scriptबेटे का कर्ज उतारूंगा और बेटी की शादी करूंगा | I will take my son's debt and marry my daughter | Patrika News

बेटे का कर्ज उतारूंगा और बेटी की शादी करूंगा

locationभोपालPublished: Jan 22, 2020 11:27:03 pm

Submitted by:

mukesh vishwakarma

दिनमान समारोह में नाटक ‘दरारेंÓ का मंचन

बेटे का कर्ज उतारूंगा और बेटी की शादी करूंगा

बेटे का कर्ज उतारूंगा और बेटी की शादी करूंगा

भोपाल. भारत भवन में चल रहे आठ दिवसीय दिनमान समारोह के तहत बुधवार को नाटक ‘दरारेंÓ का मंचन हुआ। इस नाटक की परिकल्पना व निर्देशन विकास बाहरी ने की। इसमें नई दिल्ली के प्रिज्म थिएटर के कलाकारों ने शानदार अभिनय की छाप छोड़ी। इस नाटक की अवधि 1 घंटे 30 मिनट की रही। इस नाटक का यह तीसरा मंचन भी रहा। इस नाटक की कहानी मध्यमवर्गीय परिवार की है, जो मौजूदा दौर में हर घर में घट रही है। नाटक गंभीर विषय पर है, लेकिन निर्देशक ने इसमें कई ऐसे दृश्य दिखाए हैं जिससे दर्शकों को यह लगने लगता है कि यह तो हमारे घर में या परिवार में होता है। कहानी पारिवारिक और सामाजिक संबंधों से गुजरती हुई एक ऐसी जगह पर आकर खड़ी हो जाती है, जहां सभी के सामने एक दोराहा है। उसी दोराहे पर खड़े सही और गलत का चुनाव करना ही नाटक की मूल कहानी होती है।

एक मध्यमवर्गीय परिवार की कहानी
नाटक में दिया गया कि एक मध्यमवर्गीय परिवार है। पिता विष्णु प्रसाद भार्गव सरकारी नौकरी करते हैं। उनके घर में उनकी पत्नी लक्ष्मी, बड़ा बेटा अजीत, छोटा बेटा आनंद, बेटी अंकिता और बहू अंजली निवास करते हैं। विष्णु प्रसाद रिटायरमेंट की कगार पर हैं और मिलने वाले फंड के बारे में विचार करता है। बेटा अजीत अभी ठीक ढंग से अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाया है और अपने मित्र विजय श्रीवास्तव के साथ नया व्यापार शुरू करने का सोच रहा है।

आनंद जुआड़ी है और कर्ज में डूबा
नाटक की कहानी आगे बढ़ती है जिसमें छोटा बेटा आनंद जुआड़ी है और कर्ज में डूबा है। विष्णु प्रसाद परिवार की यह परेशानियां सताती हैं। तब वे सोचते हैं कि फंड के पैसों में से 5 लाख बड़े बेटे को व्यापार के लिए, 3 लाख रुपए से छोटे बेटे का कर्ज उतारेंगे और बचे हुए पैसों को बेटी की शादी में लगाएंगे।

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