यह है मामला भोपाल गैस पीडि़त महिला उद्योग संगठन की ओर से यह याचिका दायर की गई है। इसमें कहा गया है कि भोपाल गैस त्रासदी पीडि़तों के लिए बनाए गए भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमएचआरसी) में सुविधाओं का अभाव है। इनमें स्टाफ व उपकरणों की कमी है। मरीजों के कम्प्यूटराइज्ड कार्ड नहीं बने हैं। इन अस्पतालों की मॉनीटरिंग के लिए कोर्ट के निदेश पर कमेटी गठित की गई है। इस कमेटी ने ६ नवंबर २०१७ को अपनी ग्यारहवीं व १५ मार्च २०१८ को बारहवीं त्रैमासिक रिपोर्ट पेश की थी। इसमें कहा गया था कि बीएमएचआरसी में ९ कंसल्टेंट, २३ सीनियर रेसिडेंट व १३ जूनियर डॉक्टर नियुक्त किए जा चुके हैं। स्पेशलिस्ट चिकित्सकों के लिए नियुक्तियां होनी शेष हैं।
पूर्व सुनवाई पर दी थी चेतावनी
14 फरवरी को कोर्ट ने कहा था कि त्रासदी के तैंतीस साल बाद भी सरकार इस ओर से उदासीन है। कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को उपस्थित रहकर स्पष्टीकरण देने को कहा था। इस पर शुक्रवार को केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति प्रक्रिया आरंभ हो गई है। इसकी अनुशंसाओं के पालन के संबंध में केंद्र, राज्य सरकार के अधिकारी व याचिकाकर्ता अपनी रिपोर्ट पेश करें। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ के साथ अधिवक्ता राजेश चंद, केंद्र की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल जेके जैन व राज्य की ओर से उपमहाधिवक्ता दीपक अवस्थी उपस्थित हुए।
14 फरवरी को कोर्ट ने कहा था कि त्रासदी के तैंतीस साल बाद भी सरकार इस ओर से उदासीन है। कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को उपस्थित रहकर स्पष्टीकरण देने को कहा था। इस पर शुक्रवार को केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति प्रक्रिया आरंभ हो गई है। इसकी अनुशंसाओं के पालन के संबंध में केंद्र, राज्य सरकार के अधिकारी व याचिकाकर्ता अपनी रिपोर्ट पेश करें। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ के साथ अधिवक्ता राजेश चंद, केंद्र की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल जेके जैन व राज्य की ओर से उपमहाधिवक्ता दीपक अवस्थी उपस्थित हुए।