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तीन वर्षों में तीन गुना बढ़े श्वानों में हीट स्ट्रोक के मामले

locationभोपालPublished: Apr 12, 2018 04:17:08 pm

– एहतियात बरतें, तकलीफ हो जाए तो तुरंत दिखाएं डॉक्टर को- राज्य पशु चिकित्सालय में एक दिन में आए पांच-छह केस तक

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भोपाल. विगत वर्षों में गर्मी के साथ-साथ श्वानों में हीट स्ट्रोक के मामले भी बढ़े हैं। राज्य पशु चिकित्सालय में चिकित्सा के लिए आने वाले श्वानों की संख्या पता की गई तो मालूम पड़ा कि विगत तीन वर्षों में यह बीमारी तीन गुना बढ़ी है। इस वर्ष तो जुलाई के प्रथम सप्ताह या बारिश शुरू होने तक चिंतित करने वाले आंकड़े सामने आ सकते हैं। श्वानों को हीट स्ट्रोक से सावधानी अपनाकर बचाया जा सकता है।

राज्य पशु चिकित्सालय में तैनात असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ. ज्योति जैन के अनुसार विगत वर्षों में श्वानों में हीट स्ट्रोक के मामले बढ़े हैं। इस तकलीफ में रोग की चपेट में आए श्वान के लक्षण पहचानना बहुत जरूरी है। हीट स्ट्रोक में श्वान को तेज बुखार, खाना न खाने, सुस्त पड़े रहने और लार अधिक मात्रा में टपकाने के लक्षण स्पष्ट दिखाई देते हैं। काले रंग के डॉग्स को हीट स्ट्रोक की अधिक संभावना रहती है। उनके अंदर गर्मी आसानी से प्रवेश कर तो जाती है, लेकिन रिलीज जल्दी नहीं होती।
बचाव: हीट स्ट्रोक से बचाव के लिए ज्यादा गर्मी में डॉग को बाहर न निकालें। पंखे या कूलर की हवा में रखें। हल्का ठंडा पानी पर्याप्त मात्रा में पिलाएं। पेट की कीड़ों की दवा समय पर देते रहें। बी कॉम्पलेक्स, इलेक्ट्रोलाइट आदि देते रहें। ज्यादा गर्म तासीर का खाना न दें।

उपचार: यदि हीट स्ट्रोक हो जाए तो डॉग के माथे पर पैरों पर ठंडे पानी की पट्टियां रखें। उसे प्रॉपर वेंटिलेटिड रूम में रखें। सप्ताह में दो बार सुबह-शाम ठंडे पानी से नहलाएं। वेटनरी डॉक्टर की सलाह पर फ्रूट थेरेपी व अन्य ट्रीटमेंट कराएं।

वर्ष-दर-वर्ष बढ़े हीट स्ट्रोक के मामले
राज्य पशु चिकित्सालय की आधिकारिक जानकारी के अनुसार वर्ष २०१५ में हीट स्ट्रोक के मामले ३०-३५ ही थे, लेकिन वर्ष २०१६ में ४५ और वर्ष २०१७ में ५० की संख्या पार गए। वर्ष २०१८ में मार्च में ही जल्दी गर्मी शुरू होने के चलते अभी तक ३० से अधिक मामले हीट स्ट्रोक के आ चुके हैं।
वर्जन
वर्ष-दर-वर्ष गर्मी बढऩे का असर पशु-पक्षियों पर भी पड़ रहा है। विगत तीन वर्षों में हीट स्ट्रोक के मामले चिंताजनक रूप से बढ़े हैं। परेशानी होने पर पेट्स को योग्य चिकित्सक को अवश्य दिखाएं।
– डॉ. ज्योति जैन, असिस्टेंट डायरेक्टर, राज्य पशु चिकित्सालय

 

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