सैनिक, लांस नायक, नायक, हवालदार, कंपनी हवलदार मेजर/ कंपनी क्वॉर्टर मास्टर, स्वयं सेवी प्लाटून कमांडर और स्वयंसेवी कंपनी कमांडर के पदों पर तैनात इस बल को कर्मचारी भविष्य निधि प्रबंधन पीएफ की तीनों योजनाओं के तहत पीएफ का लाभ देने के लिए लिख चुका है। पुलिस प्रबंधन को पीएफ प्रबंधन ने यह तक लिखा कि कर्मचारियों पर पीएफ नियम व योजना लागू होती हैं, इसके लिए कर्मचारियों की सहमति की आवश्यकता नहीं है।
इसके बावजूद पीएफ का लाभ नहीं दिया जा रहा है। यहां तक कि पीएफ प्रबंधन के अफसरों ने पुलिस के अफसरों को विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिए भी प्रेजेंटेशन दिया है। पीएफ प्रबंधन ने पुलिस और होम गार्ड प्रबंधन को यह तक सुझाव दिया है कि ‘‘1 अप्रेल 2016 तथा उसक बाद नियुक्त कर्मचारी जिनका वेतन 15 हजार त है के लिए राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना चलाई है, जिसके तहत नियुक्ति के प्रथम 36 महीने तक पेंशन अंशदान जो भी अधिकतम हो, वेतन 15 हजार के लिए 1250 रुपए प्रति माह हैका वहन भारत सरकार करेगी। आप इस योजना का भी लाभ ले सकते हैं ’’।
यह तक सुझाव दिया, लेकिन होमगार्ड सैनिकों की आवाज अपने ही अधिकारी नहीं सुनने को तैयार नहीं हैं। वहीं, पीएफ प्रबंधन द्वारा बार-बार पत्राचार करने के कारण एक बार तो डिविजनल कमांडेंट होम गार्ड भोपाल ने क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुकत को यह तक लिख कर दिया कि होम गार्ड में कार्यरत पेड स्टॉफ का जीपीएफ/एनपीएस नियमित रुप से काटा जाकर जमा किया जा रहा है और सभी होम गार्ड सैनिकों का नियोक्ता डीजी होमगार्ड है। लेकिन होमगार्ड स्वयं सेवकों को पीएफ का लाभ नहीं दिया जा रहा है।
तीन स्तर, तीन तर्क
1. होम गार्ड सैनिक- जब निजी और अन्य फर्म, जहां 10-20 कर्मचारी हो, वहां ईपीएफ और लैबर लॉ लागू होता हैं तो 14 हजार की संख्या बल वाले संगठित अमले पर ईपीएफ नियम क्यों लागू नहीं होता?
2. होम गार्ड- होम गार्ड सैनिक स्वयंसेवी हैं इसलिए यह ईपीएफ के दायरे में नहीं आते हैं। दायरे से बाहर होने के कारण इन्हें ईपीएफ का लाभ नहीं दिया जा सकता है।
3. ईपीएफ- ईपीएफ आयुक्त सहित हाई कोर्ट आदि ने होम गार्ड सैनिकों पर ईपीएफ लागू होने संबंधी टिप्पणियां की। ईपीएफ प्रबंधन ने कई बार सुनवाई की। नियम का हवाला दिया। कहा पीएफ कटोती की जाए।
और हाई कोर्ट तक से जीते
होम गार्ड सैनिकों ने ईपीएफ की लड़ाई हाई कोर्ट तक लड़ी। जीते भी, लेकिन शासन डबल बेंच में चली गई। यहां से भी सैनिकों के पक्ष में फैसला आया। लेकिन लागू नहीं हुआ। शासन ने फिर से कोर्ट में यह केस दायर किया है। इधर, प्रदेशभर के सैनिकों की लड़ाई है कि उन्हें इसका लाभ दिया जाए, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही।
होम गार्ड सैनिक स्वयंसेवी है। ईपीएफ रेगुलर कर्मचारियों पर लागू होता है, स्वयंसेवियों पर नहीं। इसलिए इनका पीएफ भी नहीं कटता है। – अशोक दोहरे, डीजी, होम गार्ड
अधिकारी नहीं चाहते हैं कि होम गार्ड सैनिक भी उनके समकक्ष कहलाने लगे, इसलिए गृह, होमगार्ड और वित्त विभाग अपने-अपने हिसाब से हमारी सेवाओं की व्याख्या कर रहा है। शासन ही शासन के नियम नहीं मान रहा है। -ईखलाख खान, होम गार्ड सैनिक