जिले के खिरकिया जनपद पंचायत के आदिवासी अंचल मोरगढ़ी में हर साल दीपावली के बाद ठोठिया बाजार लगता है। कहा जाता है कि ये परंपरा वर्षों से चली आ रही है और मौजूदा पीढ़ी भी इसी परंपरा का निर्वाहन करती है। परंपरा के अनुसार, इस बाजार में आदिवासी समुदाय के लड़के और लड़कियां अपने पसंदीदा साथी से प्रेम का इजहार करते हैं और फिर एक दूसरे को पान खिलाते हैं। पाने खाने के साथ ही ये जोड़ा एक दूसरे का हो जाता है। ऐसी मान्यता है कि पान खिलाना शादी की पहली रस्म है और पाने खिलाने के बाद ही दोनों की शादी विधि-विधान से कर दी जाती है।
इस गांव के गांव के बुजुर्गों को भी यह नहीं मालूम है कि आखिर यह परंपरा कब शुरू हुई थी। लेकिन आज भी इस परंपरा का निर्वह ये समाज कर रहा है। यहां परंपरा निभाने के लिए कोरकू और गौंड जनजाति के युवक-युवती आते हैं। बाजार में युवक पारंपरिक वेशभूषा धोती-कुर्ता तो युवतियां लहंगा व चुनरी डालकर आती हैं। यह बाजार बीच गांव में लगता है। इस दौरान आदिवासी नृत्य भी होता है और आदिवासी वाद्ययंत्र भी बजाए जाते हैं। यह बाजार दोपहर 12 बजे से शुरू होता है और रात में करीब 8 बजे तक चलता है। इसमें युवक-युवती एक-दूसरे को पसंद करते हैं और फिर उनके बीच शादी मान ली जाती है। बताया जाता है कि हर साल करीब आधा दर्जन युवक-युवतियां इस बाजार में शादी करते हैं।