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इंदौर से भोपाल तक बना ग्रीन कॉरीडोर, लिवर लेकर आई एंबुलेंस ने पौने तीन घंटे में तय किया भोपाल तक का सफर

locationभोपालPublished: Sep 17, 2021 12:42:15 am

– बंसल हॉस्पिटल में पहली बार स्थानीय डॉक्टरों ने किया लिवर ट्रांसप्लांट- कोरोना काल के बाद यह पहला कैडेवर लिवर ट्रांसप्लांट

liver transplant
भोपाल.एक व्यक्ति को लिवर ट्रांसप्लांट कर जीवनदान देने के लिए गुरूवार को दो शहरों के बीच की रफ्तार कुछ समय के लिए थम गई। इस बीच एक एंबुलेंस लिवर लेकर लगभग सौ किमी प्रति घंटा की रफ्तार से इंदौर से भोपाल पहुंची। इसके लिए इंदौर से लेकर भोपाल तक ग्रीन कॉरीडोर बनाया गया। गुरुवार को इंदौर के चोइथराम अस्पताल से भोपाल के बंसल अस्पताल के बीच ग्रीन कॉरीडोर बनाया गया। इसके लिए दोनों शहरों के जिला प्रशासन ने तैयारी की और शाम लगभग साढ़े सात बजे इंदौर से एंबुलेंस रवाना की गई, जो लगभग पौने तीन घंटे में रात सवा दस बजे भोपाल पहुंची। इसके लिए रास्ते में पडऩे वाले अन्य जिलों के प्रशासन और पुलिस की भी मदद ली गई।
इंदौर की 51 वर्षीय डेंटल सर्जन डा. संगीता पाटिल का लिवर भोपाल के बंसल अस्पताल में भर्ती शाजापुर जिले के 35 साल के एक युवक को लगाया जाएगा। बंसल अस्पताल के डॉक्टर ने बताया कि उन्हें बुधवार देर शाम सोटो इंदौर से यह सूचना मिली कि एक लीवर डोनेशन के लिए मिल सकता है। यह जानकारी मिलते ही बंसल हॉस्पिटल की टीम इंदौर से लिवर लेकर आने और ट्रांसप्लांट की तैयारियों में जुट गई। गुरुवार को जब यहां लिवर पहुंचा उसके पहले ही डॉक्टरों ने सारी तैयारियां कर ली थी। 10:15 बजे लिवर अस्पताल पहुंचते ही अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया और सीधे ट्रांसप्लांट शुरू कर दिया गया। ट्रांसप्लांट की गाइडलाइन के अनुसार अंगदान पर पहला हक सबसे नजदीकी मरीज का होता है। बंसल अस्पताल के पास जो सूची है, उसमें पहला नाम शाजापुर जिले के शुजालपुर के 35 वर्षीय युवक का था। उसे अस्पताल प्रबंधन ने तत्काल खबर भेजी और अस्पताल बुलवाया। लिवर सिरोसिस बीमारी के कारण उसका लिवर खराब हो गया था। कोरोना काल के बाद यह पहला कैडेवर लिवर ट्रांसप्लांट है।
लोकल डॉक्टर्स की टीम ने किया आपरेशन

भोपाल अब तक हुए सभी ट्रांसप्लांट में ऐसा पहली बार हुआ है कि ऑपरेशन में शामिल सभी डॉक्टर्स भोपाल के हैं। जबकि इससे पहले हुए प्रत्यारोपण में देश के दूसरे शहरों से डॉक्टर बुलाए जाते थे। बंसल अस्पताल के डायरेक्टर डा. स्कंद त्रिवेदी के अनुसार उनके यहां अभी तक जीवित और ब्रेन डेड लोगों से मिले 12 लिवर ट्रांसप्लांट किए गए हैं। उन्होंने कहा कि पहली बार भोपाल में ब्रेन डेड मरीज का लिवर ट्रांसप्लांट भोपाल के डाक्टरों की टीम कर रही है। अभी तक अस्पतालों में बाहर के डाक्टरों की टीम आ रही थी। मध्य भारत में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी एक अस्पताल के डॉक्टर्स ने प्रत्यारोपण को सफल बनाया है। इस आपरेशन में अस्पताल के लिवर ट्रांसप्लांट एक्सपर्ट डॉ. गुरसाग सिंह सहोता ने मुख्य भूमिका निभाई और अस्पताल के कुल 8 डॉक्टर्स ने आपरेशन में किस्सा लिया।
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