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Health Department Negligence: एफेरेसिस मशीन दी,पर किट नहीं, जेपी अस्पताल की मशीन एम्स को करनी पड़ी दान

locationभोपालPublished: Aug 09, 2019 10:39:39 am

Submitted by:

Amit Mishra

स्वास्थ्य विभाग ने जिला अस्पतालों में प्लेटलेट की कमी पूरी करने एफेरेसिस मशीनें लगाई

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भोपाल। तीन साल कबाड़ में रखने के बाद जेपी अस्पताल health department negligence में रखी रक्त से प्लेटलेट अलग करने वाली 15 लाख रुपए की एफेरेसिस मशीन Apheresis machine आखिरकार एम्स को दान कर दी है। अब जेपी के मरीजों को दूसरे अस्पतालों के भरोसे रहना होगा। स्वास्थ्य विभाग ने जिला अस्पतालों में प्लेटलेट की कमी पूरी करने एफेरेसिस मशीनें लगाई। विभाग ने मशीन दी, लेकिन प्लेटलेट platelets रखने किट उपलब्ध नहीं। ऐसे में डोनर को 10 हजार रुपए की किट खरीदनी पड़ रही थी।

 

यही कारण है कि तीन सालों में इस मशीन से किसी भी मरीज को प्लेटलेट नहीं दिया गया। गौरतलब है कि वर्ष 2016 में शहर में डेंगू का प्रकोप बढऩे पर प्लेटलेट की मांग अधिक हो गई थी। जिला अस्पताल में सिंगल डोनर प्लेटलेट निकालने के लिए विभाग ने 15 लाख रुपए मशीन लगवाई थी।

 

 

ग्वालियर, जबलपुर व उज्जैन में भी यही हाल
सरकार ने जेपी के साथ ग्वालियर, जबलपुर, रतलाम व उज्जैन को भी एफेरेसिस मशीनें दी थीं। वहां भी धूल खा रही हैं। भोपाल में मशीन एम्स को दान की गई है, जिसके प्रयास अन्य जिलों में भी हो रहे हैं। इसके लिए उज्जैन मेडिकल कॉलेज से बात गई थी, लेकिन उन्होंने मना कर दिया।


ढाई घंटे में अलग होता है प्लेटलेट
मशीन डोनर से ब्लड लेकर प्लेटलेट अलग करती है और बाकी ब्लड वापस चढ़ा देती है। एक यूनिट प्लेटलेट को चार पांच हिस्सों में निकाला जाता है। इसमें दो से ढाई घंटे लगते हैं।


विभाग के आला अफसरों का तर्क है
विभाग के अधिकारियों का कहना है कि डेंगू मरीजों से ज्यादा कैंसर पीडि़तों को प्लेटलेट जरूरत होती है। ऐसे में मेडिकल कॉलेजों में इस मशीन की जरूरत ज्यादा है, लिहाजा उन्हें दिया जा रहा है।

 

जिला अस्पतालों में प्लेटलेट की जरूरत कम होती है, ऐसे में मशीन रखने से कोई फायदा नहीं है। जब मरीजों को जरूरत होगी तो हम अन्य ब्लड बैंकों से व्यवस्था कर लेंगे। किसी को दिक्कत नहीं होगी।
राकेश मुंशी, संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य संचालनालय

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