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हमीदिया पर बढ़ा बोझ
राजधानी के अन्य सरकारी अस्पतालों में दिल के इलाज की बेहतर व्यवस्थाएं नहीं होने से हमीदिया अस्पताल पर मरीजों का बोझ बढ़ा है। यहां पांच कार्डियोलॉजिस्ट और दो कार्डियक सर्जन हैं। ओपीडी में 250 मरीज आते हैं, जिनमें से औसतन 15 से 20 मरीजों को सर्जरी की जरूरत होती है। अत्याधुनिक कैथ लैब होने से यहां रोजाना एक मेजर और सात मानइर सर्जरी होती हैं। इसके बाद भी मरीजों की संख्या अधिक होने से मरीजों को ऑपरेशन के लिए 15 दिन से एक महीने का इंतजार करना पड़ता है।
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अन्य अस्पतालों में भी दिक्कतें कम नहीं
एम्स भोपाल में कार्डियक विंग ने काम करना शुरू किया है, पर ऑपरेशन नहीं किए जा रहे हैं। जेपी और कमला नेहरू अस्पताल में एक भी कार्डियक स्पेशलिस्ट नहीं है। यहां आने वाले मरीजों को हमीदिया अस्पताल रैफर किया जाता है। हालांकि बीएमएचआरसी में चार विशेषज्ञ हैं, लेकिन यहां आने वाले अधिकतर मरीज गैस पीडि़त ही होते हैं।
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अस्पतालों में कार्डियक स्पेशलिस्ट और सर्जन की कमी से मरीजों की आफत
अस्पतालों में होने वाली दिक्कतें
सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर और इलाज की स्थिति अस्पताल___विशेषज्ञ___ओपीडी__मेजरऑपरेशन ___माइनरऑपरेशन_____वेटिंग
हमीदिया_____06_____250 _____01_____8_____01 माह
एम्स भोपाल_____01 _____150 _____01 _____00_____1.5 माह
बीएमएचआरसी _____04 _____200_____01 _____04_____1.5 माह
जेपी अस्पताल_____00 _____150_____00_____00_____00 माह
कमला नेहरू_____00_____150_____00 _____00_____00 माह