निजी ब्लड बैंक 11 हजार वाले एक यूनिट एसडीपी की कीमत 15 हजार रुपए तक वसूलते हैं। परिजनों की जेब ढीली होती है तो उन्हें परेशान होना पड़ता है तो अलग।
यह हैं जिम्मेदार
लायसेंस के लिए अधीक्षक फूड एंड ड्रग विभाग में आवेदन करना पड़ता है। एफएंडडी टीम से मिली रिपोर्ट के आधार पर लायसेंस जारी होता है। दोनों अस्पताल ने आवेदन ही नहीं किया। जेपी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. आइके चुघ का कहना है कि आवेदन किए थे, विभाग ने कुछ कमियां बताई थी, इनको दुरुस्त करने के काम चल रहा है। एम्स की अधीक्षक डॉ. मनीषा श्रीवास्तव इस पर कुछ नहीं कहना चाहतीं।
स्वास्थ्य संचालनालय के अफ सरों की मानें तो जेपी अस्पताल और एम्स से हर रोज 4 मरीजों को एसडीपी के लिए हमीदिया, भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल और निजी ब्लड बैंकों में जाना पड़ता है। डेंगू के शहर में रोज 10 से 12 मरीजों को प्लेटलेट्स की जरूरत पड़ रही है। हमीदिया अस्पताल की ऐफरेसिस मशीन ओवरलोड हो रही है और मरीजों को इसके लिए इमरजेंसी में 3 से 5 घंटे ब्लड ट्रांसफ्यूजन के लिए इंतजार करना पड़ता है।
बीते आठ सालों में शहर में डेंगू की स्थिति
वर्ष मरीज मौत
2009 228 02
2010 79 00
2011 06 00
2012 30 00
2013 165 00
2014 706 14
2015 57 04
2016 758 12
2017 41 01
2018 865 02
इस साल डेंगू के 865 मरीज आ चुके हैं, जो कि सरकारी आंकड़ों में दस साल में सबसे ज्यादा है।