मध्यप्रदेश में इस बार अच्छी और अधिक बारिश हुई है। कई जिलों को बाढ़ का भी सामना करना पड़ा है। ऐसे में मौसम ने कहा है कि 14 अक्टूबर के बाद ही मानसून की विदाई संभव है। हालांकि 12 अक्टूबर तक रुक-रुककर भारी बारिश का दौर चलता रहेगा। इसके बाद धीरे-धीरे हल्की बारिश के साथ मानसून की विदाई हो जाएगी।
यहां होगी भारी बारिश
मौसम विभाग ने प्रदेश के 14 जिलों के लिए यलो अलर्ट जारी किया है। imd के मुताबिक अनूपपुर, अशोकनगर, गुना, छतरपुर, पन्ना, बैतूल, डिंडोरी, छिंदवाड़ा, रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, रायसेन, सीहोर जिलों में भारी बारिश की संभावना है। मौसम विभाग ने यह चेतावनी 29 सितंबर की सुबह तक के लिए दी है। इसके बाद ताजा जानकारी रविवार को जारी की जाएगी।
हवा की रफ्तार बढ़ी
पिछले कुछ दिनों से भारी बारिश के साथ ही हवा की रफ्तार भी तेज हो गई है। मौसम विभाग ने कहा है कि जिन स्थानों पर गरज-चमक के साथ बारिश होगी, वहां पर काले घने बादल छाए रहेंगे, जबकि हवा की रफ्तार भी 20 किलोमीटर प्रति घंटी की रफ्तार से चलेगी।
यह है पिछले 24 घंटे का हाल
मध्यप्रदेश में पिछले 24 घंटे से मानसून प्रबल बना हुआ है। प्रदेश में ज्यादातर स्थानों पर बारिश हुई। यह दौर 12 अक्टूबर तक बना रहने का अनुमान है। इसके बाद 14 अक्टूबर से 24 अक्टूबर के बीच इसकी विदाई संभव है।
कहां कितनी बारिश
प्रदेश के छिंदवाड़ा में 13, गौतमपुरा सिवनी में 9, सीधी, अजयगढ़, देपालपुर में 8, गुढ़, सिंगरौली, घनसौर, बुदनी, बदनावर में 7-7 सेमी बारिश दर्ज की गई।
14 अक्टूबर के बाद मानसून की विदाई
सामान्यतः सितंबर मध्य तक मानसून की विदाई हो जाती है, लेकिन यह अब तक प्रदेश में पूरी तरह सक्रिय क्यों है, इस पर मौसम विज्ञानियों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में बनने वाले निम्न दबाव के क्षेत्र के कारण मानसून अब तक सक्रिय है। यह 14 अक्टूबर से 24 अक्टूबर के बीच विदा हो पाएगा।
यह भी है खास
मानसून के दौरान बारिश के लिए निम्न दवाब का क्षेत्र का अहम रोल है। यह प्रणाली पश्चिम और पूर्व समुद्री तटों में बनते हैं, चाहे अरब सागर हो या बंगाल की खाड़ी।
-हालांकि आमतौर पर ऐसा होता है कि सितम्बर माह के अंत तक आते-आते इस सिस्टम की आवृत्ति कम हो जाती है। इस बार ऐसा नहीं हो रहा है।
-उदाहरण के तौर पर बात करें तो, अरब सागर से चक्रवात भी खत्म हो गया। इसके अलावा, दक्षिण महाराष्ट्र तट तथा उससे सटे गोवा-कर्नाटक और उत्तर-दक्षिण गुजरात गुजरात के पूर्वी-मध्य अरब सागर और पूर्वी-मध्य और उत्तर-पूर्व अरब सागर के आसपास के क्षेत्रों में चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र विकसित है, जो समुद्र के स्तर से 7.6 ऊपर मीटर तक फैला हुआ है तथा दक्षिण दिशा की ओर झुक रहा है।
-यह प्रणाली अब भी काफी अच्छी तरह से चिन्हित है और एक संगठित चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र द्वारा समर्थित है।
-इस प्रणाली के कारण गुजरात, कोंकण सौराष्ट्र क्षेत्र और पश्चिमी मध्यप्रदेश के सीमांत जिलों में पहले से ही व्यापक बारिश की गतिविधियां के साथ एक-दो स्थानों पर भारी बारिश देखी गई है।
इसलिए है बारिश की संभावना
यह मौसमी प्रणाली ऐसे ही बनी रहेगी। इसके कारण आने वाले 48 घंटों के में, दक्षिण-पूर्वी भागों सहित कोंकण तथा दक्षिण-पश्चिमी मध्य प्रदेश में भी अगले 48 घंटों के दौरान बारिश होने की संभावना है।
हम कह सकते हैं कि 30 सितंबर तक इन क्षेत्रों में अधिकांश स्थानों पर वर्षा की गतिविधि जारी रहेगी। इस दौरान, एक-दो स्थानों पर भारी बारिश भी देखी जा सकती है। जिसके बाद, बारिश की गतिविधियां कम होने लगेगी।
हम पहले से ही सितंबर माह के अंतिम छोर पर हैं और इस समय इन प्रणाली की मौजूदगी निश्चित रूप से मानसून की वापसी में बाधा बन रही है। इन गतिविधियों से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि मानसून की वापसी अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक ही संभव है।