लापरवाही पर ठेकेदार कमल पटेल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। मृतक के परिजनों को 4 लाख की सहायता राशि की स्वीकृति दी गई है। नया बंगला बनाने के लिए इसे तोड़ा जा रहा था। दरअसल, 1985 में बनी इस इमारत को हाल ही में एडीजी ने रिटायर्ड प्रोफेसर शैला सरतारकर से खरीदा था।
अव्यवस्थित तरीके से तोड़ रहे थे मकान
नया बंगला बनाने के लिए एडीजी ने ठेकेदार कमल सिंह पटेल को भवन तोडऩे का काम दिया था। इसे तोडऩे ठेकेदार ने श्रमिक गुरुदयाल कहार, रामविलास कहार, टिंकू व रूपा बाई को लगाया। अव्यवस्थित तरीके से तोडऩे के दौरान बुधवार शाम 5.25 बजे बिल्डिंग भरभरा गई और एक श्रमिक की मौत हो गई।
दोषी पर होगा केस: शाम 5.40 बजे से प्रशासन ने रेस्क्यू किया। दो घंटे के बाद शाम 7.40 बजे श्रमिक का शव निकाला जा सका। मौके पर कलेक्टर अविनाश लवानिया ने कहा, जांच की जा रही है।
ऐसे समझें पूरा मामला-
दरअसल शाहपुरा ए सेक्टर में बंगला नंबर 108 लगभग 36 साल पहले बनकर तैयार हुआ था। पिछले 4 दिन से मौके पर काम लगा हुआ था। ठेेकेदार ने बगैर कॉलम के खड़ी पुरानी बिङ्क्षल्डग को छत से तोडऩे की बजाय नीचे से तोडऩे का जोखिम भरा काम शुरू करवाया था। बुधवार शाम 5:00 बजे धूल और धूप से बचने के लिए ठेकेदार सामने बने गार्डन में पेड़ की छांव में खड़ा हुआ था।
निचले कमरे में रामविलास कहार कमरों की दीवार तोड़ रहा था जबकि उसका बेटा गुरुदयाल कहार छत पर बाउंड्रीवॉल तोडऩे का काम कर रहा था। प्रत्यक्षदर्शी एवं मृतक के पुत्र श्रमिक गुरुदयाल कहार ने बताया कि गिरने से पहले बिङ्क्षल्डग में जोरदार भूकंप जैसा झटका लगा तो वह बगल वाली बिङ्क्षल्डग की बाउंड्री पकड़ कर लटक गया।
थोड़ी ही देर में पूरा लेंटर नीचे गिरने लगा, उसकी पकड़ ढीली हो गई और वह लेंटर के साथ ही नीचे आकर धड़ाम से गिर गया। बाहर खड़े ठेकेदार और हादसे में बच कर सड़क पर घायल पड़े मजदूरों ने बताया कि उसके पिता रामविलास अंदर ही दबे रह गए हैं। वह बहुत देर तक चीखता चिल्लाता रहा लेकिन उसके पिता की आवाज नहीं आई। गुरु दयाल ने बताया कि थोड़ी ही देर में पुलिस और प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंच गए लेकिन उसके पिता ने मलबे में दबकर दम तोड़ दिया। पुलिस ने आरोपी ठेकेदार को गिरफ्तार कर लिया है।
सात श्रमिक काम कर रहे थे
गुरुदयाल कहार ने बताया कि उसके पिता, उसका भाई ङ्क्षटकू एवं रूपा बाई नामक लेबर के अलावा कुल 7 लोग काम कर रहे थे। घटना के वक्त 4 श्रमिक गेट के बाहर खड़े हुए थे। रूपा और ङ्क्षटकू बाउंड्री वॉल के अंदर थे और उन्होंने दौड़ कर अपनी जान बचाई। छत पर रहने की वजह से उसकी जान बच गई लेकिन उसके पिता निचले कमरे में फंसकर रह गए। पूरी बिल्डिंग का मलबा उनके ऊपर गिर गया।
रिटायर्ड प्रोफेसर बैंगलुरु शिफ्ट
शाहपुरा ए सेक्टर के बंगला नंबर 108 में रहने वाली शैला सरतारकर सेवानिवृत्ति के बाद घर पर अकेली रहती थीं। उनके बच्चे बैंगलुरु में सेटल हो चुके हैं। पड़ोसियों ने बताया कि हाल ही में उन्होंने प्रॉपर्टी बेचकर बैंगलुरु शिफ्ट हो गई थीं।
बंगला नंबर 108 पूरी तरह जर्जर होकर नीचे गिरने के बाद अब पड़ोस में 109 नंबर एवं 110 नंबर के बंगले कि किनारे वाली दीवाल जर्जर हो गई है। इसमें रहने वाले परिवारों को खतरा है कि कहीं उनका मकान कंपन से नीचे ना गिर जाए। मौके पर अभी भी जेसीबी एवं बुलडोजर की सहायता से मलबा हटाने का काम चल रहा है जो आने वाले कुछ दिन जारी रहेगा।
शाहपुरा ए सेक्टर में नवनिर्माण के लिए की जा रही तोडफ़ोड़ की वजह से जो मकान गिरा है, उसकी निगम से कोई अनुमति नहीं ली गई थी। बावजूद इसके नगर निगम भवन मालिक पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं कर सकता। लिखार के अनुसार इस तरह के मामलों में सिर्फ नोटिस जारी होगा और पूछा जाएगा कि अनुमति है या नहीं। यदि नहीं तो क्यों नहीं ली। जो भी जवाब होगा, उससे भवन अनुज्ञा को संतुष्ट होना होगा।
नगर निगम के चीफ सिटी प्लानर नीरज आनंद लिखार का कहना है कि बिल्डिंग परमिशन नियम के तहत पुराने मकान को गिराने के साथ ही नवनिर्माण की अनुमति का प्रावधान है। इसमें तय मानक के अनुसार ही तोडफ़ोड़ करने का प्रावधान है, ताकि कोई नुकसान न हो।
भवन अनुज्ञा के क्षेत्रीय प्रभारी इंजीनियर महेश सिरोलिया की जिम्मेदारी थी कि बिना अनुमति हो रही इस तरह की तोडफ़ोड़ पर नजर रखें। भवन अनुज्ञा कार्यालय के पास ही ये निर्माण हो रहा था, लेकिन एक बार भी नोटिस देकर पूछताछ नहीं की गई। स्थिति ये है कि पौने छह बजे भवन गिरा, लेकिन रात दस बजे तक निगम के अफसरों को इसकी अनुज्ञा को लेकर सिरोहिया स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाए।
अरेरा कॉलोनी से लेकर शाहपुरा, चूनाभट्टी में बिना अनुमति धड़ल्ले से निर्माण हो रहे हैं, लेकिन नोटिस तक जारी नहीं किए जा रहे। अवैधतौर पर मकान बनाकर मकान मालिक कोर्ट में मामला दाखिल कर देता है। भवन अनुज्ञा कोई रिस्पांस नहीं करती और वह निर्माण अघोषिततौर पर सहीं साबित कर दिया जाता है।