गौरतलब है कि बीते करीब एक साल से घोड़े का ये स्टेच्यू सीमेंटेड दीवार में स्थापित होकर कपड़े में लपटे हुए अपने लोकार्पण का इंतजार कर रहा था। बताया जा रहा था कि ठेकेदार को भुगतान नहीं होने से काम रोका हुआ था। अब बीते एक सप्ताह से घोड़े के स्टेच्यू के आसपास की सीमेंटेड दीवार को तोड़ा जा रहा है। बताया जा रहा है कि निगम के अफसरों को दीवार की बजाय पहाड़ तोडकऱ घोड़े के निकलती हुई डिजाइन पसंद आई।
गौरतलब है कि पहले ही आर्थिंग तंगी की वजह से काम पूरा नहीं हो पा रहा है, लेकिन घोड़े को दीवार से पहाड़ में से निकालने में अतिरिक्त राशि खर्च की जा रही है। निगम के इंजीनियर अवधेश दुबे का कहना है कि दीवार को तोडकऱ पहाड़ की प्रतिकृति बनाने का काम किया जाएगा।
लैंड डेवलपमेंट से कमाई का गणित
सावरकर सेतु के नीचे कैफेटेरिया बनाने की कवायद है। यहां पर बीसीएलएल की बसों को खड़ा करने स्टैंड भी बनाया गया है। यहां करीब 10 हजार वर्गफ ीट की जमीन पर कैफेटेरिया विकसित करना है। ये 35 साल के लिए लीज पर दिया जाएगा। निगम ने कैफेटेरिया से 5.88 करोड़ रुपए कमाई की उम्मीद कर रहा है। इसके साथ ही निगम ने ब्रिज के नीचे से गुजरने वाले नाले के ऊपर 10 डबल स्टोरी दुकानों का निर्माण भी तय किया है।
हालांकि नाले पर दुकानों का निर्माण नाले को जाम करने जैसा होगा और इसे लेकर तमाम स्तरों पर विरोध किया जा रहाहै। निगम यहां की खूबसूरती बढ़ाने पार्क भी विकसित करेगा और होर्स स्टेच्यू की तरह अन्य निर्माण भी करेगा। पांच करोड़ रुपए के बजट के साथ वीर सावरकर सेतू के नीचे की जमीन विकसित करने के साथ मिसरोद तक रोड साइड पार्क का निर्माण भी शामिल है। ये पार्क विकसित हो गया है, जमीन विकसित करने का काम फिलहाल रूका हुआ है।