भोपाल

उड़द, मैथी और गुड़ से सुधर रही ओरछा के महलों की सेहत

पालकी और जुझार सिंह महल का काम लगभग पूरा, अब टकसाल में होगा काम

भोपालFeb 19, 2024 / 07:09 pm

brajesh tiwari

उड़द, मैथी और गुड़ से सुधर रही ओरछा के महलों की सेहत

अनिल रावत
टीकमगढ़. श्रीरामराजा लोक निर्माण के साथ ही अब ओरछा के पुरातत्व महत्व के स्मारकों का भी रूप निखरने लगा है। उड़द, मैथी, गुड़ और बेल जैसे प्राकृतिक तत्तवों से इन जर्जर भवनों की सेहत सुधारी जा रही है। महलों की मरम्मत के लिए यूनेस्को ने गाइड लाइन का पालन किया जा रहा है। इससे इनका पुरातत्व महत्व भी बना रहेगा और पुरातन स्वरूप देखने को मिलेगा।
लाइम प्लास्टर से हो रही मरम्मत
इन महलों को पुरातन स्वरूप में वापस लाने के लिए लाइम प्लास्टर से मरम्मत का काम किया जा रहा है। लाइम प्लास्टर में सबसे पहले चूने को 21 दिन के लिए बुझाया(गलाया) जाता है। इसके बाद इसमें रेत मिलाई जाती है। यह मिश्रण तैयार होने के बाद इसमें सुरखी(ईंट का चूरा), उड़द दाल और मैथी का पानी, गुड़, बेल, जूट की रस्सी(सन) का मिश्रण मिलाया जाता है। यह मसाला उतना ही तैयार किया जाता है, जितनी आवश्यकता होती है। इससे किया गया काम काफी देर में दिखाई देता है। कई दिनों तक काम होने के बाद ही इन पुराने महलों का निखरा रूप से अब सामने आ पाया है।
पुराना स्वरूप देने का प्रयास :
महलों में पूर्व में राजस्व, नगर परिषद एवं न्यायालय विभाग के अधिकारियों के निवास थे। अधिकारियों के निवास होने पर इन महलों में आधुनिक बदलाव किए गए थे। पालकी महल में अलग से किचन और बाथरूम बनाया गया था। इन सभी निर्माणों तोड़ा गया है। इन पर वाटर ब्लास्टिंग एवं सेंड ब्लास्टिंग से सफाई की गई है।
सालों से नहीं हुआ था काम
इन भवनों में सालों से काम नहीं हुआ था। अधिकारियों के निवास होने पर इन महलों में नए तरीके से काम किए गए थे। ओरछा के विश्व विरासत शहर में शामिल होने एवं यहां पर श्रीरामराजा लोक का प्रोजेक्ट आने के बाद से अब महलों के दिन भी फिरने लगे हंै।
पीयूष वाजपेयी, उपयंत्री पर्यटन विभाग
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