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मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल खतरे में डाल सकता है आपकी जान

locationभोपालPublished: Apr 20, 2019 04:37:07 pm

Submitted by:

Faiz Faiz Mubarak

मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल खतरे में डाल सकता है आपकी जान

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मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल खतरे में डाल सकता है आपकी जान

भोपालः तेजी से भागते समय की रफ्तार में बने रहने के लिए आज इंसान ने भी ऐसे उपकरणों का इस्तेमाल करना शुरु कर दिया है, जिससे वो समय में बना रहे। इसके लिए उसने सबसे पहले अपनी सोच को विकसित करते हुए समय के साथ आधुनिकता को चुनना शुरु किया। ऐसी ही एक आधुनिकता का प्रतीक उपकरण है, मोबाइल फोन। पहले के दौर में लोग अपनी बात का आदान प्रदान करने के लिए पंछियों का सहारा लेते थे। इसकी जगह पोस्ट मेन ने ली, फिर धीरे-धीरे समय के बदलाव के साथ मोबाइल फोन की इजाद हुई, जिसने लोगों में वार्तालाप (कम्यूनिकेशन) का नज़रिया ही बदल दिया। अब लोगों को एक दूसरे मिलने के लिए लंबा सफर, ज्यादा समय और जटिल प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ता, लोग एक दूसरे से बात करने के लिए सिर्फ एक क्लिक की दूरी पर आ गए। फिर भले ही सामने वाला व्यक्ति सात समंदर पार ही क्यों ना हो।


हमारी मजबूरी बना रही बीमार

पहले के समय में फोन का इस्तेमाल करना अमीरों की निशानी मानी जाती थी, लेकिन धीरे-धीरे इसने लोगों पर ऐसा प्रभाव जमाया कि, आज ये लोगों की सबसे अहम ज़रूरत बन गया। इतना ज़रूरी कि, आज व्यक्ति अपने पास कोई ज़रूरी से ज़रूरी चीज भले ही न रखे लेकिन, मोबाईल फोन रखे बिना उसका समय बिताना असंभव है। यानी मोबाइल फोन आज एक बड़ी आबादी की मजबूरी बन चुका है। जितना ये लोगों की मजबूरी बना हुआ है, उतना ही ये उनकी बीमारियों का कारण भी बनता जा रहा है। जिसके आने वाले समय में किसी भयावय अंजाम से भी नकारा नहीं जा सकता।। इसकी शुरुआत आज कई पीड़ाओं के रूप में हो भी चुकी है। इसलिए अगर हम अब भी नहीं संभले, तो हम अपने हाथों से अपने भविष्य को किन्ही भयावय बीमारियों के हाथों में दे देंगे। आज ही मोबाइल फोन के ज्यादा इस्तेमाल से हमें जिन समस्याओं से जूझना पड़ रहा है, वो काफी घातक हैं।


बच्चे ज्यादा तेजी से होते हैं ग्रस्त

राजधानी भोपाल के एक मनोचिकित्सक देवेन्द्र चौहान ने बताया कि, मोबाईल फोन का अधिक इस्तेमाल लोगों की सेहत के लिए बेहद हानिकारक हो सकता है। खासतौर पर इसका इस्तेमाल आज की जनरेशन के छोटे छोटे बच्चे ज्यादा कर रहे हैं। डॉ. चौहान ने बताया कि, बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता एक व्यस्क व्यक्ति के मुकाबले काफी कम होती, जिसके कारण उनपर मोबाईल रेडियेशन का काफी तेजी से प्रभाव पड़ता है। आजकल कई ऐसे केस सामने आ रहे हैं, जैसे बच्चों का चिढ़चिढ़ा स्वभाव होना, उन्हें समय पर नींद ना आना, पढ़ाई में मन ना लगना, खाना खाने का दिल ना चाहना, बात बात पर इरिटेट होना आदि। इनमें से अकसर मामलों में सामने आया कि, उन बच्चों को मोबाईल फोन का ज्यादा इस्तेमाल करने की आदत है। इससे बच्चों में इस तरह के बेसिक बदलाव तो आज आम सी बात हो गई है। डॉ. चौहान ने बताया कि, लगभग यही सब समस्याएं बढ़ों के साथ भी देखी जा रही है। जिससे ये बात कहीं न कहीं सिद्ध होती है कि, मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल सेहत को नुकसान पहुंचाता है।


शोध में हुआ खुलासा

कुछ समय पहले मोबाईल फोन का ज्यादा इस्तेमाल करने वालों पर स्वीडन में एक शोध भी हुआ, जिसमें सामने आया कि, इसका अधिक इस्तेमाल तनाव का कारण बनता है। इससे ग्रस्त होने वालों में बच्चों और महिलाओं का आंकड़ा काफी ज्यादा था। शोध में सामने आया कि, रात के समय अकसर लोगों की आदत होती है कि, वो सोने से पहले फोन पर कुछ समय बिताते हैं, कुछ लोग सोशल मीडिया से जुड़ते हैं, तो कुछ सर्चिंग के लिए, पर ऐसा करने वाले ज्यादातर लोगों में रात की नींद खराब होने की समस्या बढ़ गई है, जिसके कारण पूरा दिन भी थकान भरा ही गुज़रता है। इसका कारण ये सामने आया कि, रात में अकसर लोग कमरे की लाइट बुढा देते हैं। ऐसे में फोन के संपर्क में आने से उससे निकलने वाली रोशनी सीधे तौर पर शरीर की सिरकेडियन रिदम को प्रभावित करती है और ऐसे हार्मोन्स को सक्रीय करती है जिससे सतर्कता बढ़ती है। जिस कारण से रात में ठीक समय पर नींद नहीं आती।


ऐसे लगाएं नुकसान का अनुमान

ये बात तो सभी जनते हैं कि, हम जितने भी वायरलेस उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं, वो किसी ना किसी नेटवर्क के माध्यम से चल रहे हैं। यानी वो नेटवर्क वातावरण के ज़रिये हम तक पहुंच रहा है। ये भी सभी जानते हैं कि नेटवर्क जितना ज्यादा स्ट्रांग होगा, उतना ही ज्यादा उसका रेडियेशन भी होगा। जैसे जैसे आधुनिकता बढ़ती जा रही है, इनका नेटवर्क भी उतना स्ट्रांग होता जा रहा है। जैसे पहले 2G नेटवर्क आया, फिर 3G और अब मध्य प्रदेश समेत देशभर में 4G नेटवर्क का इस्तेमाल काफी ज्या हो गया है। सबसे पहले तो इसी रेडियेशन से इसानों के साथ साथ धर्ती पर बसने वाली सभी जीवंत चीजों को नुकसान हो रहा है। इसके प्रभाव से लोगों में कई बीमारियां वजूद में आ रही हैं। मुख्य रूप से इस तरह के वायरलेस गेजेट्स के इस्तेमाल से लोगों में इलेक्टौमेग्नेटिक हाइपर सेंसेटिविटी ( इएचएस ) की शिकायत होने लगी है, जिसे गैजेट एलर्जी कहा जाता है। हालांकि, इस बीमारी का मुख्य कारण सस्ते गैजेट्स का इस्तेमाल होता है या फिर गेजेट्स का अधिक इस्तेमाल होता है।


ट्राई के आंकड़ों के अनुसार

अगर हम बात देशभर की करें, कुछ दिनो पहले ही भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने नए आकड़े जारी करते हुए कहा है कि, भारत की कुल 125 करोड़ आबादी के पास 98 करोड़ मोबाइल कनेक्शन है। इसमें 80 फीसदी आबादी 4G नेटवर्क का इस्तेमाल करती है, यानी साफ है कि, इतना ही रेडियेशन समय के साथ वातावरण में भी बढ़ चुका है, जिसके परिणाम आने वाले समय में काफी भयावय हो सकते हैं।


मोबाईल फोन का इस्तेमाल इन समस्याओं को देता है न्योता

मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले लोगों को आमतौर पर सिर दर्द, थकान, बैचेनी, शारीरिक कमजोरी और नींद में अनियमितता होने का खतरा काफी रहता है। ऐसा नहीं है कि, ये समस्या सिर्फ मोबाईल फोन के इस्तेमाल से ही उत्पन्न हो सकती है। इन समस्याओं का कारण वो गेजेट्स भी हो सकते हैं, जिनका इस्तेमाल हम करते है। मोबाईल के अलावा जिन गेजेट्स के ज़रिये इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन निकलती है, उनमें मोबाइल फोन, वाइफाइ हॉटस्पॉट्स, टैबलेट्स, सेलफोन , लैपटॉप जैसे कइ वाइफाई वायरलेस उपकरण शामिल होते हैं। इसलिए बेहतर होगा कि, हम इन उपकरणों का इस्तेमाल ज्रूरत के अनुसार ही करें, इस्तेमाल के बाद उन उपकरणों को शरीर के संपर्क से दूर रखें, ताकि हम इस बीमारियों से बच सकें। क्योंकि, अच्छी से अच्छी जरूरत की चीज का अधिक इस्तेमाल नुकसान ही पहुंचाता है।

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