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कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब – वादा कर 90 फीसदी राशि ले ली, आधा निर्माण भी नहीं किया

locationभोपालPublished: Jan 17, 2019 02:48:27 pm

यूनिहोम्स मामला – कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

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यूनिहोम्स के रहवासियों से बिल्डर की वादाखिलाफी पर हाईकोर्ट ने शासन से कार्रवाई को लेकर जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति जेपी गुप्ता की एकलपीठ ने बुधवार को राज्य शासन गृह विभाग, पुलिस अधीक्षक भोपाल के साथ यूनिहोम्स कोलाज ग्रुप के निजी संचालक बिल्डरों को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा है। पुलिस ने बीते एक साल में जिन मामलों में प्रकरण दर्ज किए, उन पर कार्रवाई का स्टेटस कोर्ट को बताना होगा।
कोलार चूनाभटटी क्षेत्र में प्रस्तावित लगभग 50 एकड़ भूमि पर यूनिहोम्स कॉलोनी के लगभग 500 ग्राहकों की एसोसिएशन यूनिहोम्स रहवासी वेलफेयर एसोसियेशन ने कोर्ट में याचिका लगाई थी। बताया था कि यूनिहोम्स ग्रुप की कंपनियों व उनके संचालकों ने मकान, दुकान के साथ कॉलोनी विकास का वादा पूरा नहीं किया। 90 फीसदी राशि लेने के बावजूद 50 फीसदी निर्माण भी नहीं किया।
इन के विरूद्ध एक साल पहले कई आपराधिक प्रकरण दर्ज किए थे, लेकिन जांच या कार्रवाई नहीं की गई। इसपर ही जवाब तलब हुआ है। आवेदक रहवासी एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता ने पैरवी की। गुप्ता ने तर्क दिया कि अनावेदक कंपनियों द्वारा एक सुनियोजित तरीके से मध्य भारत का सबसे बड़ा घोटाला किया गया। इसमें 500 से अधिक मध्यमवर्गीय परिवारों के साथ धोखाधड़ी एवं जालसाजी की है। जिसके तहत एक वर्ष पूर्व कई धाराओं में प्रकरण दर्ज किए जा चुके हैं, लेकिन पुलिस विभाग दबाव के चलते कार्रवाई नहीं कर रहा।
आज तक प्रस्तावित भूमि पर 50 प्रतिशत से भी कम निर्माण हुआ है। अगली सुनवाई 31 जनवरी 2019 को नियत की गई है। ये हैं मामला यूनिहोम्स कोलाज ग्रुप 3-4 निजी कंपनियों का एक समूह है। इसमें खनेजा प्रॉपर्टीज लिमिटेड, एसवीएस बिल्डकॉन लिमिटेड व अन्य ने चूनाभट्टी क्षेत्र में 50 एकड़ से अधिक भूमि पर वर्ष 2011 में एक आवासीय कम वाणिज्यिक टाउनशिप की योजना बनाई थी।
इसके तहत यूनिहोम्स नामक रहवासी कॉलोनी व ग्रेट इंडिया पैलेस नाम से शॉपिंग मॉल का निर्माण प्रस्तावित था। दोनों कंपनियों ने बाकायदा ब्रोशर जारी कर 500 से अधिक ग्राहकों से निर्माण राशि प्राप्त कर ली थी। सभी के साथ विक्रय अनुबंध पत्र भी तय किया था। इन ग्राहकों में आवासीय फ्लेट्स व शॉपिंग मॉल के ग्राहक शामिल थे।
इनसे लगभग 90 प्रतिशत राशि यूनिहोम्स कोलाज गु्रप को भुगतान कर दिया गया। इसमें कंपनियों द्वारा बैंकों में गिरवी रख लगभग 300 करोड़ का लोन भी ले लिया था। स्थिति ये कि जो प्लॉट निर्माण के दौरान निगम में बंधक के तौर पर रखने थे, उन्हें भी बैंकों में गिरवी रख दिया गया। स्थिति ये कि बिल्डर कंपनियों द्वारा ग्राहकों से 90 प्रतिशत राशि लेने के 6-7 वर्ष बाद तक कोई निर्माण नहीं कराया गया। जिस पर आपराधिक मामले दर्ज कराए गए।
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