कमलनाथ की सरकार ने तीन प्रकार के कुत्तों का तबादला किया है। जिसमें ट्रेकर,स्नाईफर और नार्को शामिल हैं। सबकी खासियत हम आपको आगे बताएंगे। लेकिन उससे पहले इस पर हो रही राजनीति के बारे में जान लेते हैं।
पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को भोपाल में कहा कि सीएम हाउस की सुरक्षा में जो लोग लगे थे इंसान तो ठीक कुत्तों तक के ट्रांसफर कर दिए जा रहे हैं। वहीं, विरोधियों के वार पर कांग्रेस सरकार बचाव कर रही है। कांग्रेस का कहना है कि यह तबादले एक प्रक्रिया के तहत हुई है। इसमें कोई रुपयों का लेन देन नहीं हुआ है। अब आइए इन कुत्तों के बारे में बताते हैं।
दरअसल, मध्यप्रदेश की सरकार ने 46 कुत्तों का तबादला किया है। इन कुत्तों के साथ इनके हैंडलर भी साथ गए हैं। इन कुत्तों की खासियत यह है कि अपनी कुदरती शक्ति की वजह से जटिल से जटिल केस को सुलझा लेते हैं। ये सरकारी विभाग के कर्मी होते हैं। इन्हें सुविधाएं भी सरकारी कर्मचारियों की तरह मिलते हैं। ऐसे में सरकारी नियमों का पालन भी इन्हें करना पड़ता है। जब ये एक-जगह से दूसरे जगह जाते हैं तो साथ में इन्हें ट्रेंड करने वाले हैंडलर भी जाते हैं।
इसे भी पढ़ें: आशीर्वाद लेने के लिए झुकी चार महीने की प्रेग्नेंट बेटी तो पिता ने काट दी गर्दन, मुंबई से भाग सतना में BF से की थी शादी स्नाईफर कर रहे हैं कमलनाथ की सुरक्षा
सीएम हाउस की सुरक्षा में डफी, रेणु और सिकंदर हैं। तीनों ही स्नाईफर डॉग हैं। स्नाईफर डॉग को वीवीआईपी सुरक्षा में ही लगाया जाता है। स्नाईफर प्लांट किए गए विस्फोटक को पहचान लेता है। साथ ही किसी प्रकार के खतरे की आहट से भी अपने हैंडलर को अलर्ट कर देता है। इसलिए हमेशा वीवीआईपी दौरे के दौरान स्नाईफर का ही इस्तेमाल किया जाता है।
सीएम हाउस की सुरक्षा में डफी, रेणु और सिकंदर हैं। तीनों ही स्नाईफर डॉग हैं। स्नाईफर डॉग को वीवीआईपी सुरक्षा में ही लगाया जाता है। स्नाईफर प्लांट किए गए विस्फोटक को पहचान लेता है। साथ ही किसी प्रकार के खतरे की आहट से भी अपने हैंडलर को अलर्ट कर देता है। इसलिए हमेशा वीवीआईपी दौरे के दौरान स्नाईफर का ही इस्तेमाल किया जाता है।
हैंडलर का ही मानते हैं हुक्म
जानकार बताते हैं कि ये कुत्ते सिर्फ और सिर्फ अपने ट्रेनर का ही हुक्म मानते हैं। कुत्तों और ट्रेनर यानी इनके हैंडलर के बीच बाप-बेटे का रिश्ता होता है। वो बहुत ही अच्छे तरीके से इनका केयर करते हैं। इनके हैंडलर अपने बच्चों से ज्यादा कुत्तों का ख्याल रखते हैं। उनके आदेश पर ये कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। जो मास्टर इन्हें ट्रेंड करते हैं , उनका ट्रांसफर नहीं होता है और न ही अलग किया जाता है। जब तक ये जीवित रहते हैं, तब तक इन्हें एक ही हैंडलर हैंडल करता है।
जानकार बताते हैं कि ये कुत्ते सिर्फ और सिर्फ अपने ट्रेनर का ही हुक्म मानते हैं। कुत्तों और ट्रेनर यानी इनके हैंडलर के बीच बाप-बेटे का रिश्ता होता है। वो बहुत ही अच्छे तरीके से इनका केयर करते हैं। इनके हैंडलर अपने बच्चों से ज्यादा कुत्तों का ख्याल रखते हैं। उनके आदेश पर ये कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। जो मास्टर इन्हें ट्रेंड करते हैं , उनका ट्रांसफर नहीं होता है और न ही अलग किया जाता है। जब तक ये जीवित रहते हैं, तब तक इन्हें एक ही हैंडलर हैंडल करता है।
इसे भी पढ़ें: दलित से शादी करने पर मोदी सरकार देती है 2.5 लाख रुपये, मध्यप्रदेश में भी चल रही है ऐसी योजना अपराध की तफ्तीश के लिए इस्तेमाल
इन कुत्तों का इस्तेमाल पुलिस में अपराध की तफ्तीश के लिए किया जाता है। बिना हैंडलर के ये किसी भी क्राइम स्पॉट पर नहीं जाते हैं। बिना हैंडलर के किसी भी घटना का कोई सुराग नहीं जुटा पाते हैं। इसके पीछे की वजह यह है कि ये सिर्फ उन्हीं के इशारों को समझते हैं। इसे दूसरा कोई भी हैंडल नहीं कर सकता है। हर तरह की क्राइम के इनवेस्टिगेशन में इनका इस्तेमाल होता है।
इन कुत्तों का इस्तेमाल पुलिस में अपराध की तफ्तीश के लिए किया जाता है। बिना हैंडलर के ये किसी भी क्राइम स्पॉट पर नहीं जाते हैं। बिना हैंडलर के किसी भी घटना का कोई सुराग नहीं जुटा पाते हैं। इसके पीछे की वजह यह है कि ये सिर्फ उन्हीं के इशारों को समझते हैं। इसे दूसरा कोई भी हैंडल नहीं कर सकता है। हर तरह की क्राइम के इनवेस्टिगेशन में इनका इस्तेमाल होता है।
तीन प्रकार की मिलती है ट्रेनिंग
पुलिस विभाग में काम करने वाले कुत्तों को तीन प्रकार की ट्रेनिंग मिलती है। पहला ट्रैकर होता है। इसकी ट्रेनिंग लेने वालों कुत्तों को ट्रैकर डॉग कहा जाता है। इनका उपयोग क्राइम की घटनाओं में होता है। इसके बाद स्नाईफर डॉग होते हैं जो वीवीआईपी सुरक्षा में लगाए जाते हैं। खतरों को पहले ही भांप लेते हैं। सीएम कमलनाथ की सुरक्षा में भी स्नाईफर डॉग की ही तैनाती है। फिर नार्को डॉग होते हैं। इनको मादक पदार्थों को पहचाने की ड्यूटी दी जाती है। जैसे चरस, हीरोइन और गांजा जैसे मादक पदार्थों का पकड़ना।
पुलिस विभाग में काम करने वाले कुत्तों को तीन प्रकार की ट्रेनिंग मिलती है। पहला ट्रैकर होता है। इसकी ट्रेनिंग लेने वालों कुत्तों को ट्रैकर डॉग कहा जाता है। इनका उपयोग क्राइम की घटनाओं में होता है। इसके बाद स्नाईफर डॉग होते हैं जो वीवीआईपी सुरक्षा में लगाए जाते हैं। खतरों को पहले ही भांप लेते हैं। सीएम कमलनाथ की सुरक्षा में भी स्नाईफर डॉग की ही तैनाती है। फिर नार्को डॉग होते हैं। इनको मादक पदार्थों को पहचाने की ड्यूटी दी जाती है। जैसे चरस, हीरोइन और गांजा जैसे मादक पदार्थों का पकड़ना।
भौंक कर बता देते हैं अपराधियों की संख्या
इन कुत्तों का 24 घंटे अपने ट्रेनर के साथ ही बीतता है। ये इतने ट्रेंड होते हैं कि अपराधियों की संख्या भौंक कर बता देते हैं। अगर चार अपराधी हैं तो ये चार बार भौकेंगे। यही नहीं आतंकियों और अपराधियों के हथियार लुटने में भी इन्हें महारथ हासिल होती है। ट्रेनर के एक इशारे पर ये मरने-मिटने को तैयार हो जाते हैं। इन्हीं खासियतों की वजह से ये किसी भी फोर्स के लिए अहम हो जाते हैं।
इन कुत्तों का 24 घंटे अपने ट्रेनर के साथ ही बीतता है। ये इतने ट्रेंड होते हैं कि अपराधियों की संख्या भौंक कर बता देते हैं। अगर चार अपराधी हैं तो ये चार बार भौकेंगे। यही नहीं आतंकियों और अपराधियों के हथियार लुटने में भी इन्हें महारथ हासिल होती है। ट्रेनर के एक इशारे पर ये मरने-मिटने को तैयार हो जाते हैं। इन्हीं खासियतों की वजह से ये किसी भी फोर्स के लिए अहम हो जाते हैं।