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अब शहर में भी हार्ट ट्रांसप्लांट की सुविधा

locationभोपालPublished: May 13, 2018 07:06:21 am

Submitted by:

KRISHNAKANT SHUKLA

रेडक्रॉस अस्पताल को मंजूरी अस्पताल ने पूरी की सभी औपचारिकताएं

red cross hospital

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भोपाल. अब हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए शहरवासियों को दिल्ली-मुंबई की दौड़ नहीं लगानी होगी। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने शहर के सिद्धांता रेडक्रॉस अस्पताल को इसके लिए हरी झंडी दे दी है। यह पांच साल तक वैध रहेगा। कॉलेज प्रशासन के मुताबिक अस्पताल इसके लिए पूरी तरह योग्य है।
अस्पताल प्रशासन के अनुसार सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं। यहां शहर के ही जरूरतमंद मरीज को फायदा मिलेगा। सबसे बड़ी बात यह है कि इस सुविधा के शुरू होने के बाद मरीजों को लाखों रुपए खर्च कर अंग दूसरे शहरों में नहीं भेजने पड़ेंगे। अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. सुबोध वाष्र्णेय ने बताया कि प्रदेश में सालभर में 250 से ज्यादा मरीजों को हार्ट और तीन हजार मरीजों को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है।
आधी कीमत में इलाज : सबसे बड़ी राहत की बात यह है कि हमारे शहर में मिलने वाली ट्रांसप्लांट की सुविधा बड़े शहरों से करीब आधी कीमत में मिल जाएगी। दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में इसके लिए 25 से 30 लाख रुपए का खर्च आता है। वहीं राजधानी में यह 20 लाख से भी कम में हो जाएगा।

बढ़ जाती है उम्र : डॉ. वाष्र्णेय के मुताबिक शहर में करीब 20 हजार मरीजों को हार्ट फैलियर का खतरा है। उन्होंने बताया कि हार्ट फैलियर की स्थिति में हार्ट ट्रांसप्लांट सबसे बेहतर विकल्प है। ट्रांसप्लांट के बाद 12 से 15 साल तक उम्र बढ़ जाती है।

देश में हर साल 5 हजार हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत, शहर में 20 मरीज कतार में :शहर में हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए 20 , हार्ट लंग्स के लिए 5 तथा लंग्स ट्रांसप्लांट के लिए दो मरीजों की वेटिंग है। विशेषज्ञ के अनुसार देश में हर साल 4 से 5 हजार हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत होती है, लेकिन सिर्फ 90 से 100 हार्ट ट्रांसप्लांट ही हो रहे हैं।

 

दिल के ऑपरेशन के साथ डायलिसिस भी
एम्स भोपाल में शनिवार से कई सुविधाएं शुरू हुईं। यहां अत्याधुनिक डिजिटल सबट्रेक्शन एंजियोग्राफी डीएसए (कैथ लैब) की सुविधा शुरू की गई। इसमें दिल के मरीजों के ऑपरेशन के साथ खून की नसों के ब्लॉकेज को खोलने के लिए एंजियोप्लास्टी की जाएगी। इसके साथ ही लेजर फिस्टूला की एंजियोप्लास्टी विभिन्न अंगो के बहते खून को रोकने से लेकर बच्चेदानी का बिना चीरा लगाए इलाज कर सकेगा।

नेत्र रोग मरीजों के 20 बिस्तर का वार्ड : यहां डायलिसिस यूनिट को भी शुरू किया गया है। इसके लिए यहां दो डायलिसिस मशीन लगाई गई है, जिसमें रोजाना डायलिसिस की जाएगी। साथ ही नेत्र रोग मरीजों को भर्ती करने के लिए यहां पर 20 बिस्तर के वार्ड की सुविधा शुरू कर दी गई है।

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