हाइकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि 1 माह के भीतर ऐसे सभी सरकारी आवास खाली कराए जाएं, जो कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित किए गए हैं। हाइकोर्ट ने सरकार के उस संशोधन को असंवैधानिक बताया है, जिसमें सरकार द्वारा नियमों को संशोधित कर पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास और वेतन देने की व्यवस्था की थी। लॉ स्टूडेन्ट रौनक यादव द्वारा दायर की गई याचिका में इस संशोधन को नियम विरुद्ध बताकर, इसे निरस्त करने की मांग की गई थी। अब महीने भर के भीतर पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले खाली करने होंगे।
वर्तमान में इन पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित हैं बंगले
प्रदेश में इस समय पांच पूर्व मुख्यमंत्री हैं। इनमें कैलाश जोशी, सुंदरलाल पटवा, दिग्विजय सिंह, उमा भारती और बाबूलाल गौर हैं।
कैलाश जोशी-बी 30, 74 बंगले, भोपाल
सुंदरलाल पटवा-बी 03, 74 बंगले, भोपाल
दिग्विजय सिंह-बी 01, श्यामला हिल्स, भोपाल
उमा भारती-बी 06, श्यामला हिल्स, भोपाल
बाबूलाल गौर-बी 6, स्वामी दयानंद नगर 74 बंगला, भोपाल
इन सभी को राजधानी भोपाल में सरकारी आवास दिए गए हैं। इसके अलावा सरकारी वाहन सहित स्टाफ भी मुहैया कराया गया है। दिग्विजय सिंह और उमा भारती (अब उत्तरप्रदेश से) सांसद हैं , बाबूलाल गौर विधायक हैं।
मुख्यमंत्रियों के बाद अब सांसदों की बारी!
पूर्व मुख्यमंत्रियों के अलावा प्रदेश में सांसदों को भी सरकारी बंगला आवंटित किया गया है, हालांकि ऐसा करने का कोई नियम नहीं है, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री के विशेषाधिकार से बंगले दिए जाते रहे हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और राज्यसभा सदस्य प्रभात झा के पास तीन-तीन बंगले हैं। ये बंगले दिल्ली, भोपाल और ग्वालियर में हैं। लोकसभा और राज्यसभा के 12 सांसदों के पास दो-दो बंगले हैं।एक दिल्ली में तो दूसरा भोपाल या अपने गृह नगर में। गृह विभाग ने लगभग चार साल पहले यह प्रस्ताव बनाया था कि सांसदों को उनके गृह क्षेत्र में सरकारी बंगले दिए जाएं। हालांकि, यह उन सांसदों के लिए था, जिनके पास गृह क्षेत्र में खुद का मकान नहीं है। बाद में यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया।