हर 6 माह में मशीन में लगता है पैसा
हर्ष के पिता भगतराम ने बताया कि मशीन में हर 6 से 8 महिने में कुछ ना कुछ खर्चा आ जाता था। बाल कल्याण समिति से मिलने वाली 2000 महीना पेंशन और कहीं से पैसे की व्यवस्था कर काम चलाते थे। लेकिन इस बात तो पूरी मशीन ही सिर के पिछले हिस्से से निकलकर ठीक होगी। जिसमें 1 लाख रूपए का खर्चा बताया है। इतने पैसे हमारे पास नहीं है। बाल कल्याण समिति में बड़े साहबों से बात की तो उन्होंने कहा कि यहां से कुछ नहीं होगा।
पिछले 15 दिनों से नहीं जा पा रहा स्कूलकॉकलियर इंप्लांट मशीन बंद होने के कारण हर्ष अब तो न सुन पा रहा है और न ही थोड़ा बहुत भी बोल रहा है। जिस वजह से वजह से पिछले 15 दिनों से उसकी पढ़ाई- लिखाई ठप्प पड़ी हुई है। हर्ष के पिता भगतराम ने बताया कि स्कूल से फोन भी आया लेकिन बच्चे को कैसे स्कूल भेज दें जब वो कुछ सुन ही नहीं पाएगा।
जिम्मेदार ये बोलें
कॉकलियर इंप्लांट योजना के तहत ये मशीने लगाई गई थी। लेकिन अब ये योजना स्वास्थ्य विभाग चली गई है। वैसे भी हमारा काम एक बार मशीनों को देना है उनका रखरखाव और मरम्मत विभाग से नहीं होता है।
आरके सिंह, संयुक्त संचालक, सामाजिक न्याय एवं निशक्तजन कल्याण विभाग