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जिन बुजुर्गों को अपनों ने छोड़ा बेसहारा, उन्हें होम्योपैथी के डॉक्टर देंगे सहारा

locationभोपालPublished: Feb 28, 2020 08:40:27 am

 
Govt. होम्योपैथी कॉलेज में चल रहा जीरियाटिक प्रोग्राम, शहर के वृद्धाश्रम में देते हैं सेवा

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भोपाल@प्रवीण श्रीवास्तव की रिपोर्ट…

उम्र के अंतिम पढ़ाव में बुजुर्गों के लिए सबसे जरूरी है अपनों का प्यार और देखभाल। लेकिन कई बच्चे अपने बुजुर्गों का ख्याल नहीं रख पाते और इन्हें वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं। अब शासकीय होम्योपैथी कॉलेज भोपाल के डॉक्टर इन बुजुर्गों का ख्याल रखेगें।
दरअसल शहर के वृद्धाश्रमों में अधिकतर में बुजुर्गों के उपचार की स्थायी सुविधा नहीं है। ऐसे में कई बार विशेषज्ञ इलाज के अभाव में इन बुजुर्गों की तबीयत ज्यादा बिगढ़ जाती है। एेसे में होम्यापैथी कॉलेज के डॉक्टर उनकी सेहत का ख्याल रखेंगे। यह डॉक्टर ना केवल रुटीन चैकअप करेंगे बल्कि जरूरत पडऩे पर विशेषज्ञ उपचार भी देंगे। गौरतलब है कि शहर में एक दर्जन से ज्यादा वृद्धाश्रम हैं जहां करीब एक हजार बुजुर्ग रह रहे हैं।
प्लान के अनुसार हो रहा काम
कॉलेज की प्रोफेसर डॉ. संगीता तोमर बताती हैं कि शहर के अस्पतालों में बुजुर्गों के लिए कोई व्यवस्थाएं नहीं हैं। होम्योपैथी कॉलेज में पूरा जीरियाट्रिक विभाग काम करता है। यहां बुजुर्गों को होने वाली सभी सामान्य बीमारियों के साथ अन्य गंभीर बीमारियों का उपचार संभव है। उन्होंने बताया कि फिलहाल करीब एक दर्जन बुजुर्ग कॉलेज में भर्ती हैं।
एंबुलेंस से लाते हैं बुजुर्गों को…
डॉ.़ तोमर के मुताबिक वृद्धाश्रमों में रहने वाले बुजुर्गों को अस्पताल तक लाने के लिए मोबाइल हेल्थ वैन का उपयोग किया जाता है। इससे ही बुजुर्गों को लाने और छोडऩे का काम किया जाता है। इस वैन में डॉक्टर के साथ नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ रहता है, ताकि बुजुर्गों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी ना हो।
सरकारी अस्पतालों में बजट पूरा लेकिन नहीं हैं व्यवस्थाएं
केंद्र सरकार ने 2016 में हर राज्य के एक मेडिकल कॉलेज का चयन कर 1.5 करोड़ रुपए की राशि जीरियाट्रिक मेडिसिन विभाग स्थापित करने के लिए मंजूर की थी। भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के पास 3 साल से यह बजट है, लेकिन जीरियाट्रिक मेडिसिन विभाग तो छोडि़ए जीरियाट्रिक समस्याओं से जुड़ी नियमित ओपीडी तक यहां शुरू नहीं हो सकी है।
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