सिंधिया ने दो नाम आगे बढ़ाए थे, लेकिन भाजपा के मूल कॉडर के नेताओं ने एकजुट होकर समीकरणों को प्रभावित किया। ग्वालियर सिंधिया का कोर-एरिया है। यहां उनका महापौर होने से उन्हें फायदा होता, जबकि दूसरे धड़े कमजोर होते।
इन सारे सियासी समीकरणों के चलते ग्वालियर में मतभेद बढऩे से तोमर के साथ दूसरे भाजपा नेता भी आ गए। इसी कारण ग्वालियर का टिकट तोमर के खाते में गया। वहीं, 16 महापौर में से एक भी जगह सिंधिया सर्मथक नेताओं को टिकट नहीं मिल सका है।
सिंधिया की 'रफ्तार' पर ब्रेक
सिंधिया ने ग्वालियर सीट के लिए पहले पूर्व मंत्री माया सिंह का नाम आगे बढ़ाया था, लेकिन उनका नाम भाजपा के दूसरे नेताओं ने उम्र ज्यादा होने के मापदंड पर उलझा दिया। माया सिंह की उम्र 71 है। इसके बाद सिंधिया ने युवा चेहरे के तौर पर पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता का नाम बढ़ाया। समीक्षा 2018 के चुनाव के समय बागी हो गई थीं, इसलिए अब उन्हें टिकट देने पर स्थानीय भाजपाई सहमत नहीं हुए।
यहां केंद्रीय मंत्री तोमर ने सुमन शर्मा का नाम आगे बढ़ाया। भाजपा संगठन ने जिस प्रकार भोपाल, इंदौर और सागर में स्थानीय विधायकों की सहमति से नाम तय किया, उसी रणनीति को ग्वालियर में अपनाया। जयभान सिंह पवैया, विवेक शेजवलकर और अनूप शर्मा ने भी तोमर को समर्थन दिया। सिंधिया के साथ स्थानीय नेता व उनके खास समर्थक प्रद्युम्र सिंह तोमर रहे, पर बाकी नेताओं ने मिलकर सुमन को जिताने की बात कही।
- सिंधिया ने ग्वालियर के अलावा कहीं ज्यादा जोर नहीं लगाया, पर उनके समर्थक कहीं भी टिकट नहीं पा सके।
- मुरैना, इंदौर,सागर में सिंधिया और समर्थकों के समीकरण थे। मुरैना में मीना जाटव को तोमर की सिफारिश पर टिकट मिला।
- सागर में सिंधिया समर्थक मंत्री गोविंद राजपूत ने मंत्री भूपेंद्र सिंह के नाम को समर्थन देकर समीकरण बदल दिए।
- इंदौर में सिंधिया समर्थक मंत्री तुलसी सिलावट मूल कॉडर के स्थानीय क्षत्रपों की खींचतान देखकर चुप रहे।
मंथन चालू है...
भोपाल में प्रदेश भाजपा कार्यालय में बुधवार को बैठकों का दौर चला। शाम को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी दफ्तर पहुंचे। यहां प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित अन्य नेताओं ने सियासी रणनीति बनाई।
सुमन के ससुर रहे थे महापौर तो शोभा के पति हैं विधायक-
भाजपा और कांग्रेस के ग्वालियर से बने दोनों उम्मीदवारों को राजनीति विरासत में मिली है। सुमन शर्मा के ससुर स्व. धर्मवीर शर्मा महापौर रहे, जबकि शोभा के पति विधायक हैं। सुमन के नाम पर सिंधिया, तोमर को सहमत करने के लिए राष्ट्रीय संगठन ने दखल दिया। इससे पहले कांग्रेस के सर्वे में जीत के लिए शोभा को मजबूत बताया गया, पर नेताओं ने आपत्ति जताई। दलबदल के बाद सतीश सिकरवार को विधायक बनाना, फिर उसी परिवार से महापौर प्रत्याशी चुनना नेताओं को रास नहीं आ रहा था पर कमलनाथ ने जीत की संभावना पर टिकट दिया।
इधर, बगावत भी शुरू सतना: पूर्व मंत्री अहमद बसपा से मैदान में होंगे
सतना. कई कांग्रेसियों ने 'हाथ' का साथ छोड़कर 'हाथी' की सियासी सवारी शुरू कर दी है। इनमें महापौर पद के प्रबल दावेदार रहे कांग्रेस के दो दिग्गज भी शामिल हैं। 75 साल पुराने कांग्रेस परिवार से आने वाले पूर्व मंत्री सईद अहमद ने बसपा के प्रदेश प्रभारी श्रीकांत से पार्टी की सदस्यता ली। कांग्रेस पिछड़ा वर्ग विभाग के जिलाध्यक्ष से इस्तीफा दे चुके गेंदलाल, पूर्व पार्षद जगदीश प्रसाद पाण्डेय, कुदरल उल्ला बेग और मो. इकबाल माई डियर भी बसपा के हो गए। अहमद ने बसपा से महापौर चुनाव लड़ेंगे। उधर, कटनी में भाजपा पार्टी में महापौर का प्रत्याशी ज्योति विनय दीक्षित को घोषित किए जाने के बाद बगावत शुरू हो गई है। प्रीति संजीव सूरी ने निर्दलीय महापौर का चुनाव लडऩे का ऐलान कर दिया है।