इसे लेकर लोगों के बीच एक बड़ा जागरुकता कैंपेन किया जाए और राजधानी की एक लाख छतों पर ही दो से तीन किलोवाट के पैनल लग जाएं तो रोजाना शहर की छतें दस लाख यूनिट तक बिजली बना सकती है। शहर की रोजाना बिजली खपत का ये पांचवां हिस्सा होगा। अभी रोजाना 50 लाख यूनिट बिजली की खपत है। इसमें दस लाख की हिस्सेदारी बड़ा सहारा होगी।
इस समय भोपाल में महज 500 छतों पर ही बिजली का उत्पादन कर पा रहा है। इनमें 90 फीसदी सरकारी भवन व उनके प्रकल्प हैं, जबकि दस फीसदी में निजी संस्थान शामिल हैं। आमजन तक अभी ये नहीं पहुंच पाया है और यही वजह है कि सोलर एनर्जी से बिजली उत्पादन नहीं बढ़ पा रहा।
बीते आठ साल के दौरान 300 नए संस्थान और छतों पर बिजली के लिए सोलर पैनल स्थापित हुए। इसमें वीआईपी रोड किनारे से लेकर वन विहार व इसी तरह के क्षेत्रों में लगे सोलर पैनल हैं। ऊर्जा विकास निगम की रिपोर्ट के अनुसार छतों पर 58 मेगावाट बिजली बन रही है। ये 150 से 200 मेगावाट तक पहुंच सकती है। यदि ऐसा होता है तो शहर की पूरी बिजली सोलर से ही बन जाएगी। कोयले की बिजली पर निर्भरता पूरी तरह खत्म होगी।
ऐसे करें छत पर सोलर पैनल के लिए आवेदन:
मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी की वेबसाइट एमपीसीजेड या फिर रूफटॉप एमपीसीजेड पर जाकर अपने बिजली उपभोक्ता आईवीआरएस नंबर के आधार पर आवेदन कर सकते हैं। यहां एक किलोवॉट से तीन किलोवाट तक के कनेक्शन पर प्रति किलोवाट आपको करीब 14 हजार रुपए की सब्सिडी मिलती है। ये काम आप कंपनी के अधिकृत वेंडर से भी करवा सकते हैं।
प्रति किलोवॉट है इतना खर्च और सब्सिडी
एक किलोवाट का पैनल लगवाने की कुल खर्च 37 हजार रुपए तय है, इसमें 40 फीसदी की सब्सिडी मिलती है जो 14800 रुपए है। ऐसे में उपभोक्ता को 22 हजार 200 रुपए जमा करने होते हैं। तीन किलोवॉट तक प्रति किलोवॉट ये सब्सिडी जारी रहेगी। इसके बाद चार किलोवाट से दस किलोवॉट तक का पैनल लगाने पर कुल लागत का 20 फीसदी सब्सिडी मिलेगी। दस किलोवाट तक के कनेक्शन के लिए बिजली कंपनी को ही सीध आवेदन किया जा सकता है।
सोलर पैनल को लेकर लोग जागरुक हो रहे हैं। हमारी टीमें भी काम कर रही है। सरकार लगातार सब्सिडी दे रही है। लोगों को इसका लाभ लेना चाहिए। खुद की बिजली खुद ही जनरेट करना चाहिए।
– जीएस मिश्रा, एमडी मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी