यह अंतरिम आदेश न्यायमूर्ति आरएस झा एवं न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी की युगलपीठ ने निजि मेडिकल कॉलेजों की एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। 30 अप्रैल 2019 को कोर्ट द्वारा राज्य शासन को आदेशित किया गया था कि निजी मेडिकल कॉलेजों में 15 प्रतिशत आरक्षित एनआरआइ कोटे की पी.जी. कोर्स की सीटों पर होने वाले प्रवेश एवं आवंटन पर 3 मई 2019 तक यथास्थिति रखी जाये।
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से 1 सप्ताह का समय मांगा गया तो कोर्ट को अवगत कराया गया कि शासन द्वारा द्वितीय चरण की संपूर्ण काउंसिलिंग को ही स्थगित कर दिया गया है। कोर्ट ने उस पर नाराजगी जताई क्योंकि स्थगन केवल एन.आर.आई. सीटों के संबंध में था न कि संपूर्ण काउंसिलिंग को स्थगित करने के लिए। मेडिकल कॉलेजों की एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता एवं शुभम श्रीवास्तव ने पैरवी की।
इस संबंध में निजी मेडिकल कॉलेजों की एसोसिएशन द्वारा याचिका लगाई गई है। इसमें कहा गया है कि राज्य शासन द्वारा निजी मेडिकल कॉलेजों की आरक्षित एनआरआई. कोटे की 15 प्रतिशत सीटों को सामान्य वर्ग में बदलकर सामान्य वर्ग के छात्रों को आवंटित किया जा रहा है। राज्य शासन द्वारा अभी प्रदेश भर में पी.जी. मेडिकल एवं डेन्टल कोर्स में प्रवेश के लिए काउंसिलिंग कराई जा रही है, जिसमें दूसरे चरण के आवंटन मंगलवार शाम 05 बजे तक होने थे।
राज्य शासन की काउंसलिंग के विरूद्ध निजी मेडिकल कॉलेजों द्वारा हाईकोर्ट में यह कहा गया कि उनके कॉलेजों में आरक्षित 15 प्रतिशत एनआरआई कोटे की सीटों को किसी भी स्थिति में सामान्य वर्ग के छात्रों को आवंटित नहीं किया जा सकता, जब तक एनआरआइ कोटे में प्रवेश के लिए अभ्यर्थी उपलब्ध हैं।