स्टूडेंट्स कबाड़ के मटेरियल से गणित और विज्ञान विषय की पढ़ाई करते हैं, वहीं रंगोली बनाकर अंगे्रली, सोशल साइंस पढ़ाती है। स्कूल की प्राचार्य वाधवानी ने बताया कि वे स्कूल में रेमीडियल तरीके से बच्चों को रोचक तरीके से पढ़ा रही हैं।
प्राचार्य की इस पहल का फायदा यह हुआ है कि पढ़ाई में कमजोर बच्चे भी आसानी से विषय को समझ लेते हैं। रंगोली डालकर सीखते हैं स्पेलिंग और चिन्ह जमूनियाकलां के स्टूडेंस बोर्ड पर लिखने के बजाय स्कूल परिसर में ही रंगोली बनाकर अंग्रेजी के शब्द लिखते हैं। इससे उन्हें स्पेलिंग जल्दी याद हो जाती हंै।
अंक गणित में सवाल हल करने हों या फिर रेखा गणित में रेखाओं की माप करनी हो, बच्चे कबाड़ सामग्री का उपयोग कर तत्काल प्रश्न का उत्तर खोज लेते हैं। शासकीय हाईस्कूल की प्राचार्य रत्ना वाधवानी ने बताया कि वे हाईस्कूल में 40 स्टूडेंट्स हैं। डेंट्स कबाड़ के मटेरियल से गणित और विज्ञान विषय की पढ़ाई करते हैं, वहीं रंगोली बनाकर अंगे्रली, सोशल साइंस पढ़ाती है। इसी तरह हिंदी के वाक्य का अनुवाद अंग्रेजी में रंगोली के माध्यम से करना सीखते हैं।
सोशल साइंस में रूढ़ चिन्ह आदि का ज्ञान भी इसी माध्यम से किया जाता है। कबाड़ से सीख रहे गणित की भुजाएं बनाना गांव के बच्चों को अंग्रेजी और गणित विषय बहुत कठिन लगते हैं।
इसे सरल तरीके से बनाने के लिए मैंने उनके घरों से कबाड़ के मटेरियल जैसे न्यूज पेपर, प्लास्टिक के डिब्बे आदि मंगाया और उससे गणित की भुजाएं जैसे त्रिभुज, चर्तुभुज, षष्ठभुज के अलावा विभिन्न तरह की रेखाएं और कोण बनाना सिखाया।