ये है मामला
मामला शहर के मगरदा नाले का है, जहां बुधवार को रात के समय नाला उफान पर था और पुल से पांच फीट ऊपर पानी बह रहा था। इस दो मोटरसाइकिलों से जलालपुर निवासी दो व्यक्ति और एक मोटरसाइकिल से मोहरीराय निवासी 40 वर्षीय महेंद्रसिंह पुत्र करनेलसिंह बुधवार रात 11 बजे पुल पार करते समय नाले में बह गए थे। दो व्यक्ति तो कुछ दूरी तक तैरकर बच गए, लेकिन महेंद्रसिंह लापता हो गए थे। जानकारी मिली तो रात में ही तहसीलदार इसरार खान मौके पर पहुंचे और सुबह पुलिस ने सर्चिंग शुरू की थी। दोनों मोटरसाइकिलें तो मिल गईं, लेकिन महेंद्रसिंह की शाम तक नहीं मिल सका था।
बाढ में फसे मजदूरों को बाहर निकाला
वहीं दूसरा मामला बुधवार रात सवा 12 बजे सावन गांव का है, जहां नदी के पुल से निकलते समय पिकअप वाहन का पहिया फंस गया और नदी का बहाव तेज हो गया। पिकअप में छह मजदूर फंसे हुए थे, जो अशोकनगर से हापाखेड़ी गांव जा रहे थे। मजदूरों ने डायल 100 पर मदद मांगी तो कचनार, कोतवाली और देहात थाने की पुलिस मौके पर पहुंची। रात के समय पिकअप पर नदी के दोनों तरफ वाहनों से उजाला किया और पिकअप से रस्सी बांधकर दूसरा हिस्सा डायल 100 से बांधा और रस्सी के सहारे मजदूरों को सुरक्षित निकाला जा सका।
ओर नदी को पार कर घर पहुंचे बच्चे
पिपरई तहसील के कुकरेठा गांव के छोटे-छोटे 20 से 25 बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढऩे के लिए पिपरई जाते हैं। बुधवार को सुबह जब स्कूल गए तो ओर नदी में पानी कम था, परिजनों ने उन्हें पार करा दिया, लेकिन शाम को जब वह लौटे तो नदी उफान पर थी और बहाव तेज था। इससे परिजनों ने फोन पर ही रिश्तेदारों की मदद मांगकर नदी के दूसरे तरफ ही उनके घरों पर बच्चों को रोक दिया।
वहीं दूसरे दिन गुरुवार को भी नदी का बहाव दिनभर तेज रहा, शाम के समय बहाव कम होने ग्रामीणों ने ट्यूब के सहारे उन बच्चों को नदी पार कराई, तब वह घर पहुंच सके। ओमसिंह ने बताया कि तहसील और थाना सहित अन्य ऑफिसों के लिए पिपरई जाना पड़ता है, लेकिन बीच में ओर नदी होने से बारिश के चार महीने इसी तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है। इससे कई दिन बच्चों को तेज बहाव की वजह से स्कूल भी नहीं भेजते हैं।
बारिश से जिले में ऐस हैं हालात
कजराई मेंं लगातार पानी भरने से कच्चे मकान गल चुके हैं, जो गिरने की कगार पर हैं और अब लोग उन घरों को छोड़कर दूसरों के यहां शरण लिए हुए हैं। वहीं सहोदरी सहित जिले के अन्य गांव में आधा सैंकड़ा मकान बारिश से धरासाई हो गए।