लू से बचाता है टेसू के फूल से बना रंग
गायत्री शक्तिपीठ के प्रो. अशोक नेमा ने बताया कि पहले लोग टेसू के फूल से रंग बनाकर होली खेलते थे। इसके पीछे कारण यही है कि होली के बाद हम गर्मी की ओर प्रवेश करते हैं। टेसू के फूल से होली खेलने के बाद गर्मी में लू नहीं लगती। इसलिए इसका इस्तेमाल किया जाता था। इसी तरह गेंदे के फूल को सुखाकर उसमें हल्दी मिलाकर भी रंग और गुलाल बनाया जा सकता है। हरे रंग के लिए हरी पत्तियां, हरी सब्जियों का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह रंग बनाना आसान है।
ऐसे कर सकते हैं रंगों की पहचान
एमवीएम कॉलेज के प्रो. संजय दीक्षित का कहना है कि रंग की पहचान करने के लिए रंग को पानी में घोल लें। उसकी कुछ बूंद शरीर के सॉफ्ट हिस्से पर लगाए, यदि जलन हो और आसानी से रंग न छूटे तो यह रासायनिक रंग है। यदि जलन न हो और रंग तत्काल छूट जाए तो प्राकृतिक रंग होगा। इसी तरह गुलाल को फर्श पर डाल दे तो रासायनिक रंग मिला-गुलाल आसानी से पोछने पर नहीं छूटेगा, जबकि प्राकृतिक रंग आसानी से साफ हो जाएगा।
ऐसे तैयार करें रंग
केसरिया रंग: पलाश के फूलों से यह रंग सरलता से तैयार किया जा सकता है। फूलों को रात में पानी में भिगो दें। सुबह केसरिया रंग को ऐसे ही प्रयोग में लाए या उबालकर होली का आनंद उठायें। यह कफ, पित्त, कुष्ठ सहित कई रोगों को खत्म करता है।
गीलापीला रंग: एक चम्मच हल्दी दो लीटर पानी में उबालें या मिठाइयों में पडऩे वाले रंग भी ले सकते हैं। अमलतास या गेंदे के फूलों को रातभर भिगोकर सुबह उबाले, इससे पीला रंग तैयार होगा।
लाल रंग: लाल चंदन पाउडर को सूखे लाल रंग के रूप में प्रयोग कर सकते हैं। यह त्वचा के लिए लाभदायक व सौंदर्यवर्धक है। दो चम्मच लाल चंदन एक लीटर पानी में डालकर यह रंग तैयार होता है। चुकंदर से भी रंग बनाया जाता है।
सूखा हरा रंग: मेंहदी पाउडर, गेहूं या अन्य अनाज के आटे को समान मात्रा में मिलाकर सूखा हरा रंग बना सकते हैं। आंवला चूर्ण और मेंहदी को मिलाने से भूरा रंग बनता है। जो त्वचा और बालों के लिए लाभदायी है।
सूखा पीला रंग: हल्दी और बेसन मिला कर सूखा पीला रंग बना सकते हैं। इसी तरह अमलतास और गेंदे के फूलों को छाया में सुखाकर पीस कर पीला रंग प्राप्त कर सकते हैं।