इस हस्तशिल्प को मिलेगा बढ़ावा
टीकमगढ़ में सॉफ्ट स्टोन यानी रंगीन पत्थर का बड़ा काम होता था, लेकिन आज ये काम बंद हो गया है। सरकार इसे फिर शुरू करवाएगी। इंदौर और शाजापुर जैसे मालवा के बड़े शहरों में चर्म शिल्प का बड़ा कारोबार था, लेदर के खिलौनों से लेकर अन्य वस्तुएं बनाई जाती थीं, लेकिन वो भी अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है। निगम इस चर्म शिल्प को बढ़ावा देने के लिए सरकारी स्तर पर बड़ी योजना तैयार कर रही है। इसी तरह सिरेमिक और टेराकोटा के काम को भी प्रोत्साहित किया जाएगा। जूट का सामान, पीतल और बेल मेटल की वस्तुओं की बेहतर मार्केटिंग कर उनको और बढ़ावा देगा।
इस तरह होगा निगम में बदलाव
ह स्तशिल्प विकास निगम में चार महाप्रबंधक होते हैं, जो डेवलपमेंट, वित्त, समन्वय और प्रशासन का काम देखते हैं। इनका फोकस हस्तशिल्प के विकास पर कम और सरकारी कामकाज पर ज्यादा रहता है। निगम के प्रस्ताव के अनुसार अब दो अलग महाप्रबंधक बनाए जाएंगे। एक हस्तशिल्प तो दूसरे हथकरघा के महाप्रबंधक रूप में काम करेंगे। निगम प्रदेश के जितने हस्तशिल्प के लिए काम करता है, उतने ही अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे यानी एक हस्तशिल्प को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी एक अधिकारी के पास होगी। निगम नए सिरे से मार्केटिंग की स्ट्रेटजी तैयार करेगा। प्रदेश के हस्तशिल्प को देश के साथ-साथ विदेशी बाजार में भी उतारा जाएगा। छह महीने से बंद पड़ी निगम की वेबसाइट को नए सिरे से डिजाइन किया जा रहा है। हैदराबाद, रायपुर, बिलासपुर, मुंबई, पुणे जैसे बड़े शहरों में स्टोर खोले जाएंगे, यहां तक कि निगम गुजरात में बने स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी यानी सरदार पटेल की सबसे बड़ी मूर्ति के पास भी अपना स्टोर खोलेगा।
हम हस्तशिल्प विकास निगम की री-स्ट्रक्चरिंग का प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं। प्रदेश के मिटते जा रहे हस्तशिल्प को न सिर्फ बचाने की योजना है, बल्कि उसे अंतरराष्ट्रीय पहचान भी दिलाई जाएगी। जल्द ही ये प्रस्ताव सरकार को सौंपा जाएगा।
राजीव शर्मा, एमडी, मप्र हस्तशिल्प विकास निगम