हरी सिंह: दिलवा देंगे। बनी-बनाई एक-आध लाख में मिल जाएगी।
रिपोर्टर: कहां पर है, खाली जगह कम से कम कितने में मिलेगी?
हरी सिंह: रोड पर तो जब जगह महंगी मिलेगी। एक-डेढ लाख रुपए से कम में नहीं मिलेगी।
रिपोर्टर: कितनी जगह होगी?
हरी सिंह: बस, एक कोटे या दो कोटे की।
रिपोर्टर: दो कोटे का मतलब दो कमरे की जगह? 20 गुणा 20 फीट की, इसी रोड पर मिल जाएगी?
हरी सिंह: हां, इसी रोड पर आगे मिल जाएगी। अंदर तो बनी-बनाई मिलेगी?
रिपोर्टर: बनी-बनाई कितने में मिल जाएगी, आसपास हो तो देख लें?
हरी सिंह: बनी-बनाई के दो लाख पकड़ लो। प्लॉट लेकर बनवाओगे तो एक-डेढ़ लाख रुपए लग ही जाएंगे। इसके सिवा ईंट, गिट्टी, रेत, सीमेंट लगेगा। दो महीने का टाइम लगता है। 20-25 हजार रुपए तो लेबर लग जाती है।
रिपोर्टर: अब तो अपनी सरकार है, सब पक्का हो जाएगा?
हरी सिंह: हां, अब तो सरकार ने घोषणा कर दी कि सभी झुग्गीवालों को बनाने के लिए 2.5 लाख रुपए देंगे।
हरी सिंह: कागज नहीं मिलेगा। मीटर वगैरह है। किसी को पट्टा मिल चुका है, किसी की पर्ची इधर-उधर हो गई तो रह गया।
रिपोर्टर: आप तो सब बनवा देंगे?
हरी सिंह: हां, सब काम करवा देंगे, कल आ जाना।
(हरी सिंह ने कांग्रेस नेता अर्जुन पलिया का ड्राइवर बताकर एक व्यक्ति की झुग्गी दिखवाई, जिसमें सामने एक छोटी सी दुकान भी उसकी पत्नी चलाती है। ड्राइवर घर नहीं था, लेकिन महिला ने घर दिखाया और बताया कि वे दूसरी जगह जा रहे हैं, इसलिए झुग्गी बेच रहे हैं। इसी तरह सड़क के किनारे कुछ अन्य झुग्गियां और प्लॉट भी हरी सिंह ने रिपोर्टर को दिखाए और अगले दिन आने के लिए कहा।)
पूरे शहर में झुग्गी-बस्तियां जगह-जगह बसा दी गई हैं। इनके पीछे राजनीतिक संरक्षण रहता है। वल्लभ भवन मंत्रालय के सामने से लेकर शहर में सब स्थानों पर ऐसी बस्तियां आबाद हैं। भीम नगर, राजीव नगर, ओम नगर, शिव नगर, पंचशील नगर, अंबेडकर नगर, अन्ना नगर, ईश्वर नगर, दामखेड़ा, अन्ना नगर, बांसखेड़ी, कान्हा कुंज समेत सैकड़ों झुग्गी बस्तियों ने शहर की सरकारी जमीन, पार्क, ग्रीन बेल्ट आदि निगल लिए हैं।
बीएचईएल टाउनशिप की वर्तमान में करीब 4 हजार 833.21 एकड़ जमीन है। इसमें 150 एकड़ जमीन पर 16 झुग्गी बस्तियां बस चुकी हैं। शुरुआत में अन्ना नगर, विकास नगर सहित अलग-अलग जगहों पर गिनी-चुनी झुग्गियां थीं। लेकिन, स्थानीय नेता झुग्गी व भू-माफियाओं को संरक्षण देते रहे। देखते-देखते ही भेल में झुग्गियों की संख्या बढ़ती गई। वर्तमान में अन्ना नगर और विकास नगर में ही 2500 झुग्गियां हैं। भेल नगर प्रशासन पिछले 50 सालों से झुग्गियों को नहीं हटा पाया। भू-माफियाओं ने 400 से लेकर 600 वर्गफीट के प्लॉट काटे। यही नहीं कई जगहों पर बास की बल्लियों की झुग्गियां बनाकर 15 से 40 हजार रुपए तक में बेची गईं। इसके बाद लोगों ने टीन शेड वाले आवास बना लिए। वर्तमान में भेल की बाउंड्रीवॉल के भीतर खाली पड़ी भेल की जमीन पर भी अतिक्रमण जारी है। भेल नगर प्रशासन ने ऐसी कोई बड़ी अतिक्रमण विरोधी मुहिम नहीं चलाई, जिससे भेल टाउनशिप में अतिक्रमण करने वाले भू-माफियाओं पर अंकुश लग सके।
भेल कारखाने को अस्तित्व में आए 60 साल हो चुके हैं। उसी समय अन्ना नगर में झुग्गियां बननी शुरू हुईं थीं। भेल नगर प्रशासन उस समय सख्त कार्रवाई नहीं कर पाया। स्थानीय नेताओं व यूनियन के नेताओं ने झुग्गी बनाने वालों का संरक्षण देते रहे। इससे छह दशकों में 2500 झुग्गिया बस गईं। अन्ना नगर के पास एक विकास नगर भी बन गया। अब भी भेल नगर प्रशासन झुग्गियों को नहीं हटा पा रहा है।
भेल की खाली पड़ी जमीन में हर माह 50 नई झुग्गियां तन जाती हैं। भेल नगर प्रशासन इनमें से 10 झुग्गियों को ही हटा पाता है। एक बार भी एक सिरे से झुग्गियां हटाने की कार्रवाई नहीं हुई है। उसका सबसे बड़ा कारण यह है कि विधायक, पार्षद व स्थानीय नेता झुग्गी माफियाओं के साथ खड़े हो जाते हैं और कार्रवाई के विरोध में धरने पर बैठ जाते हैं। इस कारण यह झुग्गियां नहीं हटाई जा पा रही हैं।
मैं झुग्गी-झोपड़ी और प्लॉट बेचने का काम नहीं करता। लोग खुद बनाते और बेचते हैं, नाम मेरा दे देते हैं। कांग्रेस झुग्गी-झोपड़ी प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ईश्वर सिंह चौहान ने मुझे मप्र झुग्गी-झोपड़ी प्रकोष्ठ में महामंत्री बनाया है।
– संतोष कुमार वर्मा, एडीएम
इस बारे में जिला प्रशासन के जो भी दिशा-निर्देश होते हैं, उनका पालन किया जाता है। बिना दस्तावेजों के खरीद-फरोख्त ही गलत है।
– हरीश गुप्ता, उपायुक्त, नगर निगम