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इस नवरात्रि में राशिनुसार ऐसे करें देवी मां की उपासना, मिलेगा मनचाहा वरदान !

locationभोपालPublished: Mar 18, 2018 05:32:22 pm

नौ दिनों तक मां की पूजा व उपवास किया जाता है…

NavRatri Puja
भोपाल। इस साल चैत्र नवरात्र रविवार 18 मार्च से शुरू हो रहे हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार ही चैत्र नवरात्र से ही नए साल की शुरूआत होती है। साल में चार नवरात्रि होते हैं जिनमें से दो गुप्त नवरात्र होते है। चैत्र और आश्विन नवरात्र को हिंदू धर्म में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है।
भोपाल सहित देश के विभिन्न राज्यों में भी नवरात्र की तैयारियां पूरी हो चुकी है,वहीं इसके लिए बाजार भी सज चुके हैं। नवरात्र के दौरान लोग साफ-सफाई और खान-पान की चीजों का विशेष ध्यान रखते हैं। इस बार अष्टमी और नवमी एक ही दिन 25 मार्च को होगी। हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का ज्यादा महत्व होता है। माना जाता है इस महीने से शुभता और ऊर्जा का आरंभ होता है और ऐसे समय में मां काली की पूजा से घर में सुख-समृद्धि आती है।
राशि अनुसार ऐसे करें पूजा…
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार हिन्दू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि में मां के नौ स्वरूपों की उपासना की जाती है। इस नवरात्रि अगर आप चाहते है कि माता आप के ऊपर कृपा बनाएं तो अपनी राशि अनुसार मां के इन रूपों की पूजा करें…
1. मेष राशि- इस चैत्र माह के नवरात्रि में मेष राशि के जातकों को दुर्गा मां के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा करनी चाहिए। मेष राशि वालों को मां शैलपुत्री की उपासना करने से मान सम्मान और धन दौलत में वृद्धि होगी।
2. वृष राशि- वृष राशि के लोगों को चैत्र नवरात्रि पर ब्रह्राचारिणी मां की पूजा करनी चाहिए। वृष राशि वालों को मां ब्रह्राचारिणी की उपासना करने से जीवन में चली आ रही परेशानियां खत्म होगी।
3. मिथुन राशि- मिथुन राशि के जातको को मां चंद्रघण्टा की उपासना करना शुभ लाभ देगा। इस राशि के जातकों को सुबह दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से जातको शत्रु पर विजय प्राप्ति होगी और बुरी नजर का नाश होगा।
4. कर्क राशि-इस राशि के लोग चैत्र नवरात्र को सिद्धिदात्री की पूजा करना श्रेष्ठ रहेगा। इस राशि के जातकों को मां दुर्गा और लक्ष्मी सहस्त्रनाम का पाठ करना शुभ फल प्रदान कर सकता है। ऐसा करने से धन लाभ होगा।
5. सिंह राशि- इस राशि के जातकों को बगलामुखी की पूजा करना चाहिए। दुर्गा का पाठ करना शुभ रहेगा। इस राशि के जातको कों कहीं से शुभ समाचार मिलने के संकेत है।
6. कन्या राशि- कन्या राशि वालों को ब्रम्ह्राचारिणी मां की पूचा करनी चाहिए। ऐसा करने से कानूनी विवाद में फैसला आपके पक्ष में रहेगा साथ ही नौकरी बदलना शुभ हो सकता है।
7. तुला राशि-मां महागौरी की आराधना करना तुला राशि के लोगों को शुभ रहेगा। मान-प्रतिष्ठा बढ़ेगी और यश मिलेगा।
8. वृश्चिक राशि- वृश्चिक राशि के जातकों को इस नवरात्रि माता के नौ स्वरूपों में से एक रूप स्कंदमाता की पूजा करनी चहिए। ऐसा करने से उचित फल की प्राप्ति होगी।
9. धनु राशि- अगर इस वक्त धनु राशि के जातक किसी परेशानी में तो नवरात्रि पर देवी के चंद्रघंटा की स्वरूप की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से माता इस राशि के जातकों पर अपनी कृपा बरसाएंगी।
10. मकर राशि- मां कालरात्रि की पूजा करना मकर राशि के जातकों के लिए लाभदायक रहने वाला रहेगा। परेशानियां दूर होंगी और घर में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी।
11. कुंभ राशि- चैत्र नवरात्रि पर कालरात्रि की पूजा करने से कुंभ राशि के जातको पर धन की वर्षा होगी। सारे काम आसानी से पूरे होंगे। हर काम में सफलता मिलेगी।
12. मीन राशि- इस राशि वालों को नवरात्रि पर मां चंद्रघंटा की पूजा करना अच्छा रहेगा। नौकरी या व्यवसाय करने वालों के लिए इस नवरात्रि के में मुनाफा कामने के कई मौके प्राप्त होंगे।
9 रूपों की आराधना…
नवरात्रि के दौरान 9 दिन व्रत किया जाता है। मां दुर्गा के 9 रूपों की आराधना की जाती है। साल 2018 में चैत्र नवरात्रि 18 मार्च को शुरू हो रहे हैं और यह 25 मार्च तक रहेंगे। 25 मार्च नवरात्र के आखिरी दिन रामनवमी मनाई जाएगी। 26 मार्च को नवरात्र का व्रत तोड़ा जाएगा।
नवरात्र के एक दिन पहले दिन घटस्थापना की जाती है। इसके बाद लगातार नौ दिनों तक मां की पूजा व उपवास किया जाता है। दसवें दिन कन्या पूजन के बाद व्रत को खोला जाता है।
मां दुर्गा के 9 रूप- मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि मां के नौ अलग-अलग रुप हैं।

कलश की स्थापना का शुभ मुहूर्त इस बार प्रतिपदा सायं 06.32 तक रहेगी। इसलिए सायं 06.32 के पहले ही कलश की स्थापना कर लें। इसमें भी सबसे ज्यादा शुभ समय होगा – प्रातः 09.00 से 10.30 तक रहेगा।
गुड़ी पड़वा का पर्व और इसका महत्व…
देशभर में रविवार 18 मार्च को गुड़ी पड़वा का त्यौहार मनाया जाएगा। इसके साथ ही 18 मार्च से हिंदू नववर्ष की शुरुआत हो रही है। इस तिथि को हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना जाता है। माना जाता है युगों में प्रथम सत्ययुग की शुरुआत इसी तिथि से ही हुई थी। इस त्यौहार को विशेष रुप से गोवा और मराठी लोग मनाते हैं।
इस दिन महाराष्ट्र में कई सामुदायिक जुलूस निकालते हैं। गुड़ी पड़वा से कई कहानियां भी जुड़ी हैं। उनमें से एक है ‘निर्माण का सिद्धांत’ है। कहा जाता है इस भगवान राम ने लंका के राजा रावण को पराजित किया था और इस दिन को भगवान राम के अयोध्या लौटने का दिन भी कहा जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है और आरोग्य, समृद्धि और पवित्र आचरण की कामना की जाती है। इस दिन घरों में विजय के प्रतीक स्वरूप गुड़ी सजाई जाती है।
क्यों मनाया जाता है ये पर्व- हिंदी पंचांग के अनुसार चैत्र महीना साल का पहला महीना होता है। माना जाता है चैत्र नवरात्रि के पहले दिन ही आदिशक्ति प्रकट हुईं थी और आदिशक्ति के कहने पर ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना करनी शुरू की थी। इसी वजह से चैत्र शुक्ल के पहले दिन हिंदू नववर्ष मनाया जाता है। इस दिन महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, मास और वर्ष की गणना कर पंचांग की रचना की थी। इसी कारण हिन्दू पंचांग का आरंभ भी गुड़ी पड़वा से ही होता है।
भारत में इस पर्व को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय इसे ‘संवत्सर पड़वो’ नाम से मनाया जाता है। कर्नाटक में ‘युगाड़ी’ नाम से जाना जाता है। आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना में ‘गुड़ी पड़वा’ को ‘उगाड़ी’ नाम से मनाते हैं। कश्मीरी हिन्दू इस दिन को ‘नवरेह’ के तौर पर मनाते हैं। मणिपुर में यह दिन ‘सजिबु नोंगमा पानबा’ या ‘मेइतेई चेइराओबा’ के नाम से मनाया जाता है।

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