इसके बाद मोनिका ने आरती दयाल से मदद मांगी। मुझे कहीं नौकरी दिलवा दो। क्योंकि मोनिका के पिता किसान हैं और वह हॉस्टल में रहकर भोपाल में पढ़ाई कर रही थी। मोनिका अभी भी पुलिस रिमांड पर है, पूछताछ के दौरान उसने पुलिस को कई अहम जानकारी दी है। जैसे लोग फंसे हैं, वैसे ही लालच में मोनिका भी इस गिरोह के जाल में फंसी है।
वीडियो बना लिया
मोनिका ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया है कि आरती दयाल ने नौकरी दिलवाने के लिए ही मुझे बुलाई थी। पहली बार भोपाल के ही एक होटल में उन्होंने मुझे इंजीनियर से मिलवाया। इसके बाद मैं दो-तीन बार इंजीनियर से मिली। इंजीनियर के आने तक आरती दयाल मेरे साथ कमरे में मौजूद रहती थीं। इंजीनियर के आने के साथ ही वह कमरे से बाहर चली जाती थीं। लेकिन वह कब मेरा वीडियो बना लीं, मुझे पता भी नहीं। पुलिस की गिरफ्तारी के बाद मुझे जानकारी मिली कि मेरे साथ वीडियो बना लिया है।
मोनिका ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया है कि आरती दयाल ने नौकरी दिलवाने के लिए ही मुझे बुलाई थी। पहली बार भोपाल के ही एक होटल में उन्होंने मुझे इंजीनियर से मिलवाया। इसके बाद मैं दो-तीन बार इंजीनियर से मिली। इंजीनियर के आने तक आरती दयाल मेरे साथ कमरे में मौजूद रहती थीं। इंजीनियर के आने के साथ ही वह कमरे से बाहर चली जाती थीं। लेकिन वह कब मेरा वीडियो बना लीं, मुझे पता भी नहीं। पुलिस की गिरफ्तारी के बाद मुझे जानकारी मिली कि मेरे साथ वीडियो बना लिया है।
नौकरी पक्की करने लाई थी
आरती दयाल और मोनिका इंदौर में तब गिरफ्तार हुई, जब इंजीनियर से वीडियो के बदले पचास लाख रुपये की वसूली करने गए थे। मोनिका ने बताया कि मुझे आरती इंदौर यह कहकर लाई थी कि तुम्हारी नौकरी पक्की हो गई है। चलो इंदौर। उसके बाद मैंने घरवालों को बताया कि मैं पांच दिन बाद घर लौटूंगी, नौकरी की मिठाई लेकर।
आरती दयाल और मोनिका इंदौर में तब गिरफ्तार हुई, जब इंजीनियर से वीडियो के बदले पचास लाख रुपये की वसूली करने गए थे। मोनिका ने बताया कि मुझे आरती इंदौर यह कहकर लाई थी कि तुम्हारी नौकरी पक्की हो गई है। चलो इंदौर। उसके बाद मैंने घरवालों को बताया कि मैं पांच दिन बाद घर लौटूंगी, नौकरी की मिठाई लेकर।
नगर निगम के इंजीनियर हरभजनसिंह की हनी ट्रैप मामले में पुलिस की खींचतान सामने आ गई है। रसूखदार मंत्री-अफसर की लिप्तता वाले इस हाई प्रोफाइल केस में गिरफ्तारी से लेकर जांच व उपकरण तक के सारे सूत्र एटीएस व क्राइम ब्रांच के हाथ में हैं जबकि केस पलासिया थाने में दर्ज हुआ है। केस में पलासिया पुलिस की भूमिका ज्यादा नहीं है और न ही वे पूछताछ कर पा रहे हैं। ऐसे में एसपी, पूर्व मो. यूसुफ कुरैशी ने एसएसपी रुचिवर्धन मिश्र को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि मामले की जांच क्राइम ब्रांच से ही कराई जाए।