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हाई इंटेंसिटी लाइट से कलियासोत फॉरेस्ट में टाइगर की सर्चिंग!

locationभोपालPublished: Apr 08, 2019 02:41:12 pm

संस्थान की बाउंड्री के पास आ पहुंचा था टाइगर, बड़ी गाडिय़ों में फॉरेस्ट के संवदेनशील प्वाइंट्स पर घूम रहे संदिग्ध लोग, स्थानीय लोगों को शक शिकारी होने का…

High intensity lights in Kaliyasot-Kerwa Forest,

High intensity lights in Kaliyasot-Kerwa Forest,

भोपाल. समरधा रेंज के कलियासोत-केरवा एरिया में रात होते ही तेज लाइटिंग से जंगल चकाचौंध हो जाता है। कलियासोत-केरवा वन्यक्षेत्र में कई फार्म हाउस, रेस्टोरेंट, निजी संस्थानों पर हाई इंटेंसिटी लाइट्स लगी हुई हैं। ये लाइट्स इतनी तेज हैं कि उनकी चकाचौंध दो किलोमीटर दूर से भी दिखाई देती हैं। जंगल में चूहा भी विचरण करे तो साफ नजर आए। इस जंगल के संवेदनशील प्वाइंट्स पर कुछ गाडिय़ां जहां-तहां खड़ी रहती हैं। संदिग्ध लोगों को रोकने-टोकने या पूछताछ करने वाला कोई नहीं है, न वन विभाग और न ही इलाकाई पुलिस। यहां से कोई शिकार करके आसानी से निकल जाए तो कोई पूछने वाला नहीं। इलेक्ट्रॉनिक वॉच टॉवर भी अभी तक नहीं लगाया गया, जिससे शिकारियों का बाद में भी सुराग लगाया जा सके। यह उस जंगल का हाल है, जिसमें करीब दो दर्जन टाइगर्स के मूवमेंट की बात वन विभाग के अधिकारी ही करते हैं। शनिवार की रात पत्रिका एक्सपोज टीम ने समरधा फॉरेस्ट रेंज के कलियासोत-केरवा जंगलों का जायजा लिया और जंगल की जमीनी हकीकत को देखा।

 

High intensity lights in Kaliyasot-Kerwa Forest,
रात्रि 9.31 बजे जेएलयू तिराहा
जंगल के अंदर की तरफ से तेज रोशनी आ रही है। रोशनी इतनी तेज है कि इसे काफी दूर से देखा जा सकता है। वन विभाग की टाइगर पेट्रोलिंग एक टीम नई सड़क के तिराहे पर रुकी हुई है। टीम का एक सदस्य पुलिया पर लेटा आराम फरमा रहा है और शेष दो गाड़ी के आसपास टहलते हुए बात कर रहे हैं। आवागमन करने वालों से कोई रोक-टोक पूछताछ नहीं की जा रही है।
रात्रि 10.07 बजे नंदिनी गौशाला के पास
यहां एक कार फार्म हाउस के मोड पर रुकी हुई है। पान-बीड़ी वाले टपरे में दो लड़के-लड़कियां बैठे हैं और दो कार में। धुआंधार नशा किया जा रहा है। गाय-भैंस पालने वाले व्यक्ति ने बताया कि पहले पुलिस गश्त करती थी, लेकिन अब कोई गश्त नहीं करता। रातभर संदिग्ध गाडिय़ों और लोगों का मूवमेंट रहता है। युवा-युवतियां भी नशा करने आते हैं। कोई रोक-टोक नहीं है।
रात्रि 10.17 बजे संस्कार वैली रोड
इस रोड पर दो गाडिय़ां अलग-अलग लोकेशन पर खड़ी हैं। एक कार में तो एक व्यक्ति युवती के साथ था, लेकिन नीम वाले गेट की तरफ काले रंग की बड़ी गाड़ी में संदिग्ध लोग थे। ये गाड़ी टाइगर मूवमेंट वाले गेट के पास रुकी हुई थी। ऐसा लग रहा था कि किसी टोह में हैं। पत्रिका टीम के वहां से गुजरने पर उन्होंने गाड़ी की लाइट बंद कर मुंह फेर लिया।
रात्रि 23.58 बजे चंदनपुरा फॉरेस्ट
इस समय लाइटिंग बहुत तेज थी। एक निजी स्कूल की बाउंड्री से लेकर अन्य ऊंचे स्थानों पर लगीं हाई इंटेंसिटी लाइट्स से इतनी चकाचौंध थी कि जंगल में छोटे से जीव को भी आसानी से मूवमेंट करते देखा जा सकता था। सूत्रों की मानें तो दो दिन पूर्व टाइगर इस संस्थान की बाउंड्री के पास आ गया था। टाइगर को यहां से भगाने के लिए हाई इंटेंसिटी लाइट्स का प्रयोग किया जा रहा है। इस लाइट से टाइगर या अन्य वन्यजीव को आसानी से निशाना बनाया जा सकता है।
नहीं लगा वॉच टॉवर
केरवा वन चौकी पर लगे सर्विलांस सेंटर वॉच टॉवर से कलियासोत, चंदनपुरा फॉरेस्ट का यह क्षेत्र दिखाई नहीं देता है। यहां फेंसिंग भी नहीं है। ऐसे में कौन आता-जाता है या क्या गतिविधि कर रहा है, यह पता नहीं चलता। ऐसे में वन्यजीवों की शिकार की आशंका कई गुना बढ़ गई है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
रिटायर्ड फॉरेस्ट अफसर डॉ. सुदेश बाघमारे का कहना है कि जंगल में लाइटिंग करना गलत है। इस लाइट पॉल्यूशन माना जाता है। 90 प्रतिशत जंगली जानवर रात में गतिविधि करते हैं। जंगल में रात को लाइटिंग से जानवरों के सोने-जागने का चक्र बदल जाता है। इसके साथ ही उनके शिकार करने की प्रवृत्ति भी बदल जाती है। उनके शरीर और प्रजनन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही वे शिकारियों का आसान निशाना बन सकते हैं।
वाइल्डलाइफ कंजर्वेशनिस्ट विद्या वेंकटेश का कहना है कि टाइगर, लेपर्ड आदि कई मांसाहारी वन्यप्राणी नॉक्टरनल (रात्रि में विचरण करने वाले) होते हैं। जंगल में लाइट होने से यह अपना रास्ता भटक सकते हैं, शिकार, मेटिंग नहीं कर पाते और शिकारियों के हाथ आसानी से पड़ सकते हैं।
सर्चिंग का बनता है अपराध
फॉरेस्ट और वाइल्डलाइफ कानून के जानकारों का कहना है कि जंगल में तेज लाइटिंग करना दंडनीय अपराध है। जंगल में रात को तेज लाइटिंग भारतीय वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 2 के तहत शिकार के लिए सर्चिंग में आता है। इसके लिए सजा का प्रावधान है। वन विभाग को वाइल्डलाइफ एक्ट के तहत दोषियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई करनी चाहिए।
क्या दर्ज होगा केस
गत वर्ष बरसात के समय निजी स्कूल के पास सड़क से बाघों के कुनबे को देखकर वहां से गुजर रहे कुछ युवकों, टीचर्स और एक-दो स्टूडेंट्स ने वीडियो बनाए थे। इनमें से एक वीडियो वायरल हो गया था। उस मामले में सीसीएफ डॉ. एसपी तिवारी ने अज्ञात के खिलाफ वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम की धारा 9 के तहत केस दर्ज करवा दिया था। इस मामले में क्या वन अधिकारी जंगल में तेज लाइटिंग करने वाले दोषियों के खिलाफ केस दर्ज करवाएंगे?

यदि जंगल को फोकस करके तेज लाइटिंग की गई है तो इंटेंशन गलत है। इसकी जांच करने के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
– हरिशंकर मिश्रा, डीएफओ

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