इसके चलते भोपाल एम्स में ही ठगी की साजिश रची। वह बाद में एम्स भोपाल में डॉक्टर बनकर नियमित आने-जाने लगा, इससे सुरक्षा एजेंसी और स्टाफ को विश्वास हो गया कि वह डॉक्टर है। उसने बताया कि चूना लगाने की तकनीक उसने गूगल से सीखी।
पिछले दिनों गोंडा (उत्तरप्रदेश) का रहने वाला आनंद एम्स में फर्जी इंटरव्यू लेते समय पुलिस के हत्थे चढ़ गया था। सोमवार को पुलिस उसे एम्स अस्पताल स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा की ब्रांच लेकर पहुंची थी।
यहां उसके दो खाते हैं, जिसमें ठगी के पैसे जमा करता था। पुलिस ने खातों को सीज कर दिया। एक में 80 हजार रुपए और दूसरे में 42 हजार रुपए मिले।
एम्स में डॉक्टर बनना था सपना
आनंद का सपना एम्स में डॉक्टर बनने का था। उसने सत्र 2016-17 में परीक्षा भी दी, लेकिन 0.6 पर्सेंटाइल से रह गया। पुलिस भी इस दावे को सही बताती है।
ससुराल वालों को दिखाता था रौब
पुलिस के मुताबिक आनंद ने ठगी कर 15-20 लाख रुपए कमाए होंगे, लेकिन दोनों खातों में 1.20 लाख रुपए मिले। वह ठगी के पैसे जमकर खर्च करता था। वह परिवार के साथ ससुराल वालों को महंगे गिफ्ट देता, 20 हजार रुपए रोज के किराए वाले होटल में रुकता और हवाई सफर करता था।
आज भी नहीं दिखे सुरक्षा के इंतजाम
इतना बड़ा मामला पकड़ में आने के बावजूद एम्स में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं है। प्रबंधन ने आइपीडी में आने-जाने वाले लोगों पर रोक लगाने जैसी बात कही थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं दिखा। पत्रिका संवाददाता ने करीब दो घंटे अलग-अलग वार्डों में बिताए, लेकिन कहीं किसी ने उसे नहीं रोका।
थाने में है सारा सामान
पुलिस ने आनंद के घर का सारा सामान सीज कर थाने में जमा कर लिया है। बागसेवनियां थाने में आनंद मिश्रा का महंगा सोफा, अलमारी सहित अन्य सामान रखा है। उसने हाल ही में एक लाख रुपए की बाइक भी खरीदी थी।
ओपीडी में मौजूद आधा दर्जन गार्ड बातों में मशगूल थे। हालांकि ओपीडी में जाने वाले रास्ते पर गार्ड लोगों को रोक रहे थे, लेकिन आइपीडी में जाने पर रोकटोक नहीं है। जिस केबिन में आनंद ने इंटरव्यू लिया वह खुला था और वहां पूरे कॉरिडोर में एक महिला गार्ड ही मौजूद थी।