एक मध्यमवर्गीय परिवार की कहानी
नाटक में दिया गया कि एक मध्यमवर्गीय परिवार है। पिता विष्णु प्रसाद भार्गव सरकारी नौकरी करते हैं। उनके घर में उनकी पत्नी लक्ष्मी, बड़ा बेटा अजीत, छोटा बेटा आनंद, बेटी अंकिता और बहू अंजली निवास करते हैं। विष्णु प्रसाद रिटायरमेंट की कगार पर हैं और मिलने वाले फंड के बारे में विचार करता है। बेटा अजीत अभी ठीक ढंग से अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाया है और अपने मित्र विजय श्रीवास्तव के साथ नया व्यापार शुरू करने का सोच रहा है।
आनंद जुआड़ी है और कर्ज में डूबा
नाटक की कहानी आगे बढ़ती है जिसमें छोटा बेटा आनंद जुआड़ी है और कर्ज में डूबा है। विष्णु प्रसाद परिवार की यह परेशानियां सताती हैं। तब वे सोचते हैं कि फंड के पैसों में से 5 लाख बड़े बेटे को व्यापार के लिए, 3 लाख रुपए से छोटे बेटे का कर्ज उतारेंगे और बचे हुए पैसों को बेटी की शादी में लगाएंगे।