुत खराब हो गई। अस्पताल स्टाफ ने इसी सूचना जब डॉक्टर को दी उस दौरान ही यह अफवाह फैल गई। मरीज की मौत स्वभाविक है, ऑक्सीजन प्लांट से कोई संबंध नहीं है।
डॉ. एके श्रीवास्तव, अधीक्षक, हमीदिया अस्पताल