वही इलाज के लिए कोसों दूर सोनागिरी स्थित बीमा अस्पताल के साथ ही जेपी या फिर हमीदिया का रुख करना पड़ता है। ऐसे में कई बार देरी होने से गंभीर हादसों में मरीजों को जान तक गंवानी पड़ती है। पर्किंग नहीं होने से बीच सडक़ पर ही बाहर से सामान लेकर आने वाले बड़े-बड़े ट्राले खड़े रहते हैं, जिससे हादसे की आशंका बनी रहती है। जर्जर सडक़ें दो पहिया वाहन चालकों के लिए मुसीबत बनती हैं।
सडक़ किनारे खड़े रहते हैं बड़े-बड़े ट्राले
गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में पार्किंग की सुविधा नहीं होने से बाहर से सामान लेकर आने वाले बड़े-बड़े ट्राले कई-कई दिेनों तक यहां सडक़ पर खड़े रहते हैं। यहां सडक़ें संकरी होने और रात में अंधेरा होने से हादसे का डर बना रहता है। इसके कारण कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। ऐसे में यहां पार्किंग स्थल बनाए जाने की जरूरत है, ताकि हादसे रुक सकें।
जर्जर सडक़ बन रही जान की दुश्मन
गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल क्षेत्र की सडक़ जर्जर हो चुकी है। जगह-जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो चुके हैं, जिससे वाहन चालकों को दुर्घटनाओं का डर बना रहता है। इसकी एक वजह यहां की सडक़ों का समय-समय पर मेंटेनेंस नहीं होने के साथ ही आने वाले भारी भरकम ट्राले सहित बड़े वाहनों के हिसाब से गुणवत्तापूर्ण सडक़ का न होना भी है।
सुविधाएं मिले तो हो कायाकल्प
गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में कई सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। यहां कार्यरत करीब 30 हजार श्रमिकों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। परिवहन सुविधा नहीं होने से श्रमिकों को या तो खुद के वाहन से या पैदल कंपनी तक नौकरी करने आना-जाना होता है। औद्योगिक क्षेत्र में स्वीकृत पुलिस चौकी और स्वीकृत डिस्पेंसरी का सीघ्र निर्माण कर संचालन किया जाए। हॉकर्स कॉनर्र, फायर बिग्रेड, कॉरिडोर आदि की महती जरुरत है।
लघु उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार को लघु उद्यमी को सम्मान देना चाहिए। इसके लिए उनके साथ लगातार उच्च स्तरीय बैठक में संवाद होना चाहिए, जिसमें उनके मसले हल हों और सरकार के साथ आपसी समन्यवय बने, ताकि नई जनरेशन इस ओर अग्रसर हो सके।
एसके पाली, अध्यक्ष जीआईए गोविंदपुरा
गोविंदपुरा क्षेत्र एक नजर…
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग विभाग में उद्योगों के भुगतान संबंधी विवादों को सुलझाने के लिए गठित मध्य प्रदेश शूक्ष्म एवं लघु उद्योग फेसिलिटेशन काउंसिल में प्रकरण के निपटारे में 2-3 साल लग जाते हैं। इसमें निर्णय के लिए समय-सीमा अधिकतम छह माह होनी चाहिए। साथ ही इसके आवेदन सरल एवं संक्षेप में हो।
केंद्र शासन की नीति अनुसार शासकीय खरीद में 20 प्रतिशत का कोटा एमएसएमई के लिए निर्धारित है। इसके अनुसार मप्र राज्य में शासन की सभी खरीदी, वर्क कॉन्टै्रक्ट लघु उद्योगों निर्मित सामग्री के लिए 25 प्रतिशत मप्र के लघु उद्योगों से ही लिए जाएं। यदि यह वर्क कॉन्ट्रैक्ट भी है तो भी मप्र के उद्योगों को प्रथमिकता दी जाए।
प्रदेश के लघु उद्योगों द्वारा बनए उत्पाद की मार्केटिंग के लिए गठित मप्र लघु उद्योग निगम को पुन: सुदृढ़ किया जाए। क्षेत्र में दो स्थानों पर ट्रक, लोडिंग वाहनों की पार्किंग स्थल का निर्माण किया जाए, एक स्थान निश्चित किया जाए।
क्षेत्र में अव्यवस्थित एवं सडक़ किनारे चल रही आवश्यक सामग्री की दुकानों के लिए व्यवस्थित मार्केट 3-4 स्थानों पर बनाकर व्यवस्था किया जाए। औद्योगिक क्षेत्र में खाली स्थानों पर अवैध रूप से निवास कर रहे श्रमिकों को हाउसिंग फॉर ऑल योजना में सम्मिलित कर आवास उलपब्ध किए जाने चाहिए। एवं इससे रिक्त भूमि पर आवश्यक सुविधाएं विकसित की जानी चाहिए।
सभी नालों का चैनेलाइनेशन एवं वाटर हेड अप कर जल स्तर बढ़ाने की योजना बनाई जाए। औद्योगिक क्षेत्र में लगने वाले कच्चे माल, हार्डवेयर, पेंट इत्यादि के लिए इंडस्ट्रियल माल एवं संबंधित सर्टिफाइड एवं इंस्पेक्शन एजेंसी संबंधी कार्यालय के लिए बिल्डिंग बनाई जाए।
इलेक्ट्रिकल सप्लाई का अंडर ग्राउंड किया जाए। इसके लिए बिजली विभाग द्वारा आवश्यक सब स्टेशन बनाए जाएं। नए बाइपास से औद्योगिक क्षेत्र एवं बीएचईएल तक भारी वाहनों के लिए एक्सक्लूसिव कॉरिडोर बनाया जाए, जिससे शहर की सडक़ों पर भार कम हो।
औद्योगिक क्षेत्र में सीवेज नेटवर्क एवं ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण आवश्यक है। जल प्रदाय व्यवस्था के संचालन में आ रही दिक्कतों को समाप्त करना है। साथ ही जिन उद्योगों को पानी की अधिक जरूरत है उन्हें इंडस्ट्रियल कनेक्शन दिया जाए।