अगर एमपीआरटीसी तय समय में ये राशि जमा नहीं कराता है तो निगम को इस कॉम्प्लेक्स में पांच मंजिला तक किए गए 5000 वर्गमीटर तक के अतिरिक्त निर्माण को तोडऩे की छूट दे दी है।
सतीश नायक द्वारा दर्ज यह मामला बीते सात साल से चल रहा है जिसमें चीफ जस्टिस हेमंत गुप्ता और विजय कुमार शुक्ला की बेंच ने अंतिम आदेश पारित किया। बीते एक साल में सुनवाई का दौर काफी तेजी से बढ़ा और 2018 की शुरुआत में अंतिम आदेश जारी कर दिया गया।
कोर्ट ने मौजूदा कलेक्टर गाइडलाइन के आधार पर अतिरिक्त स्थान की कीमत 3.84 करोड़ रुपए आंकी है। जिसमें हाईकोर्ट ने पेनल्टी समेत मुआवजे के तौर पर दोगुना राशि यानी साढ़े सात करोड़ रुपए जमा करने का कहा।
नजरअंदाज किया था सरकारी आदेश
इस मामले का कोर्ट तक पहुंचने का कारण यह रहा कि कॉम्प्लेक्स को नेशनल हाइवे की 60 मीटर रोड छोडऩे के बाद करीब 4.5 मीटर ऑफ स्ट्रीट पार्किंग और 4.5 मीटर खुला क्षेत्र छोडऩे के बाद निर्माण करना था, लेकिन ऑफ स्ट्रीट पार्किंग और ओपन स्पेस के करीब नौ मीटर क्षेत्र में भी निर्माण कर लिया गया।
इस मामले का कोर्ट तक पहुंचने का कारण यह रहा कि कॉम्प्लेक्स को नेशनल हाइवे की 60 मीटर रोड छोडऩे के बाद करीब 4.5 मीटर ऑफ स्ट्रीट पार्किंग और 4.5 मीटर खुला क्षेत्र छोडऩे के बाद निर्माण करना था, लेकिन ऑफ स्ट्रीट पार्किंग और ओपन स्पेस के करीब नौ मीटर क्षेत्र में भी निर्माण कर लिया गया।
पेन्लटी की रकम से विकसित होगी नई पार्किंग
यहां कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एमपीआरटीसी से मिलने वाली साढ़े सात करोड़ रुपए से निगम नई पार्किंग विकसित करे। यदि राशि नहीं मिलती और कॉम्प्लेक्स का करीब 15 फीट हिस्सा टूटता है तो यहां पर पार्किंग बन जाएगी।
यहां कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एमपीआरटीसी से मिलने वाली साढ़े सात करोड़ रुपए से निगम नई पार्किंग विकसित करे। यदि राशि नहीं मिलती और कॉम्प्लेक्स का करीब 15 फीट हिस्सा टूटता है तो यहां पर पार्किंग बन जाएगी।
कॉम्प्लेक्स बचाने को किए कई जुगत
– 800 वर्गमीटर की पार्किंग मानसरोवर के पास विकसित हो चुकी है
– बीआरटीएस कॉरिडोर को नो-पार्किंग जोन घोषित किया जाएगा
– भवन अनुज्ञा रद्द कर दी गई है
– एमपी नगर की मल्टीलेवल पार्किंग पूरी हो चुकी है
– 800 वर्गमीटर की पार्किंग मानसरोवर के पास विकसित हो चुकी है
– बीआरटीएस कॉरिडोर को नो-पार्किंग जोन घोषित किया जाएगा
– भवन अनुज्ञा रद्द कर दी गई है
– एमपी नगर की मल्टीलेवल पार्किंग पूरी हो चुकी है
आंकड़ों में मानसरोवर – 7688.80 वर्गमीटर प्लॉट एरिया है
– 1360.48 वर्गमीटर क्षेत्र खुला है – 509.09 वर्गमीटर क्षेत्र डक्ट और कटआउट्स में है
– 75.68 प्रतिशत ग्राउंड कवरेज है – 1869.57 वर्गमीटर निर्माण है दूसरी और तीसरी मंजिल पर
– 1005.43 वर्गमीटर का क्षेत्र अतिरिक्त निर्माण कर लिया गया
– 1360.48 वर्गमीटर क्षेत्र खुला है – 509.09 वर्गमीटर क्षेत्र डक्ट और कटआउट्स में है
– 75.68 प्रतिशत ग्राउंड कवरेज है – 1869.57 वर्गमीटर निर्माण है दूसरी और तीसरी मंजिल पर
– 1005.43 वर्गमीटर का क्षेत्र अतिरिक्त निर्माण कर लिया गया
– 5027.15 वर्गमीटर निर्मित क्षेत्र हैं पांच फ्लोर में
– 3.84 करोड़ रुपए की कीमत है कलेक्टर गाइडलाइन से इसकी – 4.5 मीटर चौड़ी स्ट्रीट का अतिरिक्त निर्माण कंपाउंडेबल नहीं है
– निर्माण में भवन अनुज्ञा का उल्लंघन हुआ है
– 3.84 करोड़ रुपए की कीमत है कलेक्टर गाइडलाइन से इसकी – 4.5 मीटर चौड़ी स्ट्रीट का अतिरिक्त निर्माण कंपाउंडेबल नहीं है
– निर्माण में भवन अनुज्ञा का उल्लंघन हुआ है
संतुष्ट नहीं याचिकाकर्ता, लगाएंगे रिव्यू याचिका
मानसरोवर मामले को कोर्ट ले जाने वाले सतीश नायक इस निर्णय
से संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है कि इसमें बिल्डर को कुछ नहीं
कहा गया। हबीबगंज रेलवे कॉलोनी की दीवार से नपती कर 60 मीटर
रोड का हिस्सा तय करते तो मानसरोवर का आधा भाग आता, लेकिन
सहीं नपती नहीं की। वे इस मामले में रिव्यू याचिका लगाने की बात कह रहे हैं।
मानसरोवर मामले को कोर्ट ले जाने वाले सतीश नायक इस निर्णय
से संतुष्ट नहीं है। उनका कहना है कि इसमें बिल्डर को कुछ नहीं
कहा गया। हबीबगंज रेलवे कॉलोनी की दीवार से नपती कर 60 मीटर
रोड का हिस्सा तय करते तो मानसरोवर का आधा भाग आता, लेकिन
सहीं नपती नहीं की। वे इस मामले में रिव्यू याचिका लगाने की बात कह रहे हैं।