यह है मामला
हमीदिया रोड भोपाल निवासी भुवनेश्वर प्रसाद मिश्रा ने यह याचिका दायर कर कहा कि भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 152 से कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश चंद्र मिश्रा ने विधानसभा चुनाव 2018 के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया। इसमें उन्होंने अपने अपराधिक रेकॉर्ड का ब्यौरा निर्वाचन आयोग से छिपा लिया था, इसलिए यह नामांकन पत्र स्वीकारणीय नहीं था। इस आधार पर शर्मा का निर्वाचन निरस्त करने की मांग की गई।
हमीदिया रोड भोपाल निवासी भुवनेश्वर प्रसाद मिश्रा ने यह याचिका दायर कर कहा कि भोपाल दक्षिण-पश्चिम विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 152 से कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश चंद्र मिश्रा ने विधानसभा चुनाव 2018 के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया। इसमें उन्होंने अपने अपराधिक रेकॉर्ड का ब्यौरा निर्वाचन आयोग से छिपा लिया था, इसलिए यह नामांकन पत्र स्वीकारणीय नहीं था। इस आधार पर शर्मा का निर्वाचन निरस्त करने की मांग की गई।
राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता शशांक शेखर ने तर्क दिया कि नामांकन के बाद मतदान व परिणाम भी घोषित किए जा चुके हैं। याचिकाकर्ता ने अपने आरोप के समर्थन में कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया सम्पन्न होने के बाद हाईकोर्ट इस सम्बंध में याचिका पर विचार नहीं कर सकता। याचिकाकर्ता इसके लिए चुनाव याचिका दायर कर सकता है।
गौरव गृह निर्माण समिति चुनाव पर हाईकोर्ट का स्टे, मांगा जवाब
बावडिया कलां क्षेत्र स्थित गौरव गृह निर्माण समिति के चुनाव पर हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया। समिति के 22 संस्थापक सदस्यों को सूची से बाहर कर चुनाव कराए गए थे। इसके खिलाफ सदस्यों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। यहां तमाम सबूत प्रस्तुत किए जिस पर कोर्ट ने आदेश दिया कि 26 नवंबर के बाद जो भी गतिविधियां की गई है उन पर रोक लगाई जाती है। मामले में शासन समेत उपपंजीयक, समिति की मौजूदा अध्यक्ष अनिता बिष्ट से 11 फरवरी तक जवाब देने के निर्देश दिए। याचिकाकर्ताओं के वकील अनिल लालजी का कहना है कि सहकारिता ट्रिब्यूनल के चुनाव प्राधिकारी ने पुरानी सूची से ही चुनाव कराया था जो गलत थी। ये सूची पहले ही अवैध घोषित हो गई थी। इस पर ही हमने कोर्ट में पक्ष रखा जिसके बाद ये निर्देश हुए।
बावडिया कलां क्षेत्र स्थित गौरव गृह निर्माण समिति के चुनाव पर हाईकोर्ट ने स्टे दे दिया। समिति के 22 संस्थापक सदस्यों को सूची से बाहर कर चुनाव कराए गए थे। इसके खिलाफ सदस्यों ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। यहां तमाम सबूत प्रस्तुत किए जिस पर कोर्ट ने आदेश दिया कि 26 नवंबर के बाद जो भी गतिविधियां की गई है उन पर रोक लगाई जाती है। मामले में शासन समेत उपपंजीयक, समिति की मौजूदा अध्यक्ष अनिता बिष्ट से 11 फरवरी तक जवाब देने के निर्देश दिए। याचिकाकर्ताओं के वकील अनिल लालजी का कहना है कि सहकारिता ट्रिब्यूनल के चुनाव प्राधिकारी ने पुरानी सूची से ही चुनाव कराया था जो गलत थी। ये सूची पहले ही अवैध घोषित हो गई थी। इस पर ही हमने कोर्ट में पक्ष रखा जिसके बाद ये निर्देश हुए।