कॉलेज की प्रोफेसर डॉ. संगीता तोमर बताती हैं कि शहर के अस्पतालों में बुजुर्गों के लिए कोई व्यवस्थाएं नहीं हैं। होम्योपैथी कॉलेज में पूरा जीरियाट्रिक विभाग काम करता है। यहां बुजुर्गों को होने वाली सभी सामान्य बीमारियों के साथ अन्य गंभीर बीमारियों का उपचार संभव है। उन्होंने बताया कि फिलहाल करीब एक दर्जन बुजुर्ग कॉलेज में भर्ती हैं।
डॉ.़ तोमर के मुताबिक वृद्धाश्रमों में रहने वाले बुजुर्गों को अस्पताल तक लाने के लिए मोबाइल हेल्थ वैन का उपयोग किया जाता है। इससे ही बुजुर्गों को लाने और छोडऩे का काम किया जाता है। इस वैन में डॉक्टर के साथ नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ रहता है, ताकि बुजुर्गों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी ना हो।
केंद्र सरकार ने 2016 में हर राज्य के एक मेडिकल कॉलेज का चयन कर 1.5 करोड़ रुपए की राशि जीरियाट्रिक मेडिसिन विभाग स्थापित करने के लिए मंजूर की थी। भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के पास 3 साल से यह बजट है, लेकिन जीरियाट्रिक मेडिसिन विभाग तो छोडि़ए जीरियाट्रिक समस्याओं से जुड़ी नियमित ओपीडी तक यहां शुरू नहीं हो सकी है।