एक—दो नहीं बल्कि सैकड़ों गांव—कस्बे हैं, जोकि सरकारी कर्मचारियों की गड़बडिय़ों का शिकार होकर गायब हो गए - प्रदेश में लैंड डिजिटाइजेशन का काम चल रहा है. इस काम में प्रदेश सरकार के जमीनी अमले की गंभीर लापरवाही सामने आ गई है. लैंड डिजिटाइजेशन में कई गांव अब तक सही सीमांकन में मिल ही नहीं रहे हैं. ऐसे एक—दो नहीं बल्कि सैकड़ों गांव—कस्बे हैं, जोकि सरकारी कर्मचारियों की गड़बडिय़ों का शिकार होकर गायब हो गए हैं.
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जिन गांवों-कस्बों के सीमांकन-चिह्नांकन में पहले गलतियां हुई थीं, उन गलतियों को सुधारा - अब प्रदेश सरकार इन गांवों को ढूंढ रही है. लैंड डिजिटाइजेशन में जो गांव नहीं मिल रहे उनके लिए सैटेलाइट और भौतिक सत्यापन की व्यवस्था अपनाई जा रही है. अधिकारियों के अनुसार इससे जिन गांवों-कस्बों के सीमांकन-चिह्नांकन में पहले गलतियां हुई थीं, उन गलतियों को सुधारा जा सकेगा. सैकड़ों ऐसे गांव जो इन गड़बडिय़ों का शिकार हुए हैं, उन्हें अगले 2 साल के भीतर रिकार्ड में दुरुस्त कर लिया जाएगा.
नामांतरण को रजिस्ट्री के साथ ही जोड़ा जाएगा- इसके साथ ही प्रदेश सरकार ने खसरा खतौनी-सीमांकन सहित कई सुविधाओं को फॉर्मेट में तब्दील कर दिया है. इसके बाद अब बाकी सेवाओं को भी इस फॉर्मेट में लाया जाएगा. नामांतरण को रजिस्ट्री के साथ ही जोड़ा जाएगा. इसके लिए भी डिजिटल आवेदन का विकल्प रहेगा. इसमें रजिस्ट्री के साथी ऑटोमेटिक नामांतरण हो जाएगा. वहीं सभी प्रकार की सेवाओं का मोबाइल ऐप तक विस्तार होगा.