गोस्वामी के मुताबिक आज मातृभाषा में उर्दू अंग्रेजी के शब्द शामिल होने से दोषपूर्ण हो गई है। हिंदी भाषा दुनिया की सबसे समृद्ध भाषा होने के साथ-साथ आत्मीयता बढ़ाने के लिए एक सशक्त माध्यम है । विश्व की कोई भी भाषा हिंदी के स्वर के बिना नहीं बोली जा सकती है आज दुनियाभर के लोग हिंदी भाषा सीख रहे हैं। मल्टीनेशनल कंपनियों को भारत में अपना व्यापार बढ़ाने के लिए हिंदी मैं काम करना जरूरी हो गया है। गोस्वामी जी के मुताबिक हिंदी भाषा का सागर है हिंदी में उर्दू अंग्रेजी के शब्द का उपयोग बड़ा है ।
पश्चिमी सभ्यता के लोग हिंदुस्तानी संस्कृति की पूजा करते हैं विदेशियों के बीच गंगा नदी आज भी पूजनीय है। उन्होंने बताया कि राजा विक्रमादित्य ने विक्रम संवत स्थापित किया था। वेदो की भाषा वैदिक संस्कृत को बोलचाल की भाषा लोक संस्कृत का रूप दिया गया । वैदिक संस्कृत में 1008 तो वहीं लोक संस्कृत में 108 स्वर व्यंजन समाहित हैं । इसके बाद हिंदी का उदय हुआ जिसमें 52 अक्षर होते हैं । व्यापार करने संबंध बनाने और व्यक्तित्व निखारने के लिए हिंदी भाषा एकमात्र ठोस विकल्प है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रामदेव भारद्वाज ने कहा कि भाषाओं का अपना एक संसार होता है। भाषा अकेली नहीं बल्कि कई बोलियों का एक समूह है। उन्होंने बताया कि भाव से भाषा बनती है जो कालांतर में सभ्यता का रुप ले लेती है सभ्यता और संस्कृति एक सिक्के के दो पहलू हैं सभ्यताएं मिट जाती हैं लेकिन संस्कृति और उसके मूल्य पीढ़ी-दर-पीढ़ी स्थानांतरित होते रहते है । प्रोफेसर भारद्वाज के अनुसार आरोपित विचार और आयातित भाषा का जीवन काल छोटा होता है।