अब तक 5 हजार वॉलेंटियर को जोड़ा
इश्तिायाक अहमद ने बताया कि मैं बीएमएचआरसी से सोशल वर्कर के रूप में जुड़ा हूं। मैं थैलेसीमिया से पीडि़त बच्चों के लिए रक्तदान के लिए प्रेरित करता हूं। करीब 23 साल पहले ब्लड कैंसर से जूझ रहे दोस्त को खून के लिए परेशान होते देखा। तब पहली बार रक्तदान किया। अब तक 45 बार रक्तदान कर चुका हूं। थेलेसीमिया से जूझ रहे बच्चों के रक्त की पूर्ति के लिए अब तक 5 हजार हजार वॉलेंटियर्स को जोड़ चुका हूं। अब ग्रुप से 15 हजार लोगों को जोडऩे का लक्ष्य रखा है।
पिता को दिया रक्त अब बना मिशन
अमन सक्सेना ने बताया कि मेरे लिए जीवन में रक्तदान एक मिशन की तरह ही है। कुछ साल पहले पिता बीमार हुए और उन्हें रक्त की जरूरत पड़ी तो पहली बार रक्तदान किया। वहां अन्य मरीजों को रक्त के लिए परेशान होता देखा तो इसकी अहमियत पता चली। मैं 24 बार रक्तदान कर चुका हूं। कोविड के दौरान जब लोग मिलने से कतरा रहे थे तब भी रक्तदान किया। मुझे ऐसा करते देख कई साथी कहते थे कि इससे ब्लड प्रेशर की समस्या होगी, लेकिन इतने सालों में कोई समस्या नहीं हुई।
मिथक को तोड़ा, कभी कोई परेशानी नहीं हुई
अफरीन खान ने बताया कि मैं जब 18 वर्ष की थी तब मैंने और मेरी बहन ने एक ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया था। इसमें मैंने पहली बार रक्तदान किया। अब तक 30 से ज्यादा बार ऐसा कर चुकी हूं। मैं अपने जन्मदिन पर हर साल रक्तदान करती ही हूं। कई लोगों के मन में मिथक बना हुआ है कि महिलाओं को महावारी की वजह से रक्तदान नहीं करना चाहिए। इससे शरीर में खून की कमी हो जाती है जो कि पूरी तरह गलत है। क्योंकि मैं अब तक 30 से ज्यादा बार ऐसा कर चुकी हूं, लेकिन मुझे तो कभी इस तरह की परेशानी नहीं हुई।
रक्तदान कर कई बीमारियों से बचें
वीनू डिसूजा ने बताया कि मैं अब तक 100 से ज्यादा बार रक्तदान कर चुका हूं। 20 वर्ष की आयु में पहली बार दोस्त के पिता को रक्तदान किया था। तब लगा कि लोगों को इसके लिए बहुत परेशान होना पड़ता है। मैं एक स्पोर्ट्स टीचर हूं तो लगातार फील्ड में रहना होता है। मेरे साथी कहते थे कि इससे शरीर कमजोर हो जाएगा, लेकिन मुझे कभी ऐसा नहीं लगा। इससे कैंसर जैसी बीमारी से भी दूर रह सकते हैं। मैं 20 साल से ब्लड डोनेट कर रहा हूं और आगे भी करता रहूंगा।