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ग्रहों की चाल: सूर्य के धनु राशि में जाते ही थम जाएगी शहनाइयों की गूंज

locationभोपालPublished: Dec 11, 2019 02:34:41 pm

16 दिसंबर से मलमास…

ग्रहों की चाल: सूर्य के धनु राशि में जाते ही थम जाएगी शहनाइयों की गूंज

ग्रहों की चाल: सूर्य के धनु राशि में जाते ही थम जाएगी शहनाइयों की गूंज

भोपाल/सीहोर। शुभ कार्य और शादी समारोह करने लोगों के पास अब 5 दिन का समय बचा है। 16 दिसंबर से मलमास लगने के बाद एक महीने के लिए इन सभी कार्यों पर रोक लग जाएगी। मलमास में शुभ कार्य होंगे और न ही शादियों की शहनाइयों की गूंज सुनाई देगी। ऐसे में कई लोग बाजार से खरीदी कर जल्द ही इन कार्यों को करने में जुटे हैं।
वैसे तो हर साल देवउठनी एकदशी से सभी मांगलिक शुभ कार्यों की शुरूआत होती है, लेकिन इस बार 8 नवंबर को एकादशी पर यह नहीं हुआ। 19 नवंबर से जरूर सभी शुभ कार्यों का आगाज हुआ था।
आष्टा के पंडित मनीष पाठक ने बताया कि 16 दिसंबर से सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करने पर मलमास शुरू हो जाएगा।

ग्रहों की चाल: सूर्य के धनु राशि में जाते ही थम जाएगी शहनाइयों की गूंज
ऐसे में वैवाहिक कार्य, गृह वास्तु, विवाह सहित अन्य शुभ कार्य थम जाएंगे। 15 जनवरी को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद दोबारा इनकी शुरूआत होगी।
कौन से हैं अगले महीने- शुभ मुहूर्त…
जनवरी- 15, 16, 18, 20, 21, 22, 29, 30, 31
फरवरी- 3, 4, 5, 9,10,11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 20, 21, 25, 26, 27
मार्च- 10, 11, 12, 13
14 मार्च से लगेगा ब्रेक
पंडित पाठक की माने तो 14 मार्च को फिर से सूर्य के मीन राशि में पहुंचते ही 12 अप्रैल तक मांगलिक कार्य रूक जाएंगे। 13 अप्रैल को सूर्य का फिर से मेष राशि में उदय होने पर दोबारा यह कार्य शुरू हो जाएंगे। पंडित पाठक ने बताया कि दिसंबर महीने में वैवाहिक कार्य और विवाह योग्य युवक-युवतियों का विवाह करने लोगों के पास पांच दिन का समय शेष है।

इधर, वर्ष 2020 में अधिकमास होने के कारण बदलेगी तीज-त्योहारों की स्थिति ( hindu Festival calendar ) …

वहीं दूसरी ओर इस साल के मुकाबले अगले साल में हिन्दी तीज-त्योहारों की स्थिति बदली रहेगी। वर्ष 2020 में गणेश उत्सव तक पडऩे वाले सभी पर्व जहां करीब 11 दिन पहले आएंगे, वहीं नवरात्र से दिवाली के बाद तक सभी पर्व 15 से 17 दिन की देरी से आएंगे।
ऐसा इसलिए होगा क्योंकि हर तीसरे वर्ष पडऩे वाला अधिकमास अगले साल पड़ रहा है।
वर्ष 2020 में होली का पर्व जहां इस साल के मुकाबले 11 दिन जल्दी आएगा, वहीं दिवाली पर्व 17 दिन की देरी से आएगा। अगर इस साल से तुलना करें तो अगला साल तीज-त्योहारों के मामले में एकदम उलट होगा।
वर्ष 2019 में चातुर्मास के पहले अर्थात महाशिवरात्रि, होली, अक्षय तृतीया आदि पर्व जहां देरी से आए थे, वहीं चातुर्मास के दौरान के पर्व गणेश उत्सव, दुर्गा उत्सव, दशहरा, दिवाली आदि 10 से15 दिन जल्दी आए थे।
सितंबर में रहेंगे पर्व: आमतौर पर हर साल अगस्त और सितंबर माह में सबसे अधिक पर्व रहते हैं, लेकिन इस बार पर्वों की धूम अगस्त और अक्टूबर माह में रहेगी। सितंबर की शुरुआत के साथ ही पितृपक्ष शुरू हो जाएंगे।
इसके बाद 18 सितंबर से अधिकमास प्रारंभ होगा। इसलिए इस माह में कोई तीज-त्योहार नहीं रहेगा। रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, हरतालिका तीज, गणेश उत्सव अगस्त में तो नवरात्र, दशहरा, शरद पूर्णिमा आदि पर्व अक्टूबर माह में आएंगे। इसके बाद करवा चौथ, दिवाली सहित अन्य पर्व नवंबर माह में आएंगे।
2019 और 2020 में त्योहारों की स्थिति : hindu festivals calendar –
पर्व वर्ष 2019 वर्ष 2020
महाशिवरात्रि04 मार्च21 फरवरी
होली21 मार्च10 मार्च
चैत्र नवरात्र6 अप्रैल25 मार्च
अक्षय तृतीया7 मई26 अप्रैल
गुरु पूर्णिमा16 जुलाई05 जुलाई
नागपंचमी05 अगस्त25 जुलाई
रक्षाबंधन15 अगस्त03 अगस्त
कृष्ण जन्माष्टमी23 अगस्त12 अगस्त
गणेश चतुर्थी03 सितम्बर22 अगस्त
शारदीय नवरात्र29 सितम्बर17 अक्टूबर

दशहरा08 अक्टूबर26 अक्टूबर
शरद पूर्णिमा13 अक्टूबर30 अक्टूबर
करवा चौथ17 अक्टूबर04 नवंबर
दीपावली27 अक्टूबर14 नवंबर
देवउठनी एकादशी08 नवंबर25 नवंबर
हर तीसरे साल आता है अधिकमास, इसलिए बढ़ जाता है एक माह…
पं.विष्णु राजौरिया के अनुसार तीज-त्योहारों की गणना हिन्दी पंचांगों के हिसाब से की जाती है। इसके लिए हिन्दी का माह और तिथि निर्धारित है। पंचांग के अनुसार उसी तिथि पर यह त्योहार आते हैं, लेकिन अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार आगे पीछे इसलिए हो जाते है कि हिन्दी कैलेंडर में हर तीसरे साल अधिकमास होता है।
इस स्थिति में एक माह की अवधि बढ़ जाती है। इसलिए अंग्रेजी कैलेंडर की गणना के हिसाब से त्योहार आगे पीछे होते है और उनका क्रम बदलता है। अंग्रेजी में लीप ईयर होता है, उसी तरह हिन्दी कैलेंडर में अधिकमास है। अगले साल अधिकमास रहेगा, इसलिए एक महीना बढ़ जाएगा। इसलिए इस तरह की स्थिति बनेगी। अगले साल 18 सितंबर से 16 अक्टूबर तक अधिकमास रहेगा।

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